हमारी खनिज संपदा पर निबंध | Essay on Our Mineral Resources in Hindi!

भारत एक पुराना देश है, जो क्षेत्रफल के हिसाब से एशिया में चीन के बाद सबसे ज्यादा बड़ा देश है । इस देश में ऊँचे-ऊँचे पहाड़, बड़ी-बड़ी और गहरी नदियां, काफी बडे मैदान और पठार पाए जाते हैं ।

राजस्थान जैसे खुश्क प्रदेश में रेगिस्तान की भी कमी नहीं है । उड़ीसा तथा पश्चिमी बंगाल के कुछ क्षेत्रों में लोहे तथा कोयले की खानें पाई जाती हैं । भारत में लोहे और कोयले की खानें काफी पुरानी हैं और इनसे कोयला और लोहा निकालने का काम पहले निजी क्षेत्रों में था ।

भारत के आजाद होने के कुछ साल बाद इन खानों का राष्ट्रीयकरण किया गया, ताकि इनमें काम करने वाले मजदूरों की दशा में सुधार लाया जा सके । कोयला काला हीरा भी कहा जाता है, भारत में इसके भण्डार पहले अधिक थे, किंतु अब इसके भण्डार पहले से काफी कम हो गए हैं ।

कोयले के अधिकांश भण्डार झारखण्ड, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल में हैं । थोड़ा-सा कोयला असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ एवं आंध्र प्रदेश में भी पाया जाता है । इसके अलावा 200 करोड़ टन लिग्नाइट (भूरा कोयला) के होने का अनुमान है ।

कोयले का संबंध कई उद्योगों के साथ है, जैसे-सीमेंट, इस्पात, उर्वरक, विद्युत शक्ति आदि । कोयले के उत्पादन को सतत तथा बाधा-रहित बनाने के लिए सन् 1973 में कोयला खान प्राधिकरण तथा कोल इण्डिया लि. का गठन किया गया था । कोयले का उत्पादन तथा उसे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए रेलों का सहयोग जरूरी है । हाल ही में अच्छे कोयले के उत्पादन में कमी आई है और घटिया किस्म के उत्पादन में वृद्धि हुई है ।

कहा जाता है कि भारत की कोयला खानों में अच्छे कोयले के भण्डार कम हो रहे हैं । अत: अच्छे किस्म के कोयले की खपत पर अंकुश लगाने की जरूरत है । इसके साथ-साथ उन खानों की पहचान करना भी जरूरी है जहां अच्छा कोयला पाया जाता है । कोयले के अतिरिक्त अन्य मुख्य खनिज सम्पदाओं के विवरण निम्नलिखित हैं

खनिज तेल:

अनुमान लगाया गया है कि भारत में खनिज तेलों के भण्डार करीब 900 लाख टन हैं । यदि हमारा खनिज तेल अनुसंधान कार्यक्रम सफल रहा, तो इसमें काफी वृद्धि होने की संभावना है । बाम्बे हाई में अकूत तेल होने के संकेत पाए गए हैं । किए गए प्रयत्नों के फलस्वरूप अभी हम अपनी जरूरतों का केवल 43% भाग ही पूरा कर पाने में सफल हुए हैं । आगे इसमें ज्यादा वृद्धि होने की सभावना है ।

शेष आवश्यकता हमें तेल का आयात करके पूरी करनी होती है । भारत में तेल की निरंतर बढ़ती हुई खपत को देखते हुए या तो हमें खनिज तेल का कोई विकल्प ढूंढना होगा अथवा हमें अपना उत्पादन इतना अधिक बढ़ाना होगा, ताकि बिना आयात किए हम अपनी जरूरतों को पूरा कर सके ।

धात्त्विक खनिज:

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इस कोटि के खनिजों में लोहा, मैंगनीज, तांबा, सीसा, जस्ता, सोना, चांदी, एल्युमिनियम, क्रोमियम, निकल, यूरेनियम और थोरिनियम समाविष्ट हैं । भारत में इन खनिजों के भण्डारों की कमी नहीं है, किन्तु सोना तथा चांदी की खदानें काफी पुरानी हो चुकी हैं और ऐसा माना जाता है कि भारत में कोलार स्वर्ण खानों को उत्पादन-व्यय की दृष्टि से जारी रखना उचित नहीं लगता । भारत में चांदी की खपत तो काफी है, किन्तु घरेलू खपत की तुलना में उत्पादन नगण्य-सा है । इसलिए भारत में इस धातु का आयात करना पड़ता है ।

