स्वतंत्रता दिवस (१५ अगस्त) | Essay on Independence Day (15th August) in Hindi!
१५ अगस्त हमारा स्वतंत्रता दिवस है । १५ अगस्त, १९४७ को भारत स्वतंत्र हुआ । इससे पहले हम पराधीन थे । हमोर देश पर अंग्रेजों का शासन था । हम अपने ही देश में गुलामों की तरह रह रहे थे ।
एक लंबे संघर्ष के बाद हमने स्वतंत्रता प्राप्त की थी । तब से हमारा शासन हमोर देश में आया । इसी दिन हमने दासता की जंजीरों को काट फेंका । इसीलिए १५ अगस्त की तिथि हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है । भारतवासियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध सन् १८५७ में अपनी स्वतंत्रता के लिए प्रथम बड़ा प्रयास किया था ।
इसे ‘१८५७ का स्वतंत्रता संग्राम’ के नाम से जाना जाता है । स्वतंत्रता के इस प्रथम संघर्ष मैं हम पराजित हुए; फिर भी हमने हार नहीं मानी और अपनी भूलों को सुधारने का प्रयास किया । दूसरी ओर, स्वामी दयानंद सरस्वती और राजा राममोहन राय जैसे नेताओं ने समाज के नैतिक, सामाजिक और शैक्षिक धरातल को ऊँचा उठाने का प्रयास किया ।
उन्होंने देशभक्ति, स्वतंत्रता के प्रति प्रेम, भारत माता की हीन दशा के प्रति हृदय में दुःख की भावना उत्पन्न की । यही नहीं, उन्होंने इस दीनता को दूर करने के लिए बल भी प्रदान किया । स्वामी दयानंद सरस्वती ने तो यहाँ तक कह दिया था- ”गंदे-से-गंदा स्वदेशी राज्य अच्छे-से-अच्छे विदेशी राज्य की अपेक्षा कहो अधिक श्रेष्ठ है ।”
इस प्रकार हममें आत्माभिमान की भावना का संचार हुआ । उसके बाद सन् १८८५ में ‘कांग्रेस’ का जन्म हुआ था । इसने आगे चलकर स्वतंत्रता-प्रेमियों को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया । दादाभाई नौरोजी, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, सुरेंद्रनाथ बनर्जी, लाला लाजपत राय, स्वामी श्रद्धानंद, महामना मदनमोहन मालवीय, देशबंधु चित्तरंजन दास, मोतीलाल नेहरू आदि नेताओं ने देशव्यापी दोलन को गति दी ।
महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता-आंदोलन का नेतृत्व अपने हाथों में लेकर अहिंसात्मक ढंग से लड़ाई लड़ी । लाखों की संख्या में भारतीय नर-नारी जेलों में ठूस दिए गए । कितने ही सत्याग्रहियों ने अंग्रेजी जुल्मों को सहा । एक ओर यह अहिंसात्मक आंदोलन चल रहा था, दूसरी ओर क्रांतिकारी नवयुवक जान हथेली पर लेकर अंग्रेजी सरकार से मुकाबला कर रहे थे ।
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इस कार्य में न जाने कितने भारतीय भारत माता की जय-जयकार करते हुए फाँसी के फंदे पर झूल गए । भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, बटुकेश्वर दत्त, रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद आदि क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी ।
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द्वितीय विश्वयुद्ध के समय महात्मा गांधी ने ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ आंदोलन छेड़ा । जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रमाद, आचार्य नरेंद्रदेव, जयप्रकाश नारायण और डॉ. राम मनोहर लोहिया जैसे नेता जेल में बंद कर दिए गए ।
दूसरी ओर नेताजी सुभाषचंद्र बोस देश के बाहर ‘आजाद हिंद फौज’ को संगठित करके भारत को स्वतंत्र कराने का प्रयास करते रहे । अंत में इन सब प्रयत्नों के फलस्वरूप १५ अगस्त, १९४७ को हमारा देश भारत स्वतंत्र हुआ था । अत: प्रतिवर्ष इस दिन को हम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं ।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं नगरों में प्रभात-फेरियाँ निकाली जाती हैं । स्कूल-कॉलेजों में झंडारोहण के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं । कार्यक्रम की समाप्ति पर राष्ट्रीय एकता, समानता और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा की जाती है और अंत में बच्चों में मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं । दिल्ली में तो और भी धूम मची रहती है । लाल किले की प्राचीर पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और राष्ट्र को संबोधित करते हैं ।
राज्य की राजधानियों में ध्वाजारोहण किया जाता है । तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है । रात के समय सरकारी भवनों पर रंग-बिरंगी रोशनी की जाती है । इस तरह से हमारा यह राष्ट्रीय पर्व बड़ी धूमधाम से संपन्न होता है । यह हमें आजादी की याद दिलाता है ।