मेरे पड़ोसी पर निबन्ध |My Neighbour in Hindi!
पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति हमारे पड़ोसी होते हैं । पड़ोस के लोग एक-दूसरे के सहायक होते हैं । खुशी का अवसर हो चाहे दुख का, पड़ोसी जितने काम आते हैं उतने दूर रहने वाले सगे-संबंधी नहीं । हमें पड़ोसियों के साथ मधुर व्यवहार करना चाहिए ।
आवश्यकता पड़ने पर पड़ोसियों को एक दूसरे की मदद करनी चाहिए । मेरे घर के सामने शर्मा जी का परिवार रहता है । शर्मा जी किसी प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक हैं । शर्मा जी का पूरा परिवार धार्मिक प्रवृत्ति का है । शर्मा जी एवं उनकी पत्नी रोज मंदिर जाते हैं । प्रत्येक मंगलवार को उनके यहाँ भजन-कीर्तन होता है ।
शर्मा जी का लड़का मेरे साथ पड़ता है । हम दोनों अच्छे मित्र हैं । मैं शर्मा जी के पास ट्यूशन पढ़ने जाता हूँ । शर्मा जी मुझे बहुत प्यार से पढ़ाते हैं । उनका हँसमुख स्वभाव पूरे महल्ले में प्रसिद्ध है । वे सभी के साथ बड़ी मीठी बोली में बातें करते हैं । मेरे तथा उनके परिवार के बीच खान-पान और मित्रता का नाता है ।
मेरे घर के ठीक पीछे मुहम्मद सलीम जी का परिवार रहता है । हमारे छत सटे हुए हैं अत: प्रतिदिन ही सलीम जी के परिवार के सदस्यों से हमारी बातचीत होती है । सलीम जी एक दरजी हैं तथा शहर के मुख्य बाजार में उनकी दुकान है । हमारे घर के सभी कपड़े सलीम जी की दुकान में ही सिलते हैं ।
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सलीम जी बड़े ही सच्चे व नेकदिल इसान हैं । वे नियम से नमाज पड़ते हैं । हम लोग जब भी उनकी दुकान पर जाते हैं वे बड़े प्रेम से बातें करते हैं तथा कुछ न कुछ खाने के लिए भी देते हैं । ईद के अवसर पर सभी पड़ोसियों की उनके घर विशेष दावत होती है । सलीम जी पड़ोसियों की सहायता के लिए हर समय तैयार रहते हैं । सलीम जी का बड़ा लड़का हाँकी का बहुत अच्छा खिलाड़ी है । उसके साथ महल्ले के बच्चे हॉकी खेलना सीखते हैं ।
मेरे घर की बाईं ओर मोहनदास जी का परिवार रहता है । मोहनदास जी एक हट्टे-कट्टे व्यक्ति हैं । उनकी आवाज बड़ी रोबीली है तथा मूँछें कड़ी-कड़ी हैं । ये पुलिस विभाग में हवलदार हैं । इनके कारण चोर-उचक्के हमारे महल्ले में घुसने की हिम्मत नहीं करते हैं ।
इनकी आवाज इतनी कड़कदार है कि अनजान बच्चे सुनें तो डर जाएँ । परंतु दिल से ये एक नेक व्यक्ति हैं । इनका परिवार काफी बड़ा है जिसके कारण इनके घर में हमेशा चहल-पहल बनी रहती है । इनके घर के बच्चे कभी-कभी आपस में इतना लड़ते हैं कि महाभारत का दृश्य उपस्थित हो जाता है । परंतु लड़ाई-झगड़ा हमेशा मोहनदास जी की अनुपस्थिति में होता है ।
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हमारी दाई ओर एक व्यापारी परिवार रहता है । इस परिवार के सभी सदस्य काफी उदंड एवं दुष्ट हैं । इस परिवार को पड़ोसियों से कोई मतलब नहीं घर के सदस्य आए दिन आपस में लड़ते रहते हैं । इनकी आपसी लड़ाई के कारण सभी पड़ोसी दु:खी रहते हैं ।
गाली-गलौच और अभद्र भाषा में बातचीत करना इनका स्वभाव है । इनके कारण पड़ोस की शांति भंग हो जाती है । यही कारण है कि कोई भी पड़ोसी इस परिवार से तनिक भी सहानुभूति नहीं रखता । इस प्रकार मेरे अधिकतर पड़ोसी अच्छे हैं । अच्छे पड़ोसियों का होना हमारे लिए सौभाग्य की बात है । हमें पड़ोसियों के साथ मित्रता का व्यवहार रखना चाहिए ।