समाचारपत्र पर निबन्ध | Newspapers in Hindi!

आज के युग में समाचारपत्र लगभग उतने ही आवश्यक हो गए हैं जितना भोजन और कपड़े । आधुनिक शिक्षित व्यक्ति के लिए तो यह एक अनिवार्य वस्तु है जिसे बिना समाचारपत्र को सामने रखे नाश्ते का ही मजा नही आता ।

विश्व इतनी तेजी से चलता है, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में घटनाएं इतनी तेजी से घटित होती है कि यदि आधुनिकतम घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी न हो तो जीवन में सफलता नहीं मिल सकती । यदि व्यक्ति प्रगति करना चाहता है तो उसे अद्यतन बातों का ज्ञान होना चाहिए ।

समाचारपत्रों का मुख्य कार्य जैसे नाम से ही स्पष्ट है, सभी प्रकार की खबरें देना है । राजनीतिज्ञ राजनैतिक क्षेत्र की स्थिति के बारे में वास्तविक सूचना प्राप्त करना चाहता है और सामान्य व्यक्तियों को लगभग सभी बातों की एक सामान्य जानकारी लेने की स्वाभाविक इच्छा होती है । सफल समाचारपत्र सभी प्रकार के पाठकों की आवश्यकताओं को पूरा करता है । जिनमें वैज्ञानिक, खिलाड़ी, सिनेमा प्रेमी, राजनीतिज्ञ, व्यापारी, वकील और विज्ञापनों को देखने वाले बेरोजगार लोग – ये सभी आ जाते है ।

जानकारी देने के अलावा समाचार पत्रों का एक साहित्यिक मूल्य भी है । प्रसिद्ध लेखकों के लेख, बड़े-बड़े लोगों द्वारा टीका-टिप्पणियाँ, विद्वान आलोचकों द्वारा पुस्तकों की समीक्षा – ये सभी बातें समाचारपत्रों मे प्रकाशित होती रहती है । वास्तविकता यह है कि समाचारों के अलावा, इनमें हमारी रूचि होती है, समाचारपत्रों में ऐसे विषय भी होते हैं जिनका स्थायी और दीर्घकालिक महत्व होता है ।

समाचारपत्र प्रचार का एक शक्तिशाली साधन है । वे जनमत का निर्माण करते हैं और उसको बदल तक देते हैं । समाचारपत्रों में लिखे गए सम्पादकीय अथवा मुखर लेखों का उनके पाठकों पर बहुत प्रभाव पड़ता है जा इन लेखों में व्यक्त किए गए विचारों के अनुसार अपना मत बना लेते है । समाचारपत्र ही हमें इस योग्य बनाते है कि हम राष्ट्रीय महत्व की परिस्थितियों अथवा घटनाओं पर अपनी धारणा बना पाते हैं ।

समाचारपत्र जनमत का दर्पण भी होता है क्योंकि जनता अपने विचारों को सम्पादक के नाम पत्र भेजक, जो समाचार पत्रों में छपते हैं, व्यक्त कर सकती है । इसके अलावा देश के नेता भी अपने संदेश को इस माध्यम से जनता तक पहुँचा सकते है । इस प्रकार समाचारपत्र राष्ट्र और उसके नेताओं के बीच प्रत्यक्ष तालमेल स्थापित कर देते हैं । अत: समाचारपत्रों का शैक्षणिक मूल्य बहुत अधिक है ।

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व्यापार को भी समाचारपत्रों के द्वारा बहुत प्रोत्साहन मिलता है । व्यापारी अपने माल का प्रचार समाचारपत्रों में कर सकते हैं और इस प्रकार ग्राहक के पास पहुँच जाते हैं । व्यापारिक विज्ञापनों के अलावा समाचारपत्रों में बहुत से अन्य विज्ञापन आते हैं जो काफी उपयोगी होते हैं । वे विक्रेता और खरीदार, मालिक और नौकर, खोए बच्चों और उनका ढूंढने वालों को एक दूसरे से मिलान के साधन भी होते है ।

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विवाह संबंधी सूचनाएं, रिक्त स्थान, नौकरी चाहिए और इसी प्रकार की अन्य श्रेणियों के विज्ञापन आज के समाचार पत्रों में प्रकाशित होते है जो बहुत उपयोगी और रोचक भी होते है । समाचारपत्रों का एक पावन उत्तरदायित्व भी होता है ।

उनका यह उत्तरदायित्व है कि वे छपने वाली प्रत्येक बात की सच्चाई के बारे में अच्छी प्रकार से पता करें और विश्व की विभिन्न घटना पर निष्पक्ष और गम्भीर टिप्पणियाँ दें । समाचारपत्र को किसी दल, वर्ग अथवा लोगों के किसी समूह के लिए नहीं काम करना चाहिए बल्कि पूरे राष्ट्र को ध्यान में रखकर समाचारों को प्रकाशित करना चाहिए । इस क्षेत्र में एकाधिकार की प्रवृति का पैदा होना भी अवांछनीय है ।

प्रेस को सर्वत्र ही ‘स्वतंत्रता का प्रहरी’ कहा गया है । समाचारपत्रों की स्वतंत्रता को जनता के सभी नागरिक, राजनैतिक और धार्मिक अधिकारों का संरक्षक माना गया है । वर्क ने इंगलैंड की संसद की प्रेस गैलरी को राष्ट्र की चौथी शासन व्यवस्था कहा था ।

यदि समाचारपत्र स्वतंत्र हो और पंगु विचारधाराओं अथवा दलगत राजनीति से परे हो तो नि:संदेह वे सत्य और न्याय के प्रकाश स्तम्भ बन सकते हैं । यदि समाचारपत्र दल के नेताओं अथवा सरकार के पिछलग्गू बन कर बेड़ियों में बंधे हों तो ये लोगों को पथ भ्रष्ट करने, अंधेरे में रखने और उनको उरप्ता लगाने वाले मिथ्या प्रकाश के अतिरिक्त कुछ नही है ।

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