Here is a compilation of Essays on ‘Computers’ for Class 5,6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Computers’ especially written for School and College Students in Hindi Language.

List of Essays on Computers


Essay Contents:

  1. कम्प्यूटर – आज की आवश्यकता | Essay on Computers in Hindi Language
  2. कंप्यूटर का महत्व | Essay on the Importance of Computer for School Students in Hindi Language
  3. हमारे जीवन में कंप्यूटर की उपयोगिता  | Essay on the Importance of Computer in Our Lives for School Students in Hindi Language
  4. कम्प्यूटर (संगणक) विज्ञान की नवीनतम देन | Essay on Computer for College Students in Hindi Language
  5. कम्पयूटर: क्रांति का उद्‌घोषक | Essay on Computer: Beginning of a Revolution for College Students in Hindi Language

1. कम्प्यूटर – आज की आवश्यकता | Essay on Computers in Hindi Language

20वीं सदी में कम्प्यूटर क्षेत्र में आयी क्रान्ति के कारण सूचनाओं की प्राप्ति और इनके संसाधन में काफी तेजी आयी है । इस क्रांति के कारण ही हर किसी क्षेत्र का कम्प्यूटरीकरण सँभव हो पाया है ।

स्थिति यह है कि माइक्रो प्रोसेसर के बिना अब किसी मशीन की कल्पना भी नहीं की जा सकती । पिछले चार दशकों में कम्प्यूटर की पहली चार पीढ़ियां क्रमश: वैक्यूम ट्‌यूब तकनीक, ट्रांजिस्टर और प्रिंटेड सर्किट तकनीक, इंटिग्रेटेड सर्किट तकनीक और वैरी लार्ज स्केल इंटिग्रेटेड तकनीक पर आधारित थी ।

चौथी पीढ़ी की तकनीक में माइक्रो प्रोसेसरों का वजन केवल कुछ ग्राम तक ही रह गया । आज पांचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर तो कृत्रिम बुद्धि वाले बन गये हैं । वास्तव में कम्प्यूटर एनालॉग या डिजिटल मशीनें ही हैं । अंकों को एक सीमा में परस्पर भिन्न भौतिक मात्राओं में परिवर्तित करने वाले कम्प्यूटर एनालॉग कहलाते हैं ।

जबकि अंकों का इस्तेमाल करने वाले कम्प्यूटर डिजिटल कहलाते हैं । एक तीसरी तरह के कम्प्यूटर भी हैं जो हाइब्रिड कहलाते हैं । इनमें अंकों का संचय और परिवर्तन डिजिटल रूप में होता है लेकिन गणना एनालॉग रूप में होती है । विज्ञान क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का आयाम जुड़ने से हुई प्रगति ने हमें अनेक प्रकार की सुविधाएं प्रदान की हैं ।

इनमें मोबाइल फोन, कम्प्यूटर तथा इंटरनेट का विशिष्ट स्थान है । कम्प्यूटर का विकास गणना करने के लिए विकसित किये यंत्र केलकुलेटर से जुड़ा है । इससे जहाँ कार्य करने में समय कम लगता है वहीं मानव श्रम में भी कमी आई है । यही कारण है कि दिन-प्रतिदिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है ।

पहले ये कुछ सरकारी संस्थानों तक ही सीमित थे लेकिन आज इनका प्रसार घर-घर में होने लगा है । जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ समस्यायें भी तीव्र गति से बढ़ती जा रही हैं । इन समस्याओं से जूझना व उनका समुचित हल निकालना मानव के लिए चुनौती रहा है । इन समस्याओं में एक समस्या थी गणित की । इस विषय की जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आवश्यकता पड़ती है ।

प्रारंभ में आदि मानव उंगलियों की सहायता से गणना करता था । विकास के अनुक्रम में फिर उसने कंकड़, रस्सी में गांठ बांधकर तथा छड़ी पर निशान लगाकर गणना करना आरम्भ किया । करीब दस हजार वर्ष पहले अबेकस नामक मशीन का आविष्कार हुआ । इसका प्रयोग गिनती करने तथा संक्रियायें हल करने के लिए किया जाता था ।

