आदर्श विद्यार्थी पर निबन्ध | Essay on An Ideal Student in Hindi!
1. भूमिका:
विद्यार्थी का अर्थ है वह व्यक्ति अनु जिसका लक्ष्य (Aim) विद्या पाना हो । विद्यार्थी वही हो सकता है, जो अपने लक्ष्य की पूर्ति में पूरी लगन (Concentration) से लगा हो । इस प्रकार, पूरी निष्ठा (Devotion) और समर्पण (Submission) भाव से विद्या अध्ययन (Studies) में लगा हुआ विद्यार्थी ही आदर्श विद्यार्थी होता है ।
2. गुण:
विद्यार्थी शब्द दो शब्दों केमेल से बना है – विद्या+अर्थी । इसका अर्थ है विद्या का जिज्ञासु (Curious for knowledge) । एक आदर्श विद्यार्थी में सबसे बड़ा गुण यह होता है कि वह लगातार सदा नयी-नयी जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करता रहता है ।
इसके अलावा उसमें अच्छे चरित्र (Character) का गुण भी होता है । वह न तो बुरी संगति में रह ता है और नही उसमें कोई बुरी आदत होती है । सुस्ती (Laziness), नशीले पदार्थों का सेवन (Habituated), झूठ बोलना या चोरी करना आदि आदतें उसमें बिल्कुल नहीं होती ।
आदर्श विद्यार्थी बडों का आदरकरना, अपना हर कार्य समय पर करना और अपने स्वास्थ्य (Health) को अच्छा बनाए रखना भी जानता है । वह पढ़ने-लिखने के साथ-साथ योगासन, व्यायाम (Exercise) आदि भी समय पर करता है ।
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हमारे पुराने ग्रंथों (Epics) में विद्यार्थी के ये पाँच गुण बताये गये हैं:
काकचेष्टा, वकोध्यानम,श्वाननिद्रा तथैव च । अल्पाहारी, गृहत्यागी, विदद्यार्थी पंच लक्षणम ।।
अर्थात् कौए जैसी कोशिश, बगुले (Crane) जैसा ध्यान (Concentration of mind) कुत्ते जैसी नींद, उचित भोजन, घर से दूर रहना आदि लक्षण विद्या र्थी में होनी चाहिए ।
3. कर्तव्ये:
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प्रत्येक विद्यार्थी का कर्त्तव्य है कि जीवन में सफल (Succesful) होने के लिए सबसे पहले आदर्श विद्यार्थी बनने का प्रयत्न करे । आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए आवश्यक है कुछ कर्त्तव्यों (Duties) का पालन करना-जैसे-बडों का आदर, समय का पालन, उत्तम संगति, सरल (Simple) रहन-सहन (Life-Style) स्वास्थ्य की रक्षा तथा अच्छी पुस्तकों का नियमित अध्ययन ।
4. उपसंहार:
अपने विद्याकाल में जो आदर्श विद्यार्थी होता है, वहीं बड़ा होकर सफल व्यक्ति और देश का सच्चा नागरिक (Citizen) बनता है । उसी से माता-पिता गुरुजन तथा देश का नाम संसार में रोशन होता है ।