चिड़ियाघर की सैर पर निबन्ध | Essay on Visit to A Zoo in Hindi!
कहा जाता है कि मन चंचल घोड़े के समान होता है । सही कहा गया है कि मन की गति वायु से भी अधिक तेज है । दूसरे शब्दों में यह कि , कभी भी यह एक स्थिति में स्थिर नहीं रहता है । अस्थिरता हीइसका सबसे बड़ा गुण है ।
इस तरह निरन्तर गतिमान रहते हुए यह तरह-तरह की उड़ाने भरता रहता है । फिर भी यह तनिक भी नहीं थकता है । इस प्रक्रिया में यह कभी आनन्द से खिल उठता है तो कभी निराशा में डूब भी जाता है । अपनी निराशा को दूर करने के लिए अपनी पूर्व स्थिति में सुधार बदलाव लाता है । इसके लिए इसे अपेक्षित प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है ।
मई का महीना था । गर्मी की छुट्टी चल रही थीं । हम अपनी मित्र मण्डली के साथ गपशप कर रहे थे । उस गपशप का विषय था, कि गर्मी की छुट्टी में कुछ और सैर-सपाटा करना चाहिए । गपशप बढ़ती-बढ़ती उस बिन्दु पर आ गयी कि कहीं सैर के लिए चला जाए । कहाँ चला जाए इस प्रश्न को सुनते ही मैंने अबानक कहा “क्यों न चिड़ियाघर की सैर के लिए चला जाए ।”
मेरा यह सुझाव सबको पसन्द आया, और सभी इस पर सहमत हो गए । फिर क्या, हम चारों मित्र अपने निश्चय के अनुसार दूसरे दिन ही चिड़ियाघर की सैर के लिए अपने- अपने घर से रवाना हुए । हम लोग दिल्ली का चिड़ियाघर देखने के लिए एक साथ बस में बैठकर चिड़ियाघर पहुँच गए ।
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दिल्ली का चिड़ियाघर दिल्ली के पुराने किले के पास ही है । दिल्ली का पुराना किला अर्थात कौरव-पाण्डवों का किला के साथ ही दिल्ली का चिड़ियाघर नजर आने लगता है तथा लगभग गोलाकार रूप में दिखाई देता है । इस तरह यह चिड़ियाघर लगभग कई किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है । इसकी सीमा चारदीवारी से घिरी हुई है ताकि कोई जानवर इससे बाहर न जा सके । जानवरों की सुरक्षा देखभाल और उनसे होने वाले खतरों से बचाने की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी और महत्त्वपूर्ण सिद्ध होती है ।
चिड़ियाघर के मुख्य द्वार पर हमने और लोगों की तरह प्रवेश टिकट लिए । इसके बाद चिड़ियाघर में प्रवेश किया । सभी लोगों की तरह हम लोगों ने भी परम्परागत ढंग से, एक ओर से चिड़ियाघर के जानवरों को देखने का सिलसिला शुरू किया । सबसे पहले हमने विभिन्न प्रकार के जल-जीव देखे ।
हमने देखा कि, तालाब में तैरती हुई बत्तखें बड़ी ही स्वतंत्रतापूर्वक दर्शकों का ध्यान अपनी ओर बार-बार आकर्षित कर रही हैं । उसी तरह हमने देखा कि रंग-बिरंगी मछलियाँ सबके मन को लुभा रही हैं । हमने और जल जीवों को देखा । एक-दूसरे से काफी भिन्न थे ।
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मगरमच्छ को भी निकट से देखा । हमने देखा कि, यह जल में और जमीन पर बड़ी खुशी के साथ रह लेता है । कुछ आगे बढ़ने पर हमने देखा कि, हरी भरी जमीन पर शाकाहारी जानवर विचरण कर रहे हैं । उनमें गाय, घोड़ा, चमरी गाय, नील गाय, हाथी, व ऊँट तथा हिरन आदि प्रमुख थे । इस प्रकार के शाकाहारी जानवरों में गैंडा बड़ा ही अद्भुत और आकर्षक जानवर था । इस जानवर की यह खास विशेषता होती है कि यह हमेशा पानी के गढ्ढे में ही रहता है ।
चिड़ियाघर की सैर के अंतिम समय में हमने वनमानुष को देखा । इसे देखकर हमने अनुभव किया, कि किस तरह मनुष्य प्राचीनकाल में अज्ञानता से ढका हुआ था । शाम होते-होते हम चिड़ियाघर की पूरी सैर कर चुके थे । घर आते- आते रात हो गयी । शाम को बड़े अजीब – अजीब और रोचक सपने आए जो चिड़ियाघर की सैर से प्रभावित थे । हमने केवल सैर ही नहीं की ज्ञान भी अर्जित किया । हम आज भी उस सैर को नहीं भूल पाए हैं ।