दूरदर्शन और शिक्षा पर निबन्ध |Essay on Television And Education in Hindi!
दूरदर्शन विज्ञान के अद्भूत चमत्कारों में से एक है । यह वर्तमान युग की विकसित तकनीक का चमत्कार है । आज यह मनोरंजन का सर्वश्रेष्ठ माध्यम सिद्ध हो चुका है ।
यह हमारी निरक्षर जनता विशेषकर ग्रामीण स्त्रियों में जागृति लाने का सर्वोत्तम साधन है । यह राष्ट्र की एकता में बाधक तत्वों जैसे जातिवाद, क्षेत्रीयता, वर्गभेद जैसी बुराइयों को नष्ट करने का सशक्त साधन है । स्वास्थ्य, स्वच्छता और परिवार नियोजन जैसे विषयों पर दूरदर्शन द्वारा प्रसारित कार्यक्रम अशिक्षित जनता के लिए विशेष रूप से सहयोगी है ।
संक्षेप में, कम ही समय में टेलीविजन मनोरंजन और प्रचार के सशक्त माध्यम के रूप में उभरा है । हमारा देश कृषि प्रधान देश है, इसलिए यहाँ अशिक्षित कृषकों को शिक्षित करने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए । हमारे देश में कृषि योग्य भूमि की कमी नही है । लेकिन पैदावार बहुत कम होती है ।
दूरदर्शन कृषकों को नवीन वैज्ञानिक साधनों के प्रति जागरूक कर सकता है जिनका प्रयोग वे कृषि में कर सकते है । ग्रामीण व्यक्तियों की विचारधारा में नवीनता लाने, व्यवसायिक मार्गदर्शन देने के लिए दूरदर्शन ऐसे कार्यक्रम प्रस्तुत कर सकता है ।
दूरदर्शन का दूसरा उद्देश्य राष्ट्रीय एकता होना चाहिए । भारतीय संस्कृति में कुछ ऐसे दूषित परम्पराएँ और रीतिरिवाज शामिल हैं, जिनके प्रति जनता को जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है । साथ ही एक राज्य के व्यक्ति को दूसरे राज्य की संस्कृति का ज्ञान होना चाहिए । इससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलेगा । इसलिए दूरदर्शन के कार्यक्रमों में भारतीय एकता और संस्कृति की झलक होनी चाहिए । इसी से 80 करोड़ भारतीय एक सूत्र में बँध सकते हैं ।
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अगली प्राथमिकता परिवार नियोजन को दी जानी चाहिए । आज भी गांवों में रहने वाले तथा पिछड़े लोग बच्चे को जन्म को भगवान की कृपा पर छोड़ देते हैं, दूरदर्शन के माध्यम से उन लोगो को जागरूक किया जा सकता है । बड़े परिवार की हानियाँ और छोटे परिवार के सुख से संबंधित कार्यक्रम दिखा कर उन्हें परिवार-नियोजन के लिए प्रेरित किया जा सकता है ।
परिवार नियोजन के उपायो का भी उचित प्रचार दूरदर्शन के माध्यम से किया जा रहा है । भारतीय समाज मे यौन-विषय को वर्जना के रूप में लिया जाता है । परिवार-नियोजन से संबंधित कार्यक्रम सुझावपरक और उनका संदेश स्पष्ट होना चाहिए ।
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दूरदर्शन में सूचना अथवा संदेश पहुँचाने की शक्तिशाली क्षमता होती है । इसलिए इसका प्रयोग शिक्षा के उद्देश्य से किया जाना चाहिए । विज्ञान, गणित और भूगोल जैसे विषयों पर भी कार्यक्रम दिखाए जाने चाहिए । विद्यार्थियों को यातायात, स्वास्थ्य, सफाई के नियम की शिक्षा देने वाली तथा कानून और सुरक्षा से संबंधित फिल्में दिखानी चाहिए ।
कई अन्य विषयों जैसे भारत में प्रजातांत्रिक प्रणाली, संसद से संबंधित कार्यक्रम टेलीविजन पर प्रसारित किए जाने चाहिए । दूरदर्शन में प्रायोजित विज्ञापनों का बच्चों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है । एक ओर विज्ञापन लोगों को ऐश्वर्य की वस्तुएँ खरीदने को आकर्षित करते है तो दूसरी ओर अनुचित रूप से खर्चे को बढ़ावा देते हैं ।
कुछ लोगो का विचार है कि टेलीविजन भारत जैसे गरीब देश में ऐश्वर्य का साधन है । भारत में 29.18 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा से नीचे है । छोटे-छोटे गांवों के निर्धन लोग टेलीविजन को खरीद सकने में असमर्थ हैं । यह तो शहरी लोगों के मनोरंजन का साधन है । लेकिन आज टेलीविजन हर छोटे-बड़े गाँव में पहुँच गया है और शिक्षा प्रदान करने का अचूक साधन है । सरकार को यह सूचना माध्यम निर्धन लोगों तक पहुँचाने के लिए विशेष प्रयत्न करने चाहिए ।