लोहा:

लोहे के उत्पादन में हमारे देश में काफी वृद्धि हुई है । हमारे देश में हो रहे लोहे के उत्पादन का काफी अच्छा भाग निर्यात भी किया जाता है । हमारे देश में आन्तरिक संसाधनों के बलबूते पर लोहे के उत्पादन तथा निर्यात दोनों में आशातीत वृद्धि हुई है ।

मैंगनीज:

मैंगनीज भी हमारे देश में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । मैंगनीज की माग लोहा और इस्मात उद्योग के विस्तार से जुड़ी हुई है । इस खनिज के भण्डार मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा, कर्नाटक, आध प्रदेश और राजस्थान में पाए जाते हैं । हमारे देश में इस खनिज का समग्र अनुमानित भण्डार 3790 लाख टन है ।

तांबा:

तांबे का जितना उत्पादन हमारे देश में किया जाता है, उससे केवल हमारी 13% आवश्यकताएं ही पूरी हो पाती हैं । तांबे की शेष आवश्यकताएं हमें आयात करके पूरी करनी पडती हैं । भारत में खेतडी, सिक्किम में तांबे की खाने है । खोज से कुछ अन्य प्रदेशों में भी तांबे के पाए जाने के संकेत मिले हैं । झारखंड में सिंहभूम तांबो पट्‌टी तांबे का महत्वपूर्ण भण्डार है, जो करीब 80 मील लम्बा है ।

सीसा और जस्ता:

औद्योगीकरण के विस्तार के फलस्वरूप घरेलू उत्पादन से इसे पूरा करना कठिन है । अत: इस धातु का भी हमें आयात करना पड़ता है । सीसे और जस्ते के उत्पादन बिखरे हुए हैं । थोडा बहुत जस्ता और सीसा कुर्नूल, कुडाप्पा गुंटूर, हजारीबाग, कांगड़ा और शिमला में पाया जाता है ।

सोना:

इसकी खानें कोलार (मैसूर) और हट्‌टी में हैं । इन खानों से हो रहे उत्पादन में गिरावट आती जा रही है और इन्हें शीघ्र ही बन्द करना जरूरी हो जाएगा ।

बॉक्साइट:

बॉक्साइट एल्युमिनीयम की धातु है । इस धातु का उपयोग एल्युमिना सीमेंट बनाने, तेल का परिष्करण करने तथा भवनों और पुलों के निर्माण के लिए किया जाता है । भारत में करीब 3290 लाख टन बॉक्साइट के अनुमानित भण्डार हैं ।

क्रोमियम:

इसका उपयोग विशेष प्रकार के इस्पात का उत्पादन करने, केरोक्रोम बनाने तथा ऊष्मासह ईंटों को तैयार करने तथा रसायन बनाने के लिए किया जाता हैं देश में क्रोमियम के अनुमानित भण्डार करीब 60 लाख टन हैं ।

अभ्रक:

अभ्रक का सर्वाधिक उपयोग बिजली के विंसवाहक (Insulator) के रूप में किया जाता है । काफी समय से अभ्रक का उपयोग गहनों, सजावटी वस्तुओं के निर्माण में किया जाता रहा है । अभ्रक के समद्ध भण्डार बिहार में गया, मुंगेर, भागलपुर तथा झारखंड में हजारीबाग में मिलते हैं । इनके अलावा अभ्रक राजस्थान और आध्र प्रदेश में भी पाया जाता है । अभ्रक का निर्यात अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली तथा जापान को किया जाता है । अभ्रक एक ऐसा खनिज है, जिससे भारत को काफी लाभ प्राप्त होता है ।

चूना पत्थर:

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इसके विविध उपयोग हैं । आमतौर से चूने के इस्तेमाल सीमेंट बनाने, लोहा एवं इस्पात तैयार करने और अन्य रसायनों को निर्मित करने में किया जाता है । नवीनतम खोजों से पता चलता है कि चूने के हमारे देश में पर्याप्त भण्डार हैं ।

जिप्सम:

