बिल गेट्‌स पर निबंध! Here is an essay on ‘Bill Gates’ in Hindi language.

आज दूरसंचार के क्षेत्र में जो क्रान्ति आई है, उसमें कम्प्यूटर का योगदान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है और जिस व्यक्तिगत कम्प्यूटर के फलस्वरूप इस क्रान्ति का सूत्रपात हुआ है, उसके निर्माण का श्रेय दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली लोगों में से एक बिल गेट्‌स को जाता है ।

वे कम्प्यूटर उद्योग में सर्वाधिक विख्यात ब्राण्डों में से एक माइक्रोसॉफ्ट, जिसका कोई-न-कोई सॉफ्टवेयर दुनिया के सभी डेस्कटॉप कम्प्यूटरों में अवश्य प्रयुक्त होता है, के सह-संस्थापक हैं । पहले कम्प्यूटर बड़े विशाल आकार के एवं अत्यन्त महँगे हुआ करते थे, बिल गेट्‌स ने ही सबसे पहले डेस्कटॉप कम्प्यूटर का सपना देखा और सस्ते एवं छोटे कम्प्यूटरों को बाजार में उतारकर इसे घर-घर में उपलब्ध करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

वे अपनी कम्पनी माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन की मदद से अत्यधिक धन अर्जित कर दुनिया के सबसे अमीर आदमी बनकर उभरे हैं । ‘फोर्ब्स’ पत्रिका द्वारा फरवरी, 2010 में जारी दुनिया के सर्वाधिक अमीर लोगों की सूची में वे 53 बिलियन डॉलर की सम्पत्ति के साथ दूसरे स्थान पर थे ।

इसी पत्रिका द्वारा वर्ष 2009 में जारी इस सूची में वे प्रथम स्थान पर थे और इससे पहले वे 17 वर्षों से दुनिया के सर्वाधिक अमीर आदमी बने रहे । बिल गेट्‌स, जिनका पूरा नाम बिल हेनरी गेट्‌स तृतीय है, का जन्म संयुक्त राज्य अमेरिका में वाशिंगटन के सिएटल नामक स्थान पर 28 अक्टूबर, 1955 को हुआ था ।

उनके पिता विलियम एच. गेट्‌स द्वितीय सिएटल में एटॉर्नी थे एवं उनकी माता मेरी मेक्सवेल एक स्कूल टीचर थीं । गेट्‌स एवं उनकी दो बहनों की प्रारम्भिक शिक्षा सिएटल के लेकसाइड स्कूल में हुई थी । स्कूली शिक्षा के दौरान उनका रुझान कम्प्यूटर की ओर बढ़ा और कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में उनकी रुचि एवं प्रतिभा को देखते हुए, उनके गणित के शिक्षक ने उन्हें कम्प्यूटर पर कार्य करने की छूट दे दी ।

स्कूली शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए बिल गेट्‌स ने वर्ष 1973 में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया, वहाँ वे पॉल एलेन (जो बाद में माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बने) के साथ समय बिताया करते थे ।  गेट्‌स एवं एलेन ने बेसिक, जो पहले माइक्रोकम्प्यूटर का एकमात्र उपलब्ध आधार था, नामक प्रोग्रामिंग भाषा पर कार्य करना शुरू किया ।

इसी बीच उन्होंने अपनी कम्पनी के लिए कार्य करना प्रारम्भ कर दिया था, इसलिए अधिक कार्य हो जाने के कारण उन्होंने स्नातक के द्वितीय वर्ष के दौरान पढ़ाई छोड़कर पूर्णत: अपने कार्य को समय देने का फैसला किया । हॉवर्ड छोड़ने के बाद बिल गेट्‌स एवं पॉल एलेन ने कम्प्यूटर उद्योग में एक प्रकार की क्रान्ति का सूत्रपात करने के उद्देश्य से वर्ष 1975 में ‘माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन’ नामक कम्पनी की स्थापना की तथा अल्बुकर्क में प्रथम कार्यालय खोला ।

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1 जनवरी, 1979 को इस कम्पनी के कार्यालय को बेलेव्यू, वाशिंगटन में स्थानान्तरित किया गया । 25 जून, 1981 को माइक्रासॉफ्ट कम्पनी का पुनर्गठन किया गया, जिसमें गेट्‌स चेयरमैन तथा निदेशक मण्डल के अध्यक्ष बने ।  इस कम्पनी ने अपना पहला माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज 20 नवम्बर, 1985 को पेश किया । वर्ष 1989 में उन्होंने एक डिजिटल इमेजिंग कम्पनी कोर्बिस की स्थापना की ।

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‘माइक्रोसॉफ्ट’ माइक्रोकम्प्यूटर एवं सॉफ्टवेयर दो शब्दों का संक्षिप्त रूप है ।  मात्र 17 वर्ष की आयु में गेट्‌स ने एलेन के साथ मिलकर इण्टेल 8008 प्रोसेसर (ट्राफ-ओ-डाटा) पर आधारित ट्रैफिक काउण्टर नाम से एक उपक्रम बनाया । बिल गेट्‌स ने एक ऐसे कम्प्यूटर का सपना देखा या, जो प्रत्येक घर में एवं प्रत्येक ऑफिस डेस्क पर हो ।

माइक्रोसॉफ्ट ने स्वयं विकसित सॉफ्टवेयरों की सहायता से कम्प्यूटर का उपयोग अधिक आसान बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई । इस कम्पनी की सफलता आईबीएम के लिए विकसित एमएस डॉस कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम से प्रारम्भ हुई ।

