मेरे पड़ोसी पर निबंध | Essay on My Neighbour in Hindi!

लगभग एक मास पूर्व मेरे पिताजी को सरोजिनी नगर में क्वार्टर आबंटित किया गया था । यह सरकारी कर्मचारियों की कालोनी है । हमारा जी॰ आइ॰ ब्लाक सिंधिया पाट्रीज के निकट स्थित है ।

यहाँ विभिन्न विभागों में कार्यरत सरकारी कर्मचारी रहते हैं । यहाँ का वातावरण शांत है । यहाँ कई सरकारी विद्यालय और स्थानीय बाजार हैं । हमारा मकान कोने का है । इसके साथ की सड़क इन मकानों को दो भागों में विभाजित करती है । हमारे सामने वाले मकान में एक शर्माजी रहते हैं ।

ये लोग मेरठ के मूल निवासी हैं । शर्मा जी की दो पुत्रियां और एक पुत्र है । इन का स्वभाव बहुत अच्छा है । इनकी पत्नी अध्यापिका है । इस परिवार से हमारी आत्मीयता हो गई है । हम लोग एक-दूसरे के यहाँ जलपान कर लेते हैं ।

हमारे ऊपर वाले मकान में एक सिंधी परिवार है । इस परिवार में दो पुत्रियां और उनके माता-पिता हैं । ये लोग काफी समृद्ध हैं । पति-पत्नी दोनों ही धार्मिक विचारों के हैं । दोनों लड़कियां किसी पल्लिक स्कूल में पढ़ती हैं । हमारे साथ वाले क्वार्टर में मिस्टर गुप्ता रहते हैं ।

वे लगभग पचपन वर्ष के हैं और केन्द्रिय विद्यालय में प्रधानाचार्य है । आस-पड़ोस के लोग उन का बड़ा सम्मान करते हैं । अपने बच्चों की शिक्षा संबंधी समस्याओं को सुलझाने के लिए लोग प्राय: उनके पास आते हैं । इन के दो पुत्र और एक पुत्री है । दोनों लड़के कालिज के छात्र हैं । ये पास पड़ोस में बहुत लोकप्रिय है ।

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हमारे सामने वाले क्वार्टर में एक अधिकारी है। उनकी आयु लगभग पैंतीस वर्ष है। उनके तीन पुत्रियां और दो पुत्र हैं । पत्नी अनपढ़ और घमण्डी स्वभाव की है । जरा-जरा सी बात पर लड़ पड़ती है । बच्चों की बुरी तरह से पिटाई करती है । पड़ोसी इस परिवार से डरते हैं ।

यद्यपि मिस्टर वटोटिया देखने में भले आदमी लगते हैं पर उन के विषय में सुना जाता है कि वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से पक्षपात करते हैं । उन से दुर्व्यवहार करते हैं । सुना है किसी चपरासी ने उनकी पिटाई भी कर दी थी । पड़ोसी इन के यहाँ मजबूरी में ही जाते हैं ।

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एक परिवार ऐसा भी है जिनके पास चार कारें हैं । इनकी बसें भी चलती हैं । ये लोग पिछले तीस वर्ष से यहाँ रह रहे हैं । मिस्टर त्यागी का यह र्क्वाटर उनके पिताजी के सेवानिवृत्त होने पर मिल गया था । त्यागी जी खाद्य एवं संस्थान विभाग में हैं ।

उनके तीन पुत्र और एक पुत्री है । वे गाजियाबाद के समीपवर्ती किसी गांव के हैं । उन्हें कृषि भूमि के अधिग्रहण के बदले लगभग एक करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में मिले हैं । त्यागी जी धार्मिक प्रवृत्ति के हैं परन्तु उनके लड़के बड़े दबंग हैं ।

वे प्रतिवर्ष माता का जागरण करते हैं । कहते हैं कि महारानी की कृपा का ही यह परिणाम है कि वे आज समृद्ध हैं । सारांश यह है कि यहाँ अधिकांश पड़ोसी सभ्य शिक्षित और शांतिप्रिय हैं । लोग एक-दूसरे के दुःख-सुख में सम्मिलित होते हैं और एक दूसरे के लिए कुछ करने की भावना उन में है ।

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