मानव जीवन और कंप्यूटर-क्रांति पर निबंध | Essay on Human Life and Computer Revolution in Hindi!
वस्तुत: मानव सभ्यता के विकास में सूचनाओं कं आदान-प्रदान का विशेष महत्त्व रहा है । इसके अभाव में विकास संभव नहीं था । आरंभ में लोगों को कंप्यूटर की क्षमता पर भरोसा नहीं था, किंतु आज घर से बाहर तक सभी कामों में कंप्यूटर इस तरह घुसपैठ कर चुका है कि इसके बिना जीवन की कल्पना करना भी असंभव है ।
आरंभिक काल में कंप्यूटर इतने सक्षम नहीं थे, लेकिन इसके विकास-क्रम के दूसरे चरण में जब कंप्यूटर की आंतरिक संरचना मैं परिवर्तन आया, तब वह पहले से कहीं अधिक सक्षम और उपयोगी बन गया । आज कंप्यूटरों ने कार्यालयों में काम-काज को नया रूप दिया है ।
फाइलें और रजिस्टर धीरे-धीरे दफ्तरों से विदा होते जा रहे हैं । इसके अतिरिक्त ऐसे कामों के लिए जहाँ बहुत अधिक आँकड़े जमा करने पड़ते हैं, जैसे कि रेलवे आरक्षण, जहाँ टिकट आरक्षण के साथ-साथ गाड़ियों के आने-जाने से संबंधित सारी जानकारी भी तुरंत उपलब्ध करानी होती है, वहाँ कंप्यूटर सर्वाधिक उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं ।
कंप्यूटर में संगृहीत आँकड़ों के आधार पर तत्काल कोई भी सूचना सुगमतापूर्वक प्राप्त की जा सकती है । इनके अतिरिक्त बाजार, शेयर बाजार, हवाई अड्डा और यहाँ तक कि घर का हिसाब-किताब रखने और सारी व्यवस्था करने में यह कंप्यूटर डाटाबेस सहायक सिद्ध हो रहे हैं ।
आज बाजार में ऐसे बहुत सारे सॉफ्टवेयर पैकेज मौजूद हैं, जिनकी सहायता से आम व्यक्ति कंप्यूटर की थोड़ी-बहुत जानकारी प्राप्त करके सरलतापूर्वक सूचनाओं को संसाधित कर घंटों के काम को मिनटों में कर सकता है । त्वरित गणना और गणना संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ‘कंप्यूटर’ का आविष्कार हुआ । आज अंतरिक्ष यंत्र, मौसम संबंधी भविष्यवाणियों, व्यवसाय, चिकित्सा और अखबारी दुनिया में कंप्यूटर का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है ।
किसी भी कंप्यूटर के ५ मुख्य हिस्से होते हैं:
१. मेमोरी अथवा स्मृति- इस भाग में कई प्रकार की सूचनाएँ भरी जाती हैं, जिनके आधार पर कंप्यूटर गणना करता है ।
२. कंट्रोल अथवा नियंत्रण– यह भाग बताता है कि अपेक्षित गणना में कंप्यूटर सही काम कर रहा है अथवा नहीं ।
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३. अंकगणित- इस हिस्से में गणना संबंधी प्रक्रिया संपन्न होती है ।
४. इनपुट- इस हिस्से में तमाम तरह की जानकारी तथा उससे संबंधित निर्देश संकलित होते हैं ।
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५. आउटपुट- यह भाग मिली सूचनाओं के आधार पर विश्लेषण कर संभावित परिणाम बताता है, जो छपकर बाहर निकलता है ।
अब एक स्वाभाविक प्रश्न है- कंप्यूटर में सूचनाएँ कैसे भरी जाती हैं ? कंप्यूटर को जानकारी देने के लिए एक अलग भाषा और संकेत हैं । कंप्यूटर में हिंदी-अंग्रेजी अथवा अन्य भाषाओं की वर्णमाला के अक्षरों का प्रयोग नहीं होता है, अत: सभी सूचनाओं को पहले कंप्यूटर की भाषा में परिवर्तित करना होता है, जो टेक्निक की दृष्टि से ‘ऑफ’ और ‘ऑन’ तथा ‘शून्य’ और ‘एक’ हैं, जिनको द्विचर संख्या अथवा ‘बिट्स’ कहते हैं । अंग्रेजी वर्णमाला में २६ अक्षर हैं एवं १० अंक संख्याएँ हैं तथा कुछ विराम चिह्न और गणित संबंधी संकेत हैं, जिनसे हम सारे भावों को व्यक्त करते हैं ।
मान लीजिए, आप कंप्यूटर में वर्णमाला अथवा संख्याओं के लिए ६ बिट्स का इस्तेमाल करें तो संख्या ३ को इस प्रकार कंप्यूटर में प्रेषित करेंगे- ००००११; यदि ५ को कंप्यूटर में प्रेषित करना है तो ०००१०१ प्रेषित करेंगे । आप ६ बिट्स को ६४ तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं । इन उदाहरणों से कम-से-कम आप इतना तो समझ ही सकते हैं कि बिट्स में अंकों का इस्तेमाल क्यों होता है ।
एक बात और रोचक है कि कंप्यूटर की भाषा में ६४ संकेत हैं, जबकि अंग्रेजी भाषा में २६ वर्ण-संकेत और १० अंक-संकेत हैं । इस प्रकार कंप्यूटर की भाषा का आधार अंग्रेजी भाषा से अधिक विस्तृत है ।
