Read this essay in Hindi to learn about the national policy for women empowerment in India.
महिला सशक्तिकरण हेतु भारत सरकार द्वारा घोषित नीति 2001 के कुछ महत्वपूर्ण अंशों का विवरण नीचे दिया गया है:
ध्येय एवं उद्देश्य:
राष्ट्रीय महिला नीति का मुख्य लक्ष्य, महिलाओं की प्रगति, विकास एवं उनका सशक्तिकरण सुनिश्चित करना है ।
राष्ट्रीय महिला नीति के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
१. सम्पूर्ण महिला विकास हेतु अनुकूल आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों का निर्धारण करते हुए समुचित वातावरण सृजित करना जिससे महिलाएं अपने अन्दर विद्यमान क्षमताओं का उपयोग करने में सक्षम हो सकें ।
२. राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में पुरुष तथा महिलाओं को समस्त मानवाधिकार तथा मौलिक स्वतंत्रता प्रदान करने हेतु कानूनी कदम उठाना ।
३. राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन में समानता के आधार पर महिलाओं की निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित करना ।
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४. समानता के आधार पर महिलाओं की पहुँच तथा सभी स्तरों पर गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, समान मजदूरी, कार्यस्थल पर सुरक्षा एवं सामाजिक संरक्षण प्रदान करना ।
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५. कानूनी व्यवस्था को सुदृढ़ करना ताकि महिलाओं के प्रति किसी भी प्रकार के भेदभावों की समाप्ति हो सके ।
६. पुरुष एवं महिलाओं की सहभागिता को बढ़ावा देना जिससे जेण्डर सम्बन्धी, सामाजिक सोच एवं सामुदायिक व्यवहारों में समुचित परिवर्तन लाया जा सकें ।
७. महिलाओं के दृष्टिकोण को विकास प्रक्रिया में समाहित करना ।
८. महिला तथा बालिका के प्रति सभी प्रकार की हिंसा एवं भेदभाव को समाप्त करना ।
९. महिलाओं, पुरुषों, विद्यार्थियों, जमीन से जुड़े कार्यकर्त्ताओं, संस्थाओं, संस्थानों, विभागों व महिला संगठनों की सहभागिता से महिलाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को विकसित करने का विशेष प्रयास करना ।
क्रियान्वयन नीति:
वैद्यानिक न्याय एवं कानून व्यवस्था को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाया जायेगा ताकि इनके विरूद्ध हिंसा को रोका जा सकें तथा वे अपने निजी एवं सार्वजनिक जीवन में भयमुक्त जीवन जीने का अधिकार प्राप्त कर सकें ।
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हिंसा के अन्तर्गत न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक, यौनिक, आर्थिक रूप से दमन, शोषण व वंचना भी शामिल है । किसी भी प्रकार की धमकी देने व अधिकारों के हनन को भी हिंसा में शामिल किया जायेगा ।
१. समुदाय, धार्मिक नेता एवं समाज के सभी वर्ग / समूह से विस्तृत चर्चा कर व्यक्तिगत कानून, जैसे- विवाह, तलाक, गुजारे, छोटे बच्चों का संरक्षण इत्यादि में इस प्रकार संशोधन लाना जिससे महिलाओं की स्थिति में सुधार लाया जा सके एवं उनके विरूद्ध भेदभावों को समाप्त किया जा सके ।
२. पितृसत्ता व्यवस्था के अन्तर्गत सम्पत्ति का अधिकार महिलाओं की स्थिति बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । राष्ट्रीय महिला नीति के अन्तर्गत महिलाओं के वैवाहिक एवं पैतृक सम्पत्ति कानून में विस्तृत चर्चा के उपरान्त आवश्यक संशोधन इस आशय से करना जिससे ये जेण्डर हित में हो ।
३. सभी स्तर पर महिलाओं की सत्ता एवं निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी को बढ़ावा देना । जैसे- विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका, कार्पोरेट संस्थान, आयोग, समिति, बोर्ड एवं ट्रस्ट इत्यादि में महिला हेतु आरक्षण (कोटा) निश्चित करने पर भी सरकार विचार करें ।
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४. विकास प्रक्रिया में जेण्डर दृष्टिकोण का समावेश, विकास प्रक्रिया में महिला दृष्टिकोण को समाहित करने हेतु अभिनव कार्यक्रम निर्धारित किये जायेंगे जिससे महिलाएं उत्प्रेरक, भागीदार एवं लाभार्थी की भूमिका अपना सकें ।