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यांत्रिक केल्कुलेटर का उद्‌गम दो गणितज्ञों ब्लेज पास्कल और गॉट फ्राइड विलहेम के कार्यों में खोजा जा सकता है । चार्ल्स बेवेज ने जोन नेपियर द्वारा खोजे गये लघु गुणक अंकणों को समाहित कर सकने वाली ऑल परपज केल्कुलेटिंग मशीन बनाने का विचार किया था । आधुनिक कम्प्यूटर क्रांति बीसवीं सदी के चौथे दशक में आरम्भ हुयी थी ।

1904 में खोजे गये थर्मीयोनिक को वैज्ञानिक विनविलयन्स ने 1931 में गणक यंत्र के रूप में उपयोगी पाया था । हावर्ड एकेन द्वारा निर्मित हावर्ड मार्क एक कम्प्यूटर विश्व का पहला डिजिटल कम्प्यूटर था । जिसमें इलेक्ट्रो-मेकेनिकल यंत्रों का प्रयोग किया गया था । इसे 1944 में इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (आईबीएम) और हावर्ड विश्वविद्यालय ने मिलकर विकसित किया था ।

1946 में विश्व का पहला पूरी तरह से इलेक्ट्रोनिक डिजिटल कम्प्यूटर बना । पहली पीढ़ी का यह कम्प्यूटर वैक्यूम ट्‌यूब टेकनालजी पर आधारित था । इसमें दस अंकों वाली बीस संख्याओं को संचित किया जा सकता था । इसकी कार्य करने की गति बहुत तेज थी । उदाहरण के लिए यह दस अंकों का दो संख्याओं का गुणनफल तीन मिली सेकेण्ड में निकाल सकता था और प्रति सेकेण्ड पांच हजार योग कर सकता था ।

इसके बाद 1973 में जर्मन के दार्शनिक व गणितज्ञ गॉट फ्राइड ने केलकुलेटर नामक यंत्र विकसित किया । 1944 में पहला विद्युत चालित कम्प्यूटर बना । तब से लेकर अब तक इसमें कई तरह के बदलाव आये हैं । वर्तमान में कम्प्यूटर के कार्य करने की गति इतनी तीव्र हो गयी है कि वह किसी भी गणना को करने में सेकेण्ड का दस खरबवें भाग जितना समय लेता है ।

इसके अलावा उससे अन्य कई तरह के कार्य भी लिये जा सकते हैं । चार्ल्स बेवेज पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 19वीं शताब्दी के आरम्भ में सबसे पहला कम्प्यूटर बनाया । इसकी विशेषता यह थी कि यह बड़ी गणनाओं को करने तथा उन्हें मुद्रित करने की क्षमता रखता था ।

भारत में शुरुआती दौर में कम्प्यूटरों का इस्तेमाल काफी सीमित था लेकिन वर्तमान में बैंक, अस्पताल, प्रयोगशाला, अनुसधान केन्द्र, विद्यालय सहित ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां कम्प्यूटर का इस्तेमाल न किया जाता हो । वर्तमान में कम्प्यूटर संचार का भी एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है ।

कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से देश के प्रमुख नगरों को एक दूसरे के साथ जोड़े जाने की प्रक्रिया जारी है । भवनों, मोटर-गाड़ियों, हवाई जहाजों आदि के डिजाइन तैयार करने में कम्प्यूटर का व्यापक प्रयोग हो रहा है । अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर ने अद्‌भुत कमाल कर दिखाया है । इसके माध्यम से करोड़ों मील दूर अंतरिक्ष के चित्र लिए जा रहे हैं । मजे की बात यह है कि इन चित्रों का विश्लेषण भी कम्प्यूटर द्वारा ही किया जा रहा है ।

कम्प्यूटर नेटवर्क द्वारा देश विदेश को जोड़ने को ही इंटरनेट कहा जाता है । नेटवर्क केवल एक ही कम्प्यूटर से नहीं जुड़ा होता अपितु कई सारे कम्प्यूटर जो देश-विदेश में हैं को इंटरनेट नेटवर्क द्वारा आपस में जोड़ता है । इंटरनेट की शुरूआत 1969 में अमेरिका के रक्षा विभाग ने शुरू की थी । 1990 में इसका व्यक्तिगत व व्यापारिक सेवाओं में भी प्रयोग किया जाने लगा ।

वर्तमान में इसके प्रयोगकर्ता पच्चीस प्रतिशत की दर से प्रति माह बढ़ रहे हैं । इंटरनेट द्वारा हम एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर उपस्थित व्यक्ति को संदेश भेज सकते हैं । उससे आवश्यक जानकारी हासिल कर संकते हैं । यह कम समय में दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से संवाद स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम है ।

