पुस्तकालय पर निबन्ध | Essay for Kids on Library in Hindi!
1. भूमिका:
पुस्तकालय शब्द दो शब्दों के योग से बना है : पुस्तक और आलय अर्थात् पुस्तकों का घर । वास्तव में पुस्तकालय का अर्थ केवल पुस्तकों का घर नहीं बल्कि पुस्तकों के घर के रूप में ज्ञान का मंदिर (Temple of Knowledge) है ।
पुस्तकालय एक ऐसा स्थान है जहाँ किसी भी प्रकार की अच्छी पुस्तक के होने की संभावना (Probability) होती है और कोई भी व्यक्ति पुस्तक बिना खरीदे पड़ सकता है ।
1. प्रकार:
पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं – सार्वजनिक पुस्तकालय (Public library), संस्थागत या विभागीय पुस्तकालय (Institutional), निजी पुस्तकालय (Private Library इत्यादि । सार्वजनिक पुस्तकालय सरकार द्वारा चलाये जाते हैं और कुछ निजी संस्थाओं (Private Institution) द्वारा भी । सार्वजनिक पुस्तकालय सामान्य रूप से सभी लोगों के लिए होता है ।
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सदस्यता शुल्क (Membership fees) के रूप में कुछ राशि (Amount) देकर पुस्तकें घर लाकर भी पड़ी जा सकती हैं । विभागीय या संस्थागत पुस्तकालय स्कूल-कॉलेजों या सरकारी विभागों इत्यादि में होते हैं जिसका उपयोग (Use) उस स्कूल-कॉलेज या विभाग के व्यक्तियों के लिए ही होता है । व्यक्ति अपने घर के किसी कमरे में अच्छी पुस्तकों का संकलन (Collection) करके निजी पुस्तकालय बना सकता है ।
3. महत्त्व:
संसार में ज्ञान की जरूरत हर काल (Period) में और हर देश में होती है । जिस देश के लोगों में तरह-तरह की जानकारियाँ सबसे अधिक होती हैं, वहीं देश संसार में सबसे ऊँचा होता है और वही देश सब क्षेत्रों (Areas or fields) में प्रगति (Progress) कर सकता है ।
ज्ञान पाने का सबसे बड़ा और अच्छा मार्ग है पुस्तकालय । किसी प्राचीन (Ancient) विषय का अध्ययन (Study) करना हो या वर्तमान (Present) विषय का, विज्ञान और तकनीक (Science and Technology) का अध्ययन करना होया किसी कला या साहित्य का, कविताओं की कोई अच्छी पुस्तकचाहिए या किसी महापुरुष की जीवनी (Biography) सब कुछ एक स्थान पर यानी पुस्तकालय में हमें मिल सकता है ।
इतना ही नहीं, पुस्तकालय केवाचन कक्ष (Reading hall) में अनेक प्रकार के समाचार-पत्र (Newspaper), पत्रिकाएं (Magagine) आदि भी एकस्थान पर रखी मिल जाती हैं जिसमें से हम अपनी जरूरत के अनुसार पुराने या नये अंक देख सकते है ।
4. उपसंहार:
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जिस प्रकार किसी मंदिर में प्रवेश करने पर हमारा मन भगवान या देवी के प्रति श्रद्धा (Reverence) से भर जाता है, उसी प्रकार पुस्तकालय में प्रवेश करने पर हमारे मन में तरह-तरह की पुस्तकों के प्रति आकर्षण तथा ज्ञान की जिज्ञासा (Curiosity) बढ़ जाती है । हमें यदि ज्ञान पाने की जरूरत या शौक (Hobby) है तो हमें नियमित रूप से पुस्तकालय जाना चाहिए ।