पुष्प की आत्मकथा पर निबंध | Essay on Autobiography of Flower in Hindi!

आपने अब तक तरह-तरह के फूल देखे होंगे । कितने-कितने सुंदर हैं ! वृंत पर झूमते हुए देखकर उन्हें तोड़ने तथा अपने पास तरो-ताजा रखने के लिए हाथ उनकी ओर बढ़ जाता है । किंतु मैं उन फूलों में से नहीं हूँ । मुझे आप आसानीसे नहीं तोड़ सकते ।

मैं आपकी पहुँच से बहुत दूर हूँ । में धरती पर उत्पन्न नहीं होता । मेरा पौधा जल में उत्पन्न होता है, इसलिए मेरा एक नाम ‘जलज’ भी है; लेकिन संसार में मैं ‘कमल’ के नाम से प्रसिद्ध हूँ । संस्कृत में पद्‌म, पंकज, पंकरूह, सरसिज, सरोज, जलजात, नीरज, वारिज, अंबुज, अरविंद, तामरस, इंदीवर, कुवलय, वनज आदि मेरे नाम है । फारसी में मुझे ‘नीलोफर’ और अंग्रेजी में ‘लोटस’ कहते हैं ।

मैं संसार का लोकप्रिय फूल हूँ । मैं भारत का राष्ट्रीय पुष्प हूँ । मेरा तना कमलिनी, नलिनी, पद्मिनी आदि नामों से प्रसिद्ध है । मैं भारत के सभी उष्ण भागों में तथा ईरान से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक पाया जाता हूँ । मेरा रंग श्वेत, गुलाबी या नीला होता है ।

मेरे पत्ते लगभग गोल, ढाल जैसे होते हैं । पत्तों के लंबे वृंतों और नसों से एक प्रकार का रेशा निकाला जाता है । इससे मंदिरों के दीपों की बत्तियाँ बनाई जाती हैं । इससे वस्त्र भी बनाए जाते हैं । इन वस्त्रों के धारण करने से अनेक प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं ।

मेरे कमलनाल लंबे, सीधे और खोखले होते हैं । वे गहरे जल के नीचे कीचड़ में चारों ओर फैल जाते हैं । तनों की गाँठों पर अनेक जड़ें निकलती हैं । मेरे तनों को ‘मृणाल’ कहते हैं । मैं पानी में कभी नहीं डूबता । ज्यों-ज्यों पानी बढ़ता जाता है, त्यों-त्यों मेरा तना भी बढ़ता जाता है । मेरे इस प्रकार के जीवन से लोगों को संसार में मेरे जैसा जीवन व्यतीत करने की शिक्षा मिलती है । इस शिक्षा के प्रभाव से वे सांसारिक माया-मोह से ऊपर उठकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं ।

मेरे तने के प्रत्येक भाग के अलग-अलग नाम हैं । उनका उपयोग आयुर्वेदिक, ऐलोपैथिक और यूनानी औषधियों के निर्माण में होता है । चीन और मलाया के निवासी भी औषधियों के रूप में उनका उपयोग करते हैं । मेरा मधु नेत्रों की ज्योति-वृद्धि के लिए अत्यंत लाभदायक होता है । मेरे फल को ‘कमलगट्‌टा’ कहते हैं । कमलगट्‌टे का उपयोग औषधि के रूप में होता है । इनके बीजों को भूनकर मखाने बनाए जाते हैं । तनों का शाक अत्यंत स्वादिष्ट और स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होता है ।

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मैं एक पवित्र फूल हूँ । माया-मोह रूपी जल से निर्लिप्त रहने के कारण मैं मंदिरों और देवालयों की शोभा हूँ । मेरा उपयोग पूजा और शृंगार में होता है । भारत की पौराणिक गाथाओं में मेरा विशेष स्थान है । पुराणों में ब्रह्मा को विष्णु की नाभि से निकले हुए कमल से उत्पन्न बताया गया है ।

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इस प्रकार ब्रह्मा को जन्म देने का श्रेय मुझे ही प्राप्त है । मैं लक्ष्मीजी का आसन हूँ । इसीलिए लक्ष्मीजी को लोग ‘पद्‌म कमला’ अथवा ‘कमलासना’ कहते हैं । चतुर्भुज विष्णु भी शंख, चक्र और गदा के साथ मुझे धारण करते हैं । गणेश, शिव और सरस्वती का भी मैं प्रिय पुष्प हूँ । भगवान बुद्ध की जितनी मूर्तियाँ मिलती हैं, उनमें मेरा विशेष स्थान है ।

मिस्र देश की धार्मिक पुस्तकों और देव-स्थानों की चित्रकारी में मेरा प्रमुख स्थान है । भारतीय मंदिरों तथा देवालयों में भी मेरे चित्र अथवा संकेत पाए जाते हैं । भारतीय साहित्य में भी मेरा बहुत मान है । कवि नायक-नायिका के हाथ-पैरों की उपमा मेरी जाति के लाल कमल से देते है । आँखों की उपमा मेरे सजातीय नीलकमल से दी जाती है । इस प्रकार मैं भारतीय कवियों का भी प्रिय पुष्प हूँ ।

उनका ऐसा विश्वास है कि सूर्योदय होने पर मैं खिलता हूँ और सूर्यास्त होने पर संकुचित हो जाता हूँ । संस्कृत काव्यों में मेरे तनों का वर्णन हंसों और हाथियों के प्रिय भोजन के रूप में मिलता है । मेरे पत्तों से बने हुए पंख तथा मृणाल-खंड विरहिणियों की संताप-शांति के साधन के रूप में वर्णित किए गए हैं ।

मेरी प्रातःकालीन शोभा अत्यंत दिव्य होती है । उस समय आप चारों ओर पर्वत से घिरी हुई किसी विस्तृत झील के तट पर खड़े हो जाइए । उस झील के लहराते हुए जल के साथ क्रीड़ा करते हुए मेरी जाति के सैकड़ों पुष्प अपनी स्वर्गीय आभा एवं सुगंध से आपका स्वागत करेंगे और आपका चंचल मन उनमें इतना रम जाएगा कि आप वहाँ से हटने का नाम भी नहीं लेंगे ।

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