विद्यार्थी और खेलकूद पर निबन्ध | Essay on Student and Games in Hindi!
1. भूमिका:
शिक्षा से व्यक्ति यदि विद्वान (Learned) बनता है, तो खेलकूद से स्वस्थ (Healthy) और बलवान । स्वामी विवेकानन्द नेकहा थाकि यदि हम ठीक से फुटबॉल नहीं खेल सकते, तोह में गीता का रहस्य (Mystery) भी मालूम नहीं हो सकता । अर्थात् यदि शरीर स्वस्थ है, तो हमारी बुद्धि भी स्वस्थ होगी और हम अच्छा ज्ञान भी प्राप्त कर सकेंगे ।
2. आवश्यकता:
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम (Exercise) और खेलकूद की बहुत जरूरत होती है । अपनी पसंद के अनुसार हमें तरह-तरह के या कोई एक खेल खेलने का अभ्यास अवश्य करना चाहिए । इससे शरीर तो स्वस्थ रहता ही है हमारा मनोरंजन (Entertainment) भी होता है । खेलकूद से हमारा मन भी स्वस्थ रहता है जिससे हमारे विचार त था दूसरों के साथ व्यवहार (Behavior) भी ठीक रहता है ।
ADVERTISEMENTS:
मन और शरीर स्वस्थ रहने पर ही हमारी पढ़ाई-लिखाई ठीक तरह से हो सकती है और हमारा भविष्य सुन्दर और सुखी बन सकता है । इसीलिए विद्यार्थी की पढ़ाई शुरू करने से पहले बचपन से खेलकूद की शिक्षा शुरू कर देनी चाहिए ।
3. विद्यालय में खेलकुद:
घर पर नाना प्रकार के खेल खेलने का अवसर (Opportunity) अनेक विद्यार्थी को बचपन से ही मिल जाता है किन्तु विद्यालय में प्रवेश (Admission) लेते ही उनका खेल-कूद बिकुल कम हो जाता है अथवा बिस्कूल बन्द हो जाता है । सुबह से शाम तक कक्षा में अनेक विषयों की पुस्तकें पढ़ते-सीखते खेल के प्रति कुछ उदासीनता (Less Interest) भी पैदा हो जाती है ।
विद्यार्थी को माता-पिता यह कहकर पढ़ने बिठाते हैं कि परी क्षा में अच्छे अंक लाने हैं, खेलकूद बंद करो । ऐसी स्थिति में विद्यार्थी तनाव (Strain), भूख न लगना, पीलिया (Jaundice) आदि अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है ।
अत: यह शिक्षकों का कर्त्तव्य (Duty) है कि वे विद्यालय में खेल-कूद के लिए विद्यार्थियों को जागरुक (Aware) करें और जो अभिभावक इसके विरुद्ध (Against) हैं उन्हें भी खेलकूद की जरूरत के बारे में बताएँ । आजकल अनेक विद्यालयों में इस पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है जो विद्यार्थियों के लिए लाभकारी (Beneficial) है ।
4. उपसंहार:
आज का युग प्रतियोगिता (Competition) का युग है । अत: तन और मन से सबल (Strong) विद्यार्थी ही कल का अच्छा नागरिक (Citizen) बनसकता है । अत: विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद में भी गहरी रुचि लें, इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए । यह कर्त्तव्य विद्यालयों का है ।