उर्वरक तथा सीमेंट उद्योग के लिए जिप्सम कच्चा पदार्थ है । इस खनिज के भण्डार मुख्य रूप से जम्यू-कश्मीर, तमिलनाडु और गुजरात में पाए जाते हैं । भारत में जिप्सम के अनुमानित भण्डार 12370 लाख टन हैं । उर्वरकों तथा सीमेंट उद्योगों के लिए जिप्सम की मांग निरंतर बढती जा रही है ।

गंधक और पाइराइट:

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पाइराइट, गंधक एवं गंधक के तेजाब का कच्चा पदार्थ है । इसके मुख्य भण्डार रोहतास में अमझोर तथा चित्रदुर्ग में पाए जाते हैं । इसका उपयोग गन पाउडर बनाने तथा कीटनाशक तैयार करने में किया जाता है । भविष्य में हमारा देश गंधक के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा ।

खनिज पदार्थ प्रकृति के उपहार हैं । इनकी स्थिति अनादि काल से है, अत: इन्हें न तो बढ़ाया जा सकता है और न प्रत्यारोपित किया जा सकता है । यह उपभोग से निरंतर क्षय होने वाली प्राकृतिक सम्पदा है । एक समय बाद यदि यह सम्पदा खनन कार्य द्वारा निकाल ली गई, तो फिर इसकी प्रतिपूर्ति नहीं हो सकती । यह सदा-सर्वदा के लिए विलुप्त हो जाएगी ।

इसलिए भारत में जितने प्रकार के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं, उनके विषय में एक राष्ट्रीय नीति बनानी नितांत आवश्यक है, ताकि धरती माता से हम इनका उतना ही दोहन करें, जितने की हमारे लिए अपरिहार्य आवश्यकता हो । इसलिए प्रकृति-प्रदत्त इस सम्पदा का उपयोग हमे मितव्ययितापूर्ण एवं सचयन की नीति से ही करना चाहिए ।

वर्तमान तीव्र औद्योगिक विकास के लिए किए जा रहे इनके अत्यधिक शोषण को देखते हुए यह अति आवश्यक है कि खनिज संसाधनों का संरक्षण किया जाए, अन्यथा भविष्य में औद्योगिक सभ्यता का स्थायित्व खतरे में पड़ जाएगा ।

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खनिज संरक्षण के लिए निम्न उपाय किए जाने आवश्यक हैं:

1. नए खनिजों का पता लगाना:

विश्व के कई विस्तृत क्षेत्रों में अभी भी खनिजों के अन्वेषण का कार्य पूरा नहीं हो पाया है, जैसे ध्रुवीय प्रदेशों में, समुद्री तली में, पर्वतीय क्षेत्रों पर । इसलिए इन क्षेत्रों में खनिज का पता लगाकर उन निक्षेपों से उत्पादन किया जाना चाहिए । ऐसे क्षेत्रों में, जहाँ कि खनिज अन्वेषण का कार्य पूर्ण हो चुका है वहाँ भी अभी भू-रासायनिक एवं भू-भौतिक विधियों द्वारा सर्वेक्षण किया जाना शेष है ।

2. खनिजों का बहुउद्देश्यीय प्रयोग:

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खनिजों का बहुउद्देशीय प्रयोग किया जाना चाहिए ताकि उन खनिजों से अधिकतम उपयोगिता प्राप्त की जा सके । इस हेतु खनिजों का विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग किया जाना आवश्यक है । सभी खनिजों का बहुउद्देश्यीय उपयोग होने से खनिजों का संरक्षण हो सकेगा ।

ADVERTISEMENTS:

कुछ खनिज सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं । उनका अन्य खनिज से मिश्रण कर नई धातुएँ प्राप्त करके उपयोग किया जाना चाहिए ।

3. सुरक्षित भण्डार गृहों का निर्माण:

खनिजों का खनन करने के पश्चात् उनको खुले स्थानों पर नहीं छोडना चाहिए इससे उनके मौलिक गुण समाप्त हो जाते हैं । अत: खनिजों को रखने के लिए सुरक्षित भण्डार-गृहों का निर्माण किया जाना चाहिए ।

4. खनिजों के विकल्पों का अन्वेषण:

जिन खनिजों के भण्डार कम हैं, उनकी विशेषताओं एवं गुणों का अध्ययन कर, उनके विकल्प पदार्थों की खोज की जानी चाहिए और विकल्पी पदार्थों का प्रतिस्थापन करके उन खनिजों का संरक्षण किया जाना चाहिए ।

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