गेट्‌स ने सॉफ्टवेयर पाइरेसी के खिलाफ एक मुहिम छेड़ते हुए सॉफ्टवेयर डेवलपरों के लिए रॉयल्टी की सुरक्षा की बात की, जिससे सॉफ्टवेयर को खुदरा बाजार में जगह मिली । यह उस समय बड़ा विवादास्पद कार्य था, क्योंकि इसमें उत्पादित सॉफ्टवेयर को साझा करने की स्वतन्त्रता थी, किन्तु सॉफ्टवेयर पाइरेसी के खिलाफ मुहिम के बल पर माइक्रोसॉफ्ट ने अभूतपूर्व व्यावसायिक सफलता अर्जित की ।

वे माइक्रोसॉफ्ट की स्थापना के बाद इसके सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) एवं चीफ सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट बने । उन्होंने वर्ष 2000 में इसके सीईओ का पद छोड़ दिया ।  वर्ष 2006 में उन्होंने घोषणा की कि वे माइक्रोसॉफ्ट में पूर्णकालिक कार्यावधि में परिवर्तन कर, बिल एण्ड मिलिण्डा गेट्‌स फाउण्डेशन में पूर्णकालिक रूप से कार्य करेंगे ।

27 जून, 2008 से वे माइक्रोसॉफ्ट में अंशकालिक, गैर-कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं । ऐसा नहीं है कि बिल गेट्‌स ने अपने जीवन में सिर्फ सफलताएँ ही देखी हैं, उन्हें कई मामलों में संघर्ष भी करना पड़ा है और उनकी आक्रामक व्यावसायिक नीतियों की आलोचना भी हुई है । 

माइक्रोसॉफ्ट की स्थापना के समय से ही उन्हें एप्पल कम्प्यूटर, नेटस्केप, ऑपेरा, वर्ड परफेक्ट एवं सन माइक्रोसिस्टम जैसी बड़ी सॉफ्टवेयर कम्पनियों से कई कानूनी लड़ाइयाँ भी लड़नी पड़ीं । मानवता की भलाई में योगदान देने के लिए उन्होंने वर्ष 2000 में बिल एण्ड मिलिण्डा गेट्‌स फाउण्डेशन की स्थापना की । यह संस्था एड्स, पोलियो एवं मलेरिया जैसी बीमारियों से प्रभावित लोगों के स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रयासरत है । इसका उद्देश्य विश्व में स्वास्थ्य एवं शिक्षा को बढ़ावा देना है ।

उन्होंने दुनिया के सर्वाधिक अमीर निवेशक वारेन बफेट के साथ मिलकर, मानवता की भलाई गरीबी के उन्मूलन, शिक्षा एवं वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देने जैसे कार्यों हेतु अरबपतियों को अपनी आधी सम्पत्ति दान करने के लिए प्रेरित करने की मुहिम छेड़ रखी है । इस मुहिम की शुरूआत में उन्होंने अपनी आधी सम्पत्ति 28 बिलियन डॉलर बिल एण्ड मिलिण्डा गेट्‌स फाउण्डेशन को दान कर दी ।

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बिल गेट्‌स को उनकी उपलब्धियों के लिए वर्ष 2000 में द नीदरलैण्ड्स के निएनरोड बिजनेस यूनिवर्सीटेइट ब्रुकलीन, वर्ष 2002 में द रॉयल इंस्टीट्‌यूट ऑफ टेक्नोलॉजी स्टॉकहोम, वर्ष 2005 में वसेदा यूनिवर्सिटीज टोकियो, वर्ष 2007 में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी, वर्ष 2008 में कोरोलिन्स्का इंस्टीट्‌यूट स्टॉकहोम ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से विभूषित किया ।

मार्च, 2005 में इंग्लैण्ड की महारानी ने दुनियाभर में निर्धनता को घटाने एवं लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उनके प्रयासों के लिए उन्हें नाइटहुड (नाइट कमाण्डर ऑफ द मोस्ट एक्सीलेण्ट ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर) का सम्मान प्रदान किया ।

भारत सरकार ने स्वास्थ्य एवं विकास, विशेषकर एच आई वी एवं एड्स के क्षेत्र में कार्य करने के लिए बिल एण्ड मिलिण्डा गेट्‌स फाउण्डेशन को वर्ष 2007 में इन्दिरा गाँधी शान्ति पुरस्कार प्रदान किया । बिल गेट्‌स को वर्ष 2010 में फ्रैंकलिन इंस्टीट्‌यूट द्वारा बोअर अवार्ड फॉर बिजनेस लीडरशिप तथा उसी वर्ष ब्वॉयज स्काउट्स ऑफ अमेरिका द्वारा सिल्वर बफैलो अवार्ड से सम्मानित किया गया ।

आज बिल गेट्‌स के बनाए व्यक्तिगत कम्प्यूटरों (पीसी) से विश्व के कुल 6.8 अरब से अधिक लोगों में से लगभग 2 अरब लोग इण्टरनेट से जुड़े हुए हैं । गेट्‌स कई पुस्तकों के लेखक भी हैं । ‘द रोड अहीड’, ‘बिजनेस (at the rate) द स्पीड ऑफ थॉट’ उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें हैं ।

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मानवता की सेवा, विश्व में शिक्षा एवं विज्ञान के प्रसार तथा लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के कार्यक्रमों के लिए आजकल वे अपना अधिकतर समय बिल एण्ड मिलिण्डा गेट्‌स फाउण्डेशन को देते हैं एवं आवश्यकता पड़ने पर विश्व के कई देशों का भ्रमण कर इसके कार्यों का जायजा भी लेते हैं । उनका जीवन नव-उद्यमियों के लिए प्रेरणा स्रोत है ।

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