कंप्यूटर के इनपुट उपकरण में ‘की-बोर्ड’ अथवा कुंजी-पटल पर अंग्रेजी वर्णमाला के २६ अक्षर, १० अंकगणित की संख्याएँ, आवश्यक विराम चिह्न संकेत तथा गणित संबंधी कुछ संकेत होते हैं । इसी कुंजी-पटल से प्रेषित जानकारी बिट्स संकेतों में परिवर्तित होकर स्मरण उपकरण में संकलित हो जाती है । इन सूचनाओं के आधार पर आंकगणित उपकरण पूर्व-निर्देशों के अनुसार नियंत्रण उपकरण की सहायता से विश्लेषण कर परिणाम तैयार करता है । अंतिम परिणाम कंप्यूटर टर्मिनल अथवा मुद्रित होकर बाहर आ जाता है । यह कार्य आउटपुट उपकरण द्वारा निष्पादित होता है ।
एक रोचक प्रश्न, जो रह-रहकर मस्तिष्क में कौंधता है, वह यह कि कंप्यूटर मानव-मस्तिष्क से भिन्न कैसे है ? निस्संदेह आज भी मानव-मस्तिष्क श्रेष्ठ है । मनुष्य में अन्वेषण और आविष्कार की चेतना है । वह सोच सकता है, विचार कर सकता है । उसमें अनुभूति की क्षमता है । वह अच्छे-बुरे की परख कर सकता है ।
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कला चाहे कोई भी हो, पेंटिंग अथवा संगीत, उसे रिझा सकती है अथवा उसे तंग कर सकती है, उसे बोझिल बना सकती है । दूसरे शब्दों में-व्यक्ति की पसंद-नापसंद अथवा निर्णय व्यक्ति की अनुभूति, रुचि, ज्ञान और अनुमान से प्रभावित होता है, वहीं कंप्यूटर इस प्रकार का निर्णय करने में सक्षम नहीं है । वह भावना-आवेग में शून्य होता है । कंप्यूटर स्वयं कुछ नहीं सोच सकता, वह केवल व्यक्ति की सोच के आधार पर निर्णय कर सकता है ।
कंप्यूटर की स्मरण-शक्ति की कोई सीमा नहीं हें किंतु मानव की सीमित है । बेशक, व्यक्ति की विश्लेषण-क्षमता असीमित है, परंतु कंप्यूटर की सीमित है । इसका कारण यह है कि कंप्यूटर उन्हीं सूचनाओं के आधार पर विश्लेषण करता है, जो उसे प्रेषित की जाती हैं ।
आंकिक कार्यों के करने की गति कंप्यूटर की दूसरी विशेषता है । इलेक्ट्रानिक विज्ञान की प्रगति ने कंप्यूटरों की कार्यगति बहुत बढ़ा दी है । अत्याधुनिक कंप्यूटर १ सेकंड में १० लाख गणना कर देता है । कंप्यूटर कार्य करते समय न तो थकान महसूस करता है और न ही उसका ध्यान भंग होता है । १ सेकंड में १० लाख गणना करने के बाद घंटों वह समान गति से काम करता रहता है, किंतु उसकी शुद्धता ज्यों-की-त्यों वनी रहती है ।
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आज कंप्यूटर का इस्तेमाल अनेक क्षेत्रों में हो रहा है । चाहे ऑटोमोबाइल उपयोग हो, पर्सनल डिपार्टमेंट (कार्मिक विभाग) हो, फैशन हो या चिकित्सा-क्षेत्र हो, मौसम संबंधी सूचनाएँ हों अथवा चुनाव संबंधी भविष्यवाणियाँ, हर क्षेत्र में कंप्यूटर का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है । कंप्यूटर के प्रयोग से हर क्षेत्र में विकास की गति बड़ी है ।
उदाहरण के लिए, ऑटोमोबाइल उद्योग में हजारों पुर्जे एक साथ एक समय पर सही क्रम में कंप्यूटर संयोजित कर सकता है । यही काम यदि कोई मनुष्य एक साथ करे तो न जाने कितने दिन बरबाद होंगे । कार्मिक विभाग में तो वेतन और मजदूरी के हिसाब से कंप्यूटर के इस्तेमाल से काफी सुविधा होती है ।
डिजाइन के क्षेत्र में तो कंप्यूटर ने क्रांति ला दी है । वायुयान, कार, पुल और सड़क के डिजाइन को काफी वस्तुपरक बना दिया है । तकनीकी भाषा में कंप्यूटर के इस उपयोग को ‘सीएडी’ कहते हैं । चिकित्सा विज्ञान में कंप्यूटर ने उपचार-क्षमता और अनुसंधान को बहुत विकसित किया है ।
एक बार किसी रोगी से संबंधित सारे तथ्य कंप्यूटर में डाल दे तो रोग पहचानने में कोई दिक्कत नहीं होगी । हृदय के रोगी के विषय में सूक्ष्म-से-सूक्ष्म सूचनाएँ कंप्यूटर से ज्ञात की जा सकती हैं, जिनकी सहायता से डॉक्टरों को रेग-नियंत्रण में सहायता मिलती है । यातायात-नियंत्रण, विधि-व्यवस्था और दूरसंचार-व्यवस्था को अधिक कारगर बनाने में कंप्यूटरों का प्रयोग हो रहा है ।
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भविष्य में कंप्यूटर मानव-विकास में अप्रतिम साधन सिद्ध होगा । मनुष्य अनुभूति, सोच, चेतना, निर्णय और रचनात्मकता में कंप्यूटर से आगे है; किंतु शुद्धता, गति और कार्य करने की क्षमता में कंप्यूटर मनुष्य को पीछे छोड़ देता है । मनुष्य और कंप्यूटर के सहयोग से वे बातें साकार की जा सकती हैं, जो आज अकल्पनीय लगती हैं ।