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तीर्थराज प्रयाग पर निबंध | Essay on Holy City Prayag (Allahabad) in Hindi!
प्रयाग भारत का एक बहुत ही प्राचीन शहर है । वैदिक काल से ही इसका बहुत महत्व रहा है । तब से युग परिवर्तित होते रहे परंतु प्रयाग का वर्चस्व निरंतर बना रहा । इसका दूसरा नाम इलाहाबाद है । लोगों की ऐसी मान्यता है कि यहाँ की धरती इतनी पवित्र है कि देवतागण स्वयं यहाँ आकर निवास करते हैं ।
मुगल काल में सम्राट अकबर ने प्रयाग का नाम परिवर्तित कर ‘अल्लाहबाद’ अर्थात् अल्लाह (ईश्वर) का घर रख दिया था । धीरे-धीरे प्रायोगिक रूप में इसका नाम इलाहाबाद पड़ गया । वैदिक काल से ही प्रयाग की धरती हिंदुओं के लिए पूजनीय रही है । तीन महान नदियों गंगा, यमुना व सरस्वती का संगम यहीं पर हुआ है ।
किसी भी पवित्र कार्य के लिए यहाँ का पवित्र जल होना अनिवार्य माना जाता है । श्रद्धालुओं का मानना है कि संगम में स्नान करने पर मनुष्यों के समस्त पाप धुल जाते हैं । यहाँ तक कि मरणोपरांत भी मनुष्य की अस्थियाँ यहाँ पर विसर्जित की जाती हैं । यह इसी मान्यता पर आधारित है कि मनुष्य को पूर्ण शुद्धि यहीं से प्राप्त होती है ।
वैदिक काल में यह धरती ऋषि-मुनियों के लिए प्रमुख तीर्थस्थल रही है । आज भी कार्तिक मास की पूर्णिमा को लाखों की संख्या में लोग एक साथ संगम में स्नान करने के लिए एकत्र होते हैं तथा यहाँ पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं ।
कुंभ मेले में तो देश-विदेश से करोड़ों लोग पवित्र गंगा नदी के पवित्र जल में स्नान करने के लिए एकत्र होते हैं । देश-विदेश के महापुरुषों एवं विद्वानों का संगम यहाँ पर देखने को मिलता है । प्रयाग की धरती भारतीय संस्कृति और आधुनिक सभ्यता का गौरव केंद्र रही है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी प्रयाग अर्थात् इलाहाबाद का महत्वपूर्ण स्थान है । राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, पं॰ जवाहर लाल नेहरू आदि शीर्षस्थ नेताओं का यह शहर एक प्रमुख राजनीतिक केंद्र रहा है । पं॰ जवाहर लाल नेहरू के पिता पं॰ मोती लाल नेहरू यहाँ के प्रसिद्ध वकील थे । बाद में जैसे-जैसे ये गाँधीजी के संपर्क में आए भारतीय स्वतंत्रता आदोलन के प्रति इनकी दिलचस्पी बढ़ती गई । यहाँ की धरती ने अनेक महापुरुषों को जन्म दिया है ।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्राचीनकाल से ही शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है । यहाँ से निकलने वाले छात्र आज भी अत्यंत महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं । विश्व का अब तक का यह एकमात्र शहर है जिसने किसी देश को चार प्रधानमंत्री दिए हैं ।
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इस सदी के महानतम सितारे अमिताभ बच्चन आज भी इस स्थ्य पर गर्व करते हैं कि उन्होंने प्रयाग में जन्म लिया । हिंदी साहित्य के विकास में प्रयाग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । यह अनेक महान् कवियों एवं साहित्यकारों की कार्यस्थली रह चुका है ।
फलों में यहाँ का अमरूद विश्व प्रसिद्ध है । हिंदी यहाँ की बोल-चाल की प्रमुख भाषा है । इलाहाबाद उच्च न्यायालय देश के सर्वोच्च न्यायालय के पश्चात् सबसे अधिक महत्व रखता है । पर्यटन की दृष्टि से अल्फ्रेड पार्क, संगम, कंपनी बाग, आनंद भवन आदि प्रमुख हैं ।
यहाँ का रेलवे स्टेशन अत्यंत विशाल है जहाँ से इसे रेलमार्ग द्वारा देश के सभी कोनों से जोड़ा गया है । हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई आदि सभी धर्म एवं संप्रदाय के लोग यहाँ पर रहते है । इलाहाबाद आज भी राजनीति का प्रमुख केंद्र है । कोई भी राजनेता इसके महत्व को अस्वीकार नहीं कर सकता है ।
सदियों से प्रयाग का वर्चस्व बना हुआ है और हमेशा कायम रहेगा । स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में इसके अतुलनीय योगदान के लिए इसके महत्व को कौन भुला सकेगा। लेकिन यह शहर भी आज प्रदूषण और गंदगी की चपेट में है जिससे इसका प्राचीन गौरव खंडित हो रहा है ।
शहर की आबादी तेजी से बढ़ रही है और जहाँ-तहाँ अनियमित ढंग से बस्तियाँ बन रही हैं जिसके कारण इस प्राचीन शहर का आकर्षण धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है । बुद्धिजीवियों का यह शहर आज अपराधी तत्वों की चपेट में है । कई जगह कूड़े के ढेर बिखरे पड़े हैं । प्रशासन और आम लोगों को मिलकर इन सारी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए ताकि तीर्थराज प्रयाग की धरती सदैव एक पुण्यस्थली बनी रहै ।