सेज से पहले साज की ज्यादा जरूरत पर निबंध | Essay on Special Agriculture Zone in Hindi!

देश एक अजीब कशमकश से गुजर रहा है । यह समाज के दो हिस्सों की खींचतान है । एक तरफ तो देश के छोटे से किसान हैं, दूसरी तरफ देश के सम्पन्न औद्योगिक घराने । छोटे किसान इन जमीनों पर खेती करते रहे हैं ।

अब देश के औद्योगिक समूह यहाँ विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी सेज का गठन करना चाहते हैं । औद्योगिक समूह अपनी योजनाओं के तहत कृषि भूमि खरीदना चाहते है । वहीं किसान इसे बेचने को राजी नहीं । कई इलाकों में यह खींचतान संघर्ष में बदल चुकी है ।

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हकीकत यह है कि देश के करीब 11.5 करोड़ खेती-किसानी करने वाले परिवारों के पास एक हेक्टेयर से कम जमीन है । कुछ हिस्सों में औसतन एक परिवार के पास 2 से 4 हेक्टेयर जमीन है । हमारे किसानों की आमदनी का मुख्य जरिया आज भी खेती ही है । बढ़ती आबादी से जमीन पर दबाव भी बढ़ रहा है ।

ऐसे में सेज के गठन के लिए अगर इन किसानों को अपनी जमीन बेचनी पड़े तो स्थिति कितनी भयावह होगी, इसका अंदाजा लगाना चाहिए । अगर यह छोटे किसान अपनी जमीन को बेचते हैं भले ही उन्हें कितनी भी आकर्षक कीमत क्यों नहीं दी जाये, तो भी एक-दो साल बाद किसान महज दिहाड़ी मजदूर बनकर रह जायेंगे ।

ऐसे में जरूरी है कि सेज जैसी कोई नीति, यदि छोटे किसानों को खेती से दूर करने का काम करने वाली हो, उससे पहले सरकार को किसानों के लिए खेती से अलग कोई बेहतर आमदनी का जरिया मुहैया कराना चाहिए या फिर खेती को मजबूती देने की कोशिश की जानी चाहिए । इसमें से खेती को मजबूती दिये जाने का विकल्प कहीं ज्यादा कारगर होगा ।

खेती को मजबूती देने से देश में खाद्य सुरक्षा आयेगी । इसके तीन फायदे होंगे । सबसे पहले लोगों को भोजन मिलेगा, इसके अलावे हमारी विदेश नीति में हमारी खाद्य निर्भरता का असर दिखेगा । साथ में अनाजों की पैदावार से मांग और आपूर्ति में संतुलन बना रहेगा, महंगाई नहीं बढ़ेगी । इतना ही नहीं, खेती, पशुपालन, मतस्यपालन और वन्य संरक्षण को भी मदद मिलेगी ।

इन सबको मिलाकर देखें तो यह चक्र समाज को ऐसी गतिशीलता देने में सक्षम हैं, जिसमें रोजगार भी होगा और आर्थिक उन्नति भी । हमें समझना होगा कि मौजूदा उद्योग – धंधे और उत्पादन – उद्योग देश को जॉबलेस ग्रोथ के रास्ते पर ले जा रहे हैं । ऐसे में सेज की तर्ज पर स्पेशल एग्रीकल्चर जोन (साज) बनाने पर विचार करना चाहिए । इसका मुख्य उद्देश्य खेती योग्य जमीन का संरक्षण होना चाहिए । साथ ही, इसका उद्देश्य जमीन की उत्पादन क्षमता का आकलन भी होना चाहिए ।

यह सब इतनी सहजता से नहीं होने वाला है । इसके लिए जरूरी है सरकार साज के गठन के लिए किसानों को उसी प्रकार की सुविधाएं और रियायतें उपलब्ध कराए जैसे सेज के गठन के लिए कॉरपोरेट घरानों को दी जा रही है । साज के इलाके में खेती का संरक्षण समय-समय पर किसानों को क्रेडिट की सुविधा, फसल के नुकसान की स्थिति में प्रभावी बीमा योजना और खेती के लिए जरूरी अन्य छोटी-मोटी सुविधाएँ भी सहज मुहैया होनी चाहिए ।