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इसके अलावा इसकी अन्य कई विशेषतायें भी हैं । कम्प्यूटर चाहे कम समय में मानव से ज्यादा काम कर ले और वह भी बिना किसी त्रुटि के लेकिन वह मानव मस्तिष्क से तेज नहीं माना जा सकता । क्योंकि इसका आविष्कार करने वाला मनुष्य ही है । इसलिए कम्प्यूटर से श्रेष्ठ मानव है ।

कम्प्यूटर उपयोगी होते हुए भी मशीन के समान है । वह मानव के समान संवेदनशील नहीं हो सकता । मनुष्य को कम्प्यूटर को एक सीमा तक ही प्रयोग में लाना चाहिए । मनुष्य स्वयं निष्क्रिय न बने बल्कि वह स्वयं को सक्रिय बनाये रखे तथा अपनी क्षमता को सुरक्षित रखे ।


2. कंप्यूटर का महत्व | Essay on the Importance of Computer for School Students in Hindi Language

कंप्यूटर विज्ञान का एक ऐसा अविष्कार है जिसकी चर्चा सारे विश्व में हो रही है । कंप्यूटर विज्ञान की अदभुत देन है । कप्यूटर की उपयोगिता को देखते हुए आज के युग को कंप्यूटर युग कहा जाता है । आने वाले युग में सभी निर्णय कंप्यूटर ही करेगा तथा मनुष्य हाथ पर हाथ धरे बैठा रहेगा ।

कंप्यूटर वास्तव में आज की सर्वाधिक आवश्यकता बन गया है । कंप्यूटर क्या है ? यह प्रश्न सामने आता है । प्राचीन काल से ही मानव अंकगणित का प्रयोग करता आ रहा है । इसी से लगभग चार हजार वर्ष पहले एक विधि ‘गणकपटल’ का तथा सरल बनाया गया ।

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यह गणकपटल आयताकार होता था जिसमें कहीं तार समानांतर लगे होते थे और तारों के बीच गोल दाने होते थे ये गोल दाने तार के इस सिर से उस सिरे तक सरलता से खिसकाए जा सकते थे । आज भी यह गणक पटल छोटे बच्चों को गिनती या पहाड़े याद कराने के काम आता है ।

कंप्यूटर को सबसे पहले चार्ल्स बैबज ने 1946 ई. में बनाया था । पहले कंप्यूटर का नाम एनिएक था । उसके बाद तो कंप्यूटर की अनेक पीढ़ियाँ आ चुकी हैं । वर्तमान युग कंप्यूटर का युग है । यह एक ऐसा यंत्र है जो बिजली की शक्ति से संचालित होता है ।

यह मानव मस्तिष्क से भी तीव्र गति से गणना कर सकता है । जोड़, भाग, गुणा, घटा आदि के साथ-साथ लघुत्तम, महत्तम एवं प्रतिशत आदि अनेक गणनाएँ यह बड़ी तीव्र गति से कर सकता है । सुपर कंप्यूटर एक सैंकड़ में करोड़ों गणनाएँ कर सकता है ।

आज अमेरिका, रूस, फ्राँस, जर्मनी, हालैंड स्वीडन, ब्रिटेन आदि से इसे मानव मस्तिष्क का दर्जा मिल चुका है । भारत में भी कप्यूटर विज्ञान का तीव्रता से विकास हो रहा है तथा हर क्षेत्र में उसकी सहायता लेकर कार्य क्षमता को बढ़ावा दिया जा रहा है ।

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इसके उपयोग कारखानों में कल पुर्जे बनाने, डाक छाँटने, रेल मार्ग संचालन तथा टिकट बाँटना, शिक्षा, मौसम की जानकारी, वैज्ञानिक अनुसंधान, अंतरिक्ष विज्ञान, परिवहन व्यवस्था, विमान परिवहन, चिकित्सा, व्यापार, वीडियो खेल, मुद्रण के साथ बिलियर्ड और शतरंज आदि के खेल बखूबी से खेलता है ।

हमारे देश में सबसे पहला कंप्यूटर सन् 1961 ई. में आया था । तब से आज तक दूसरे देशों में काफी कंप्यूटर हमारे देश में आए और अब ये यहाँ भी बनाए जा रहे हैं । इस समय यहाँ पर हजारों की तादाद में कंप्यूटर हमारी बहुत मदद कर रहे हैं । बिजली के बिल बनाने व भेजने में इनका उपयोग किया जा रहा है ।

