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समाचार-पत्र व पत्रिकाओं का महत्त्व पर निबंध | Essay on Importance of Newspapers and magazines in Hindi!
लोकतंत्र में समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं का काफी महत्त्व होता है । समाचार-पत्र लोकमत को व्यक्त करने का सबसे सशक्त साधन है । जब रेडियो तथा टेलीविजन का ज्यादा जोर नहीं था, समाचार-पत्रों में छपे समाचार पढ़कर ही लोग देश-विदेश मे घटित घटनाओं की जानकारी प्राप्त किया करते थे ।
अब रेडियो तथा टेलीविजन सरकारी क्षेत्र के सूचना के साधन माने जाते हैं अत: तटस्थ और सही समाचारों के लिए ज्यादातर लोग समाचार-पत्रों को पढ़ना अधिक उचित और प्रामाणिक समझते है । समाचार-पत्र केवल समाचार अथवा सूचना ही प्रकाशित नहीं करते वरन् उसमें अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग पृष्ठ और स्तम्भ (Column) निधारित होते हैं ।
पहला पृष्ठ सबसे महत्त्वपूर्ण खबरों के लिए होता है । महत्त्वपूर्ण में भी जो सबसे ज्यादा ज्वलन्त खबर होती है वह मुख पृष्ठ पर सबसे ऊपर छापी जाती है । पहले पृष्ठ का शेष भाग अन्यत्र छापा जाता है । अखबार का दूसरा पन्ना ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं होता, उसमें प्राय: वर्गीकृत विज्ञापन छापे जाते है ।
रेडियो, टेलीविजन के दैनिक कार्यक्रम, एकाध छोटी-मोटी खबर इसी पृष्ठ पर छपती हैं । तृतीय पृष्ठ पर ज्यादातर स्थानीय समाचार तथा कुछ बड़े विज्ञापन छापे जाते हैं । चौथा पृष्ठ भी प्राय: खबरों तथा बाजार भावों के लिए होता है । पांचवें पृष्ठ में सांस्कृतिक गतिविधियां और कुछ खबरें भी छापी जाती हैं ।
आधे / चौथाई पृष्ठ वाले विज्ञापन और कुछ समाचार भी इस पृष्ठ पर ही छापते है । अखबार का बीचोंबीच का भाग काफी महत्त्व का होता है । इसमें ज्वलन्त विषयों से सम्बन्धित सम्पादकीय किसी अच्छे पत्रकार का सामयिक विषयों पर लेख, ताकि सनद रहे जैसे रोचक प्रसंग भी इसी बीच के पृष्ठ पर छापे जाते हैं ।
पहले अखबार केवल इकरंगे हुआ करते थे । उसमें छापे गए चित्र भी श्वेत-श्याम होते थे । अब छपाई अथवा मुद्रण कला में काफी प्रगति हुई है जिसकी वजह से अखबारों में अनेक प्रकार के आकर्षक रंगीन चित्र भी छापे जाते हैं ।
अखबार कई प्रकार के होते हैं दैनिक, त्रिदिवसीय, साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक अखबार भी होते है । कैलीफोर्निया में प्रकाशित हिन्दुइज्स टुडे मासिक समाचार-पत्र है जो विश्वभर में हिन्दुओं की गतिविधियों का मासिक लेखा-जोखा छापता है । आमतौर से दैनिक समाचार-पत्र ही ज्यादा लोकप्रिय होते हैं । कुछ साप्ताहिक अखबार होते हैं जो पूरे सप्ताह की गतिविधियों का लेखा-जोखा छापते हैं ।
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अखबार के बाद पत्रिकाओं का भी अपना एक विशिष्ट महत्त्व है । पत्रिकाएं ज्यादातर विषय प्रधान तथा अपने एक सुनिश्चित उद्देश्य को लेकर निकाली जाती हैं । कुछ पत्रिकाएं केवल नवीन कथाकारों की कहानियां ही छापती हैं, सारिका, माया आदि में पहले कहानियाँ छपा करती थीं ।
इंडिया टुडे साप्ताहिक पत्रिका है जो अंग्रेजी तथा हिन्दी दोनों भाषाओं में छपती है । इसमें ज्यादातर राजनीतिक समाचार होते हैं । कभी ब्लिट्ज का भी अच्छा नाम था, आज यह पत्रिका अपना पुराना स्तर बनाए रखने में सफल नहीं हो पा रही है । पांचजन्य हिन्दू विचारधारा की श्रेष्ठ पत्रिका मानी जाती है ।
सिद्धान्तत: अखबार स्वतंत्र होने चाहिए और उसमें वही सामग्री छपनी चाहिए जो सत्य, शिव तथा सुन्दर हो । परन्तु ऐसा नहीं हो पाता । आजकल अखबार चलाना कोई हंसी-खेल नहीं है । अत: इनके स्वामी कोई-न-कोई बड़े पूंजीपति ही होते हैं ।
इन पूंजीपतियों के विभिन्न राजनीतिक दलों से संबंध होते हैं जिनकी वजह से विचारों की अभिव्यक्तियों में कोई भी अखबार अपने आपको पूर्णरूपेण तटस्थ नहीं रख पाता । अवसर प्राप्त करते ही वह पार्टी विशेष का समर्थक बनकर उसी का गुणगान करने लगता है । लोकतांत्रिक व्यवस्था में अखबारों की यह शैली उचित नहीं कही जा सकती ।
वर्तमान युग में अखबार (समाचार-पत्र) एवं पत्रिकाओं का महत्त्व निरंतर बढ़ता जाता है । प्राय: प्रत्येक पढ़ा-लिखा व्यक्ति अखबार पढ़ने के लिए उत्सुक अवश्य होता है । इसलिए अखबार तथा पत्रिकाओं के मालिकों एवं सम्पादकों को चाहिए कि वे अपने दायित्व को समझें तथा समाज की सहज उन्नति के लिए सदा सचेत रहकर ऐसी खबरें छापें जो सही तथा समन्वयवादी हों ।