अस्पताल के एक वार्ड का दृश्य पर अनुच्छेद | Paragraph on A Scene in a Hospital Ward in Hindi

प्रस्तावना:

हर अस्पताल में कई वार्ड होते हैं । वार्डों को आमतौर पर रोगों के अनुसार बांटा जाता है । स्त्रियों तथा बच्चों के विशेष रोगों, ऑपरेशन के रोगियों आदि के लिए अलग-अलग वार्ड होते है ।

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छूत के रोगों का वार्ड आमतौर पर अलग से होता है, जबकि अन्य सभी वार्ड बरामदों और गलियारों से जुड़े होते हैं । इन वार्डो में वे मरीज रहते हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराने की आवश्यकता होती है ।

अस्पताल की इमारत:

अस्पताल की इमारत काफी बड़ी होती है और उसी आकार की अन्य इमारतें भी दिखती हैं । इसे कलात्मक ढंग से बनाया जाता है । कमरों में खिडकियां, दरवाजे और रोशनदान आदि खूब होते हैं । कमरों में थोड़ा, लेकिन साफ-सुथरा फर्नीचर होता है । कमरों में तरह-तरह के लोहे के स्विंगदार पलंग होते हैं । उन्हें एक ओर से ऊंचा या नीचा किया जा सकता है ।

आमतौर से अस्पताल की इमारत शोर-शराबे से दूर होती है और इमारत के बाहर बगीचा तथा घास के मैदान होते हैं । हर वार्ड के सामने कुछ-न-कुछ हरियाली दिखाई पडती है । बरामदों तथा गलियारों में जगह-जगह गमलों में तरह-तरह के पौधे मन को आकर्षित करते हैं ।

इससे अस्पताल की शोभा बढती है और मरीजों को स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण मिलता है । अस्पताल में खूब सफाई की जाती है । दिन में कम-से-कम दो बार झाडू और फिनाइल का पोंछा लगाया जाता है ।

फर्श हर समय चमकता दीखता है ।

अस्पताल में आने वाले सभी मरीज भर्ती नहीं किये जाते । पहले मरीज आउट डोर विभाग में जाता है । यह इमारत के शुरू में ही होता है । जब डॉक्टर किसी मरीज की हालत देखकर अस्पताल में भर्ती करके उसका इलाज करना जरूरी समझता है, तो वह उस मरीज को भर्ती होने के लिए आदेश देकर एक पर्चा दे देता है ।

वार्ड का दृश्य:

डॉक्टर के आदेश को लेकर मरीज या उसके रिश्तेदार एक कमरे में जाते है, जहा फैला एक क्लर्क डॉक्टर की पर्ची देखकर मरीज का वार्ड नम्बर बता देता है । मरीज उस वार्ड का पता लगा कर वहां पहुंच जाता है । वार्ड के मरीज एक नर्स की देखभाल में रहते हैं, जिसे सिस्टर कहते हैं ।

वही उनकी देखभाल करती है । नर्सें सफेद और चुश्स्त पोशाक पहनती है । वे मरीजों की सभी जरूरतें पूरी करती है । समय पर उन्हें भोजन कराती है तथा उनके बिस्तर ठीक करती हैं । नियत समय पर वे वार्ड के सभी मरीजों की नब्ज देखती है और तापक्रम लेती हैं तथा उसे मरीज के पलंग के पास पर लटके एक कागज पर नोट कर देती हैं ।

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डॉक्टरों के आदेशानुसार वे समथ पर मरीजों के इंजेक्शन लगाती हैं और दवा आदि पिलाती है । मरीज आराम से पलंग पर लेटे रहते है, लेकिन नर्सें इधर से उधर से वार्ड का चक्कर लगाती रहती हैं, ताकि किसी मरीज को आवश्यकता के लिए चिल्लाना न पड़े । वे मरीजों के कष्ट में उनका हौसला भी बढ़ाती है ।

हर वार्ड में कम-से-कम एक बार बड़ा डॉक्टर मरीजों का हाल देखने आता है । उसके साथ 2-3 छोटे डॉक्टर भी होते हैं । वे वार्ड के प्रत्येक पलग पर जाकर मरीज से उसका हाल पूछते है और पलंग पर लटकी परची से उसका तापक्रम और नाड़ी की गति समझ कर दवा का निदान कर देते हैं और नर्स को समुचित आदेश देते रहते है ।

डॉक्टर आमतौर से मृदुभाषी होते हैं और वे मरीजों का हौसला बढ़ाते हैं । वार्ड के किसी मरीज की हालत खराब हो जाने पर नर्स तत्काल डाक्टर को बुला भेजती है और डॉक्टर के आने तक मरीज का हौसला बढाती है ।

रोगियों से मिलने के समय वार्ड का दृश्य:

हर अस्पताल में कुछ ऐसा समय नियत होता है, उस दौरान रोगियों के मित्र और रिश्तेदार आकर उनसे मिल सकते हैं । इस दौरान वार्ड में बड़ी चहल-पहल हो जाती है और रोगी की कुशलता का समाचार पूछते हैं । ऐसे समय वार्ड में बड़ा शोर मचता है और कुछ गम्भीर रोगियों को कष्ट होता है । निश्चित समय पर एक घंटी बजती है । यह रिश्तेदारों के बाहर जाने का संकेत है । धीरे-धीरे सारे मित्र-रिश्तेदार वार्ड से बाहर चले जाते हैं और फिर वही पूर्ववत् शांति छा जाती है ।

उपसंहार:

अधिकांश नर्स और डॉक्टर बड़े भले होते हैं । वे मरीजों की अच्छी तरह देखभाल करते हैं । लेकिन कुछ डाक्टर और नर्सें बड़े लापरवाह और लालची होते हैं । अस्पताल के अन्य कर्मचारी आदि भी कहीं-कहीं बड़े कामचोर होते है और जब तक उन्हें कुछ दिया न जाये, वे कोई काम नहीं करते ।

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