टेलीविजन पर निबंध / Essay on Television in Hindi!
टेलीविजन को विज्ञान का एक अदभुत आविष्कार माना जाता है । इसको हिन्दी में दूरदर्शन कहा जाता है क्योंकि इसके द्वारा दूर की वस्तुओं के दर्शन होते हैं । दूरदर्शन पर दृश्यों को देखकर लगता है कि घटनाएँ दूर नहीं बल्कि आँखों के सामने घट रही हैं । जनता का मनोरंजन करने वाला तथा देश-दुनिया की खबर बताने वाला यह उपकरण आज बहुत लोकप्रिय हो गया है ।
टेलीविजन का आविष्कार वैज्ञानिक जे.एल.बेयर्ड ने किया था । शुरू-शुरू में इस पर केवल श्वेत-श्याम चित्र देखे जाते थे । अब इस पर रंग-बिरंगे चित्र भी देखे जा सकते हैं । लिया गया चित्र जिस रंग में है हमें वह चित्र उसी रंग में देखने को मिलता है । टेलीविजन पर कार्यक्रमों का प्रसारण इसके केन्द्र से होता है जो विभिन्न प्रसारण कर्त्ताओं द्वारा स्थान-स्थान पर बनाए गए हैं । इन केन्द्रों को स्टूडियो कहा जा सकता है । टेलीविजन पर कार्यक्रमों के प्रसारण में संचार उपग्रहों की मदद की जाती है । आजकल प्रसारण डिजिटल हो गए हैं जिससे दर्शकों को साफ-सुथरे चित्र देखने को मिलते हैं ।
टेलीविजन दर्शकों के लिए मनोरंजक कार्यक्रमों का एक बड़ा पैकेट लेकर आता है । दूसरे शब्दों में यह इतने तरह के मनोरंजक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करता है कि दर्शक दुविधा में होते हैं कि किसे देखें और किसे छोड़ दें । यह दुविधा इसलिए कि पहले जहाँ एक ही चैनल सरकारी दूरदर्शन था वहीं अब सौ-दो सौ चैनल हैं । हर चैनल पर रात-दिन कुछ-न-कुछ चलता ही रहता है । कोई फिल्म दिखा रहा होता है तो कोई धारावाहिक । किसी पर मदारियों का खेल चल रहा है तो किसी पर नुक्कड़ शो । कोई सर्कस तो कोई जादू दिखा रहा है । किसी पर नाच-गाना चल रहा है तो किसी पर खेल का आँखों देखा हाल । समाचार सुनाने एवं दिखाने वाले भी कई चैनल हैं । एक ही खबर बार-बार सुनते-सुनते ऊब सी होने लगती है ।
टेलीविजन के आने से मनोरंजन की दुनिया में हलचल मच गई । जो लोग पहले सिनेमाघरों पर खिड़कीतोड़ भीड़ लगाते थे अब घर में टेलीविजन के सामने बैठकर फिल्मों का आनंद लेने लगे । बच्चों की तो चाँदी हो गई । वे कामिक्स के कार्टूनों से नजरें हटाकर टेलीविजन पर कार्टून धारावाहिक देखने लगे । गृहणियाँ दुपहरी में पड़ोसिनियों से मनोरंजक वार्ता छोड्कर टेलीविजन के सामने बैठकर सास-बहू की सीरियल देखने लगीं ।
छात्र एन.सी.इ.आर.टी. के शैक्षिक कार्यक्रमों को घर बैठे देखकर पाठ्य-क्रमों की समझ बढ़ाने लगे । बौद्धिक मिजाज के लोगों को मनोरंजक अंदाज
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में प्रस्तुत की गई खबरों के प्रति लौ लग गई । वृद्ध टेलीविजन के माध्यम से आध्यात्मिक जगत में पहुँच गए । उनकी धार्मिक आस्था मजबूत दिखाई देने लगी ।
तात्पर्य यह कि टेलीविजन पर हर कोई अपने लायक कार्यक्रमों को ढूँढ ही लेता है ।
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दैनिक जीवन में अनेक समस्याएँ हैं । कामकाजी व्यक्ति दिनभर की उलझनों को सुलझाते थक जाता है । शाम को कुछ देर टेलीविजन देखकर वह अपना मनोरंजन करता है । विद्यार्थियों को इसके माध्यम से ज्ञान की अनेक बातें सीखने को मिलती हैं । किसानों को मौसम की खबर मिलती है । वे अच्छी फसल प्राप्त करने की विधियाँ सीखते हैं । गृहणियाँ गृह-कौशल की तकनीकें सीखती हैं । टेलीविजन पर आम महत्त्व की सूचनाएँ प्रसारित की जाती हैं । इसके माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलती है । ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों तथा अन्य महत्त्वपूर्ण खेलों की प्रतियोगिताओं को देखकर युवा खेलों के प्रति आकर्षित होते हैं ।
टेलीविजन अब घर-घर की जरूरी वस्तु बन गई है । टेलीविजन के सेट के साथ अब केबल जोड़ा जाता है जिसके द्वारा विभिन्न प्रकार के चैनलों को देखा जा सकता है । इस सेवा के बदले उपभोक्ताओं से मासिक फीस वसूली जाती है । वैसे लोग अब एक कदम और आगे बढ्कर डी.टी.एच. के युग में प्रवेश कर गए हैं । डी.टी.एच. अर्थात् ‘ डायरेक्ट टु होम ‘ सेवा से बिना केबल के ही विभिन्न चैनलों को देखने की व्यवस्था की जाती है । इसके लिए घर में एक सैट टॉप बॉक्स लगाना पड़ता है ।
टेलीविजन के अनेक लाभ हैं तो कुछ हानियाँ भी हैं । यह लोगों को मनोरंजन की अधिकता के युग में ले गया है । अधिक टेलीविजन देखने से आँखों की तथा दिमाग संबंधी अनेक परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं। बैठे-बैठे घंटों टेलीविजन देखना शारीरिक थकान एवं सुस्ती को जन्म देता है । लोगों का जो समय पहले सामाजिक कार्यों में व्यय होता था वह अब टेलीविजन की भेंट चढ़ रहा है । बच्चे खेल खेलने के बजाय टेलीविजन से चिपककर बैठे देखे जा सकते हैं । इसलिए किसी प्रकार की अति से बचकर लोगों को निर्धारित समय पर ही टेलीविजन देखना चाहिए ।