बैंकों में इसका उपयोग काफी सफल रहा है । पर्चों को जांचने में भी इसका प्रयोग हो रहा है । संघ लोक सेवा आयोग की प्राथमिक परीक्षा देने के लिए विशेष किस्म की उत्तर शीटें दी जाती हैं । इन्हें सीधे कंप्यूटर में भेजकर परीक्षार्थी के अंक पता लग जाते हैं ।

इसकी मदद से पुस्तकें महीनो के स्थान पर दिनों में तैयार हो जाती हैं । यह एक घंटे में 20 सहस्र उत्तर शीटों की जांच कर सकता है । आज कम्पूटर सभी क्षेत्रों में हमारी मदद कर रहा है । विद्यालयों में भी विद्यार्थियों को इसका शिक्षण दिया जा रहा है ।

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टिकटों के आरक्षण, समान की देखभाल और विमान में काम पर लगाने तथा वायु परिवहन को सुचारू रूप से चलाने के लिए भी कम्प्यूटर पर निर्भर है । आज कंप्यूटर मानव जीवन के लिए सबसे अधिक उपादेय है ।

कंप्यूटर को मानव मस्तिष्क से श्रेष्ठ से श्रेष्ठ नहीं कहा जा सकता क्योंकि कंप्यूटर प्रणाली का जन्मदाता भी तो मानव-मस्तिष्क ही है । साथ ही मानव मस्तिष्क में जो चिंतन-क्षमता, अच्छे-बुरे की परख तथा अनुभूति सामर्थ्य है, वह कंप्यूटर में नहीं है । मानव मस्तिष्क कंप्यूटर की भांति भावना शून्य नहीं है ।


3. हमारे जीवन में कंप्यूटर की उपयोगिता  | Essay on the Importance of Computer in Our Lives for School Students in Hindi Language

एक समय था, जब लोगों के पास गणना करने के लिए कुछ भी नहीं था । वे लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़ों का इस्तेमाल करते थे, दानेदार वस्तुओं का भी उपयोग करते थे । दिन-महीने याद रखने के लिए दीवारों पर चिह्न बना लिया करते थे ।

सन् १८३३ में एक और मशीन तैयार की गई, जिसे चार्ल्स बैबेज ने तैयार किया था । उसका नाम ‘ डिफरेंस मशीन’ (Difference Machine) रखा गया था । उस मशीन में कई पहिए लगे हुए थे । उन पहियों को घुमाने से गणितीय प्रश्नों के हल मिलते थे ।

उस मशीन में एक बहुत बड़ा दोष था, जिसके चलते वह अधिक सफल नहीं रही । दोष यह था कि उस मशीन से एक ही काम लिया जा सकता था । चार्ल्स बैबेज ने एक नए प्रकार की मशीन तैयार करने का निर्णय लिया । चार्ल्स बैबेज ने अपने प्रयासों के चलते एक नए प्रकार की मशीन बना ली ।

उस मशीन में ‘प्रोग्राम’ बनाकर प्रश्नों को हल किया जा सकता था । उस मशीन का नाम ‘एनालिटिकल इंजन’ (Analytical Engine) रखा गया । चार्ल्स ने जो सिद्धांत उस इंजिन को बनाने के लिए अपनाया था, आज कंप्यूटर में भी उसी सिद्धांत का इस्तेमाल किया जाता है ।

इसीलिए चार्ल्स बैबेज को ‘कंप्यूटर का जनक’ कहा जाता है । हाँ, चार्ल्स बैबेज ने एनालिटिकल इंजन बनाने का जो सिद्धांत दिया था, उसे पूरा करने से पूर्व ही उसकी मृत्यु हो गई थी । उसके इस अधूरे कार्य को उसकी एक प्रिय मित्र लेडी एडा (Lady Ada) ने पूरा किया था । इस तरह दुनिया का सबसे पहला प्रोग्रामर लेडी एडा को माना जाता है ।

चार्ल्स बैबेज और ब्लेज पास्कल द्वारा बनाई गई मशीनें पूरी तरह से यांत्रिकीय थीं । वहीं ‘हर्मन हॉलरिथ’ (Herman Hollerith) ने सबसे पहले विद्युत्-शक्ति का प्रयोग करके एक मशीन का आविष्कार किया और उस मशीन का नाम ‘टेबुलेटर’ (Tabulator) रखा ।