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हालांकि यहाँ यह जरूरी है कि साज के गठन में आम बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए । सबसे पहले साज का गठन कही-कहीं हो इस पर ज्यादा सावधानी बरते जाने की जरूरत है । बेहतर यह होगा कि इसके गठन के लिए सरकार को प्रत्येक राज्य में उन हिस्सों की पड़ताल करनी चाहिए जहाँ अनाज उत्पादन की क्षमता सबसे अधिक हो । संभव है कि एक ही राज्य में ऐसे क्षेत्रों की संख्या एक से अधिक हो । इन इलाकों के चुनाव के दौरान सिंचाई की सुविधा को भी ध्यान में रखने की जरूरत है ।

ऐसे ही हिस्सों में साज का गठन कर इलाके की उत्पादन क्षमता को कई गुणा बढ़ाया जाना चाहिए । इसके गठन में स्थानीय किसानों की ग्रामसभा और किसानों के संगठनों में रायशुमारी करने की जरूरत है । स्थानीय किसान हमेशा जमीन के उत्पादन के बारे में सटीक राय लिखते हैं ।

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इसके साथ-साथ निजी क्षेत्रों की मदद भी लेनी चाहिए । साथ में खेती करने हेतु किसानों के लिए आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए । साज में किसानों को उत्पादन बढ़ाने योग्य सभी सेवाएं उपलब्ध कराने की कोशिश होनी चाहिए ।

यह सुविधाएं जब सामूहिक रूप से जमीन के एक बड़े हिस्से में सभी किसानों को उपलब्ध होंगी तो निश्चित ही लागत मूल्य कम-से-कम होगा । लागत मूल्य कम होने से किसानों को लाभ मिलने की संभावना कहीं ज्यादा रहेगी । साज के तहत आने वाले किसानों के लिए इलाके में कीमती सर्विस सेंटर स्थापित करना भी जरूरी होगा ।

जब किसानों को बाजार की सही तस्वीर का अंदाजा होगा तो छोटे-छोटे किसान मैनेजमेंट से गुर सीखेंगे । ये किसान अनाज के उत्पादन के साथ-साथ नगदी फसलों के उत्पादन पर जोर देंगे । फूलों की खेती, कपास का उत्पादन, मत्स्यपालन, मुर्गीपालन या फिर दुग्ध उत्पादन ऐसे क्षेत्र में है, जिनमें कोई भी किसान कम लागत में ज्यादा आमदनी कर सकता है । कृषि को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि किसानों को बचाया जाये । किसान तब खेती की ओर खिंचेगा, जब उसकी आमदनी उसके खर्च से अधिक होगी ।

इसी उद्देश्य को पूरा करने में साज अहम भूमिका निभा सकता है । साज सही मायनों में खेती को बेहतर मैनेजमेंट के जरिए लाभ के उपक्रम में बदल सकता है । इसे स्माल फार्म मैनेजमेंट रिवोल्युशन के रूप में देखा जा सकता है । इसके जरिए कृषि प्रणाली में बेहतर बदलाव लाना संभव है । उत्पादन और लाभ बढ़ने से किसानों को फिलहाल सबसे ज्यादा इसी विश्वास की जरूरत है । इसका मतलब यह भी नहीं है कि देश को स्पेशल इकोनॉमिक जोन की जरूरत नहीं है ।

सेज के गठन के अपने उद्देश्य हैं और उससे देश आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होगा । यहाँ यह भी स्पष्ट है कि सेज और साज के गठन में कोई आपसी प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए । बल्कि दोनों को देश के विकास और आम आदमी की उन्नति में भूमिका निभानी होगी । पर हमें इसे समझना होगा कि देश की बुनियादी तौर पर हमें सेज से पहले साज की जरूरत है ।

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