साहस की भावना पर निबन्ध | Essay on The Spirit of Adventure in Hindi!

साहसिक कार्य का तात्पर्य है किसी नई और अज्ञात वस्तु की खोज करना । हमारे देश में साहसिक कार्य करने की इच्छा कम लोगो में है ।

बिना किसी निश्चित स्वार्थ के कोई कार्य करना हमारे स्वभाव और प्रकृति के बिल्कुल विपरीत है । हम उपयोगितावादी व्यक्ति हैं । यदि हम कहीं यात्रा पर जाते है तो ऐसे कार्य के लिए जाते हैं जो या तो इस जन्म में लाभ देगा अथवा तीर्थयात्रा के द्वारा अपने अगले जन्म को सफल बनाते हैं ।

हमारे पास दूसरे देशों से भारत में आने वाले प्राचीन यात्रियों के बहुत से ऐतिहासिक प्रमाण हैं परन्तु ऐसे भारतवासियों के बारे में कोई प्रमाण नहीं है जो ज्ञान अथवा लाभ प्राप्ति के उद्देश्य से विदेशों में गए हों । कुछ भारतीय व्यापारियों द्वारा बंगाल की खाड़ी को पार करके इण्डोनेशिया के द्वीपों में जाने के उल्लेख कहीं-कहीं मिलते हैं । परन्तु यह कोई साहसिक कार्य करने की घटनाएं नहीं थी ।

साहस का वास्तविक अर्थ है किसी अज्ञात वस्तु की प्राप्ति के आनंद के कारण ही सभी प्रकार के कष्टों और जोखिमों का सामना करना । यह हमारे साहस की भावना के लिए चुनौती है और हमारे मन की दृढ़ता की परीक्षा है । अज्ञात वस्तु का आह्वान हमें रोमांचित और उत्तेजित करता है । ऐसी किसी बात को खोज निकालना, जिसका हमें कोई ज्ञान नहीं, जोखिम का काम नहीं कहा जा सकता ।

इसके लिए यदि हमें जोखिम उठाना पड़े तो भी हम ऐसा करके उसका पता लगाएंगे । क्या अज्ञात का पता लगाने में आने वाली किसी भी कठिनाई को बहुत अधिक नहीं कहा जा सकता ? हम कठिनाई को दूर करेंगे और रूकावटों को पार करेंगे । यही सच्ची भावना होती है । भय और कठिनाईयाँ हमारे प्रयासों में दृढ़ता लाए जाने का कारण बन जाते हैं ।

नि:संदेह साहसिक कार्य करने की भावना का मनुष्य के चरित्र पर बहुत प्रभाव पड़ता है । यह मनुष्य को वीर और दृढ़ बनाती है । इससे वह अपने भाग्य का निर्माता बन जाता है । यह उसे निर्भीक परन्तु सचेत और सोच समझकर कदम उठाने वाला साहसी परन्तु दु:साहस न करने वाला बनाती है ।

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उसे इस बात का पता होता है कि अपने कार्यों तथा साधनों में किस प्रकार संतुलन बनाकर रखना है । उसे सतर्क और साधन संपन्न होना चाहिए । ऐसे कार्य करने वालों के चरित्र का सर्वतोमुखी विकास होता है । साहसिक कार्य करने के बाद वह पहले से बेहतर व्यक्ति बन जाता है ।

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साहस की भावना का विकास किया जाता है । हम जीवन को इतना प्यार करते हैं कि इसे गँवाने के लिए बहुत उत्सुक नहीं है । फिर भी एक कंजूस की तरह जीवन से अत्यधिक प्यार करने का भी संभवत: कोई औचित्य नहीं है । अच्छा तो यह होता है कि हम जीवन और मरण को भूलकर साहस और निर्भीकता से जोखिमों का सामना करें ।

इससे हमें शक्ति तथा प्रेरणा मिलती है । इससे जीवन में उत्साह संचार होता है और जीवन जीने योग्य बनता है । युवकों के लिए यह अच्छी बात है कि वे बिना किसी साथी के और अपनी ही प्रेरणा से कभी-कभी बाहर जाया करें और दुनियाँ को स्वयं देखें । ”साहस का जीवन असंभव कार्य करने की कला का अभ्यास होता है ।”

भारत में इस संबंध में स्थिति अब बहुत कुछ बदल चुकी है । तेनसिंह द्वारा एवरेस्ट पर चढ़ाई और राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा बहुत ही प्रेरणादायक सिद्ध हुए हैं । पर्वतारोहण विद्यालयों की स्थापना के बाद हिमालय की बहुत-सी ऐसी चोटियों पर विजय प्राप्त कर ली गई है जिस पर अभी तक कोई नहीं चढ़ पाया था ।

हमारे बहुत से भारतीय युवकों ने बिना जेब में एक पैसा लिए साइकिल पर एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीपों की यात्राएं की है । राजनैतिक स्वतंत्रता के परिणामस्वरूप मानसिक स्वतंत्रता का मिलना निश्चित होता है और जैसे-जैसे बुद्धि का क्षेत्र विस्तृत होता है हम टेनीसन के यूलिसिस के इस आदर्श वाक्य के अनुरूप कार्य करते जाते है कि ” प्रयास करो, खोज करो, पता लगाओ और कभी हार न मानो । ”

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