टेबुलेटर के आविष्कार से अंकगणित के प्रश्नों के हल आसान हो गए । हर्मन हॉलरिथ ने अपने आविष्कार को बेचने के लिए एक कंपनी बनाई । उस कंपनी का नाम ‘टेबुलेटिंग कंपनी ‘ रखा गया था । आगे चलकर ‘टेबुलेटिंग कंपनी’ में अनेक कंपनियाँ मिल गईं । ऐसे में उसका नाम बदला गया ।

उसका नाम ‘आई.बी.एम.’ (I.B.M. : International Business Machine) रखा गया । आज की दुनिया में सबसे ज्यादा कंप्यूटर बनानेवाली कंपनी आई.बी.एम. ही है । सन् १९४३ में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ‘हावार्ड आइकेन’ ने एक अन्य मशीन का आविष्कार किया ।

उसका नाम ‘मार्क- १’ (Mark-1) रखा गया । दो वर्षों के बाद सन् १९४५ में संयुक्त राज्य अमेरिका में एक इलेक्ट्रानिक कंप्यूटर का आविष्कार किया गया । उसका नाम ‘एनिएक’ (E.N.I.A.C.: Electronic Numeric Integrator and Calculator) था ।

इस तरह आधुनिक कंप्यूटर का आगमन हुआ । कंप्यूटर के प्रयोग से हमें तरह-तरह के लाभ हैं: कंप्यूटर बहुत ही कम समय में कोई भी कार्य पूरा कर देता है । इसकी गति ‘MOPS’ तक की होती है । कंप्यूटर द्वारा जो गणना की जाती है, वह बिलकुल सटीक होती है ।

कंप्यूटर बार-बार किए जानेवाले कार्य को भी बड़ी आसानी से करता है । वह व्यक्ति की तरह न तो थकता है और न ही अपनी जिम्मेदारी को नजरअंदाज करता है । कंप्यूटर अनेक लोगों का कार्य अकेले कर सकता है ।

इसकी मेमोरी ( स्मरण-शक्ति) बहुत ज्यादा होती है । आज का युग कंप्यूटर युग है । जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र बचा नहीं है, जिसमें कंप्यूटर का उपयोग न होता हो । शिक्षा, चिकित्सा-विज्ञान, वाणिज्य, बैंकिंग क्षेत्र तो इस पर पूरी तरह निर्भर हैं ।


4. कम्प्यूटर (संगणक) विज्ञान की नवीनतम देन | Essay on Computer for College Students in Hindi Language

प्रस्तावना:

आवश्यकता आविष्कार की जननी है । अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए ही मानव हमेशा नवीनतम आविष्कार करता आया है । उसने हुतगामी आवागमन के साधन बना लिये हैं ।

अपनी सुख-सुविधाओ के लिए प्राकृतिक साधनों का दोहन कर उन्हें अपना अनुचर बना लिया है । अत्यन्त विकट समस्याओं के हल को भी वह मशीनो द्वारा करना चाहता है । इसी आवश्यकता का आविष्कार है कम्प्यूटर । यह कठिनतम प्रश्नों व समस्याओ को हल करने का सरलतम साधन है ।

तात्पर्य व स्वरूप:

कम्प्यूटर का आविष्कार वर्तमान शताब्दी की महानतम उपलब्धियों में से एक है । इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी को यह जानकारी रखना आवश्यक है कि कम्प्यूटर क्या है और वह कैसे काम करता है ? कम्प्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक यत्र है ।

कम्प्यूटर का काम है अभिकलन व परिकलन करना । प्रारम्भ में यह केवल गणित के क्षेत्र में प्रयुक्त होने के लिये बनाया गया था । अभिकलन में योग, गुणन, व्यकलन, विभाजन, वर्गमूल ज्ञात करना जैसी सभी सक्रियाएँ सम्मिलित होती हैं ।

इन सबको तुरन हल करना कम्प्यूटर का काम है । अब इसका काम केवल गणित के सवाल निकालने तक ही सीमित नहीं रह गया है, अब इसका क्षेत्र अत्यन्त व्यापक हो चुका है । अब यह हर प्रकार की समस्याओ का हल करने वाला यंत्र बन चुका है ।

कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली:

विभिन्न समस्याओं के हल के लिए बनाये गये यंत्र को कम्प्यूटर कहते हैं । परन्तु इस बात से हम यह अर्थ न निकाले कि कम्प्यूटर कोई मानवेतर वस्तु है । यह कोई जादू की छड़ी नही है कि मन्तर करते ही काम हल हो जायेगा ।

यह कोई ईश्वरीय शक्ति नही जो असम्भव को सम्भव करके दिखा दे । हीं यह जादू व ईश्वरीय शक्ति की तरह काम करने में सक्षम है । लेकिन यह मानव कृत है । यह उन्ही समस्याओ को हल कर सकता है जिसका हल मानव कर सकता है चाहे उसको करने में समय अधिक लगता हो या उसको कई लोग मिलकर हल करते रहे हों ।

कम्प्यूटर में किसी समस्या या उसके हल को अकित किया जाता है । एक हल जो कई लोगो ने मिलकर दीर्घ काल मे किया वह हल कम्प्यूटर में अंकित किया जाता है । जब कोई व्यक्ति मुरव्य हल को दृढता है तो उसका बटन दबाने से वह हल उसके सामने आ जाता है, जोकि उसमे पहले से ही अंकित है ।

जैसे एक केलक्यूलेटर में सभी अको के योग, व्यकलन, गुणन, विभाजन, वर्गमूल आदि हलकर अकित किये जाते हैं । अब जब हम कुछ सख्याओ का योग करते हैं तो बटन दबाते ही उसका योग हमारे सामने आ जाता है ।

वह योग उस केलक्यूलेटर में पहले से ही अकित रहता है जो बटन दबाते ही हमारे सामने आ जाता है । कई ऐसी संस्थाएं जिनका हल उसमें अकित नहीं है तो बटन दबाने से उनका हल हमारे सामने नही आयेगा क्योंकि उनका हल उसमें अंकित नहीं है ।

इसी प्रकार से संसार की अन्य समस्याएँ है । उनके हल उनके विशेषज्ञों से पूछकर कम्प्यूटर में अंकित कर लिये जाते हैं । आवश्यकता पड़ने पर उनका हल हम बटन दबाते ही मालूम कर लेते हैं । एक कम्प्यूटर में लाखों समस्याओं के हल अकित कर लिये जाते है ।

प्रत्येक सम्भावित समस्याए व सम्भावित हल उसमे अंकित कर दिये जाते है । यदि कोई समस्या ऐसी है जिसका हल अभी तक कम्प्यूटर में अंकित नही किया गया तो कम्प्यूटर में भी उसका उत्तर ‘सौरी’ कहकर आ जायेगा ।

कम्प्यूटर की विशेषताएं:

कम्प्यूटर एक बड़ा आज्ञाकारी यन्त्र है । वह अनुदेशों का पालन बड़ी कर्त्तव्य परायणता से करता है । वह एकाकी लम्बे और बार-बार दुहराने वाले कार्य से नहीं थकता है और बड़ी तीव्र गति वाला होता है । यह जानकर अति आश्चर्य होता है कि वर्तमान कम्प्यूटर प्रति सेकिन्ड में दस लाख योग सक्रियाएँ कर सकता है । परन्तु इसमें प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें एक ही यन्त्र में लाखों एव करोड़ों हल अंकित करने की प्रबल क्षमता होती है ।

भारत में कम्प्यूटर के कार्य:

भारत में गणित के क्षेत्र में कम्प्यूटर ने बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है । भारतीय रेल प्रशासन ने दिल्ली में जनता द्वारा यात्रा के आरक्षण के लिए कम्प्यूटरों का प्रवेश कर दिया है । वे इस सुविधा को अन्य स्थानो पर भी उत्तरोत्तर प्रवेश कराने जा रहे हैं ।

बड़े संगठन जैसे भारतीय जीवन बीमा निगम आदि अनेक कार्यो में कम्प्यूटर का प्रयोग कर रहे हैं । कई परीक्षा परिषदे और विश्वविद्यालय भी अपने परीक्षा परिणामो को तैयार करने में कम्प्यूटरो का प्रयोग करते हैं ।

व्यापक रूप में कृत्रिम उपग्रहों को आकाश में लोटने और विशेष रूप से चन्द्रमा पर मनुष्य को भेजने, उड़ान के नियन्त्रण के लिए कम्प्यूटरों का अधिक प्रयोग होता है । चुनावो का परिणाम व परीक्षाओं के फल भी कम्प्यूटर की सहायता से निकाले जाते है । इस प्रकार कम्प्यूटर मानब जीवन के प्रत्येक कार्यकलाप को प्रभावित कर रहा है ।

उपसंहार:

कम्प्यूटर का भविष्य बड़ा उज्वल है, परन्तु कम्प्यूटर ने मानव को पंगु बना दिया है । कई लोगों का काम अकेले करने के कारण कम्प्यूटर से समाज में बेकारी की समस्या भी पैदा हो सकती है इसलिए हमें उन कार्यो के लिए भी कम्प्यूटर का सहयोग नहीं लेना चाहिए, जिन्हें हम सरलता से कर सकते हैं ।

हमें पूर्णरूपेण यन्त्रों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए । कम्प्यूटर से काम कठिन समस्याओ के हल के लिए ही लेना चाहिए, हमें उसका दास नही बनना चाहिए, अपितू उसको अपना मित्र बनाना चाहिए ।


5. कम्पयूटर: क्रांति का उद्‌घोषक | Essay on Computer: Beginning of a Revolution for College Students in Hindi Language

आज तक विश्व की जितनी भी सभ्यताएं फली-फूली हैं उनके मूल में किसी-न-किसी आविष्कार की मुख्य भूमिका अवश्य ही रही है चाहे वह लोहे का आविष्कार हो या ताँबे का । प्राचीन युग के लोहे और ताँबे के औजारों की भांति ही आधुनिक युग का जो आविष्कार आज सर्वव्यापी हो गया है उसे ‘कम्प्यूटर’ के नाम से जाना जाता है ।

कम्प्यूटर चमत्कारी आयामों वाला ऐसा आविष्कार है जिसने मानव-जीवन में क्रांति ला दी है । पिछले पचास वर्षों में मानव जीवन के जितने भी क्षेत्र हैं उनमें कम्प्यूटर ने अपना स्थान बना लिया है । आज कम्प्यूटर जीवन के प्रत्येक कार्यात्मक क्षेत्र, यथा-कृषि, वैज्ञानिक अनुसंधान, मौसम भविष्यवाणी, बैंक और वित्तीय संस्थान, अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी, संचार और मीडिया, औषधि, रेलवे, विमानन, यातायात नियंत्रण, डिजाइन, भाषा विज्ञान, साहित्य तथा मनोरंजन आदि में महत्चपूर्ण भूमिका निभा रहा है ।

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कम्प्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक युक्ति है । इसका प्रयोग गणना करने तथा सूचनाओं के प्रसंस्करण में किया जाता है । इसके माध्यम से अर्किडों को शीघ्रतापूर्वक व सही ढंग से निपटाया जा सकता है । यद्यपि कम्प्यूटर सोचने में सक्षम नहीं होता, परंतु इसका प्रयोग प्रत्येक क्षेत्र में किया जा सकता है ।

इसके संचालन के लिए एक मनुष्य और निर्देशों की एक अनुक्रमणिका, जिसे ‘प्रोग्राम’ कहा जाता है की जरूरत होती है । सूचनाओं का संग्रहण करने वाली इकाई मेमोरी कहलाती है । इसका प्रयोग करने के लिए एक ‘की-बोर्ड’ की व्यवस्था होती है जो कम्प्यूटर के साथ लगा होता है ।

कम्प्यूटर द्वारा निर्गत प्रसंस्करित कड़े इसकी स्कीन पर देखे जा सकते हैं तथा प्रिंटर की सहायता से इन्हें छपे हुए देखना भी संभव होता है । कम्प्यूटर के दो भाग होते हैं-मशीनी उपकरण तथा इलैक्ट्रॉनिक संबंधी भाग को ‘हार्डवेयर’ तथा दूसरे भाग को ‘सॉफ्टवेयर’ कहा जाता है जिसे ‘प्रोग्राम’ भी कहते हैं । अधिकतर कम्प्यूटर डिजिटल होते हैं तथा अंकों की द्विआधारीय पद्धति पर कार्य करते हैं ।

आज जिस भी क्षेत्र में कम्प्यूटरों का प्रयोग हो रहा है उसमें उनका कोई विकल्प नहीं मिल सका है । आज यह स्थिति है कि यदि कम्प्यूटरों का प्रयोग कुछ समय के लिए रोक दिया जाए तो समस्त उद्योगों तथा औद्योगिक प्रतिष्ठानों का काम ही ठप्प हो जाएगा ।

इनका प्रयोग प्रबंधन, संगठन और आयोजना से लेकर उत्पादन के क्षेत्र में न रिया जा रहा है । आज फैक्टरियों और खदानों आदि में खतरनाक तथा थका देने वाले कार्यो को करने में सक्षम रोबोट का संचालन भी कम्प्यूटर की सहायता से ही होता है ।

कम्प्यूटर द्वारा संभव हुए ‘स्वचालन’ की बदौलत बैंक और रेल सेवाएँ बेहतर हो चुकी हैं । इससे न केवल उपभोक्ताओं बल्कि कर्मचारियों ने भी राहत की साँस ली है । इसके अलावा व्यावसायिक लेन-देन तथा इससे जुड़े विस्तृत कड़ी को कम्प्यूटर की सहायता से सरलता के साथ संचालित किया जा सकता है ।

औषधि के क्षेत्र में भी विशेष रूप से औषधि अनुसंधान के क्षेत्र में बीमारियों और शारीरिक विसंगतियों के सही निर्धारण तथा उनके विशुद्ध और यथा तथ्य निदान में कम्प्यूटर का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है । बीमारियों के सही कारणों का पता लगाने तथा इलाज के सभी वैकल्पिक साधनों को प्रस्तुत करने में कम्प्यूटर सक्षम है ।

कम्प्यूटर ने वैज्ञानिक शोध तथा अंतरिक्ष गवेषणा के क्षेत्र में अपनी महत्ता पहले ही सिद्ध कर दी है । जटिलतम समस्याओं को भी क्षण भर में सुलझा लेने की सामर्थ्य के कारण इसने अभियांत्रिकी और तकनीकी के क्षेत्रों में क्रांति ला दी है ।

आज प्रत्येक अंतरिक्ष अभियान तथा उपग्रह प्रक्षेपण कार्यक्रम में कम्प्यूटरों का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाता है । इनसे संबंधित समस्त प्रक्रियाएँ-प्रक्षेपण कोण अपेक्षित वेग तथा प्रक्षेपण पथ की दिशा आदि का निर्धारण कम्प्यूटरों द्वारा ही किया जाता है ।

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सूचना और मीडिया के क्षेत्र में भी कम्प्यूटर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो चुकी है । इसने संपूर्ण विश्व को एक विश्व ग्राम जैसा लघु रूप दे दिया है । अब संसार के किन्हीं भी दो स्थानों में संपर्क साधन सुलभ हैं । ‘ई-मेल’ जैसी सुविधाओं की बदौलत सूचनाओं का आदान-प्रदान बहुत ही सस्ता व सुलभ हो गया है ।

भारत में भी हाइब्रिड मेल सेवा उपलब्ध है जिसके बल पर कम से कम समय में निर्धारित स्थान पर सूचनाएँ दी जा सकती हैं । निजी कम्प्यूटरों द्वारा लेखन और यहाँ तक कि घरेलू साज-सामान की देख-रेख का काम भी लिया जा रहा है ।

उपरोक्त सकारात्मक पहलुओं के साथ-साथ कम्प्यूटर के कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं । कम्प्यूटर स्कीन के निरंतर संपर्क में रहने से आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है । कम्प्यूटर पर लगातार काम करने वालों को जोड़ों के दर्द तथा गर्दन की हड्‌डी में विकार की शिकायत होने की संभावना रहती है ।

कम्प्यूटर के आँकड़ो का गलत प्रयोग भी एक समस्या बना हुआ है । कुछ भी हो यह सत्य है कि आज कम्प्यूटर भारत तथा भारत जैसे ही अन्य विकासशील देशों में विद्यालयों कार्यालयों तथा घरों की आवश्यकता बनता जा रहा है ।

कम्प्यूटर आज संपूर्ण विश्व में एक मूक क्रांति का उद्‌घोषक है । दुनिया कम्प्यूटर की है तथा आने वाला मुग पूरी तरह से कम्प्यूटर का ही युग होगा । कम्प्यूटर का प्रयोग रचनात्मक कार्यो में होता है अथवा विध्वंसक कार्यो में यह मनुष्य के अपने विवेक पर निर्भर करता है ।


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