मेरी पांच प्रिय वस्तुएं पर निबंध | Essay on My Five Favourite Things in Hindi!
हर व्यक्ति की अपनी पसंद होती है । इसी तरह नापसंद भी । मेरी भी कुछ विशेष रुचियां हैं, प्रिय वस्तुएं हैं । और इसी तरह अप्रिय वस्तुएं भी । मेरी सबसे प्रिय वस्तु है प्रकृति का निरीक्षण । प्रकृति इतनी सुंदर, इतनी मनोरम और आश्चर्यजनक है ।
इसका निरीक्षण करने से ज्ञान भी बहुत मिलता है । जब भी मुझे अवसर मिलता है, मैं प्रकृति को बड़े ध्यान से देखता हूं । इस काम में मेरा मन बड़ा रमता है । पक्षियों को गाते, उड़ते, चुग्गा-चुगते और घोंसला बनाते देखना मुझे बड़ा अच्छा लगता है । रात को तारों को देखना, बरसात में नहाना, जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक स्थान पर देखना, नदी, पहाड़ या समुद्र की यात्रा करना मेरे प्रिय शौक है ।
पुस्तकें पढ़ना भी मुझे अच्छा लगता है । पाठ्य-पुस्तकों के अतिरिक्त सामान्य ज्ञान की पुस्तकें और प्रसिद्ध लोगों की जीवनियां पढ़ना मुझे प्रिय है । उनसे मुझे बड़ी प्रेरणा और साहस मिलता है । कहानियां भी मेरा प्रिय विषय है । मेरे पास इन विषयों पर कई अपनी पुस्तकें हैं ।
पुस्तकालय से लेकर भी मैं पढ़ता हूँ । पत्र-पत्रिकाएं भी मैं पढ़ता हूँ । उनमें छपे हल्के-फुल्के, लेख, कविताएं, कार्टून, चित्र, चुटकुले, कहानियां मुझे अच्छे लगते हैं । कभी-कभी सरल और छोटी-छोटी कविताएं भी मेरे पढ़ने का विषय होती हैं ।
संगीत भी मेरा प्रिय विषय है । यद्यपि मैं स्वयं गा नहीं सकता और न कोई वाद्ययंत्र बजा सकता, फिर भी संगीत से मेरा लगाव है । फिल्मी गीतों और संगीत के अलावा भजन सुनने और कभी-कभी शास्त्रीय संगीत को सुनने का भी मुझे चाव है । संगीत सुनकर बड़ी शांति मिलती है, मन की एकाग्रता बढ़ती है, और आनन्द आता है ।
यात्रा पर जाना भी मुझे अच्छा लगता है । पहाड़ी स्थानों पर जाना मेरे लिए विशेष आनन्द की बात है । मैं अपने माता-पिता के साथ कई पर्वतीय स्थलों पर जा चुका हूँ । इन में नैनीताल, शिमला और मनाली मुख्य हैं ।
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वहां प्रकृति को बहुत समीप से देखने का सुअवसर मिलता है । भारत के कई बड़े-बड़े शहर भी मैंने देखे हुए हैं । बड़ा होकर मैं सारे भारत के दर्शन करना चाहता हूं । यात्रा और पर्यटन ज्ञान-प्राप्ति का भी बहुत सुंदर साधन है ।
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मुझे अपने माता-पिता और मित्रों से बातचीत करना भी बड़ा अच्छा लगता है । फुर्सत के समय हम मित्र लोग आपस में विभित्र विषयों पर बातें करते हैं । लेकिन गप्पों में समय बर्बाद नहीं करते । वातावरण, पर्यावरण, पशु, पक्षी, सामान्य ज्ञान आदि हमारी बातचीत के विषय होते हैं ।
हम एक-दूसरे को नई-नई जानकारी देते हैं, प्रश्न पूछते हैं, ज्ञान की पहेलियां पूछते है, चुटकुले सुनाते हैं और उचित हँसी-मजाक भी करते हैं । मेरे एक मित्र को बागवानी का बहुत शौक है, तो दूसरे को डाक टिकिट संग्रह करने का । वे मुझे अपने-अपने शौक के बारे मैं बताते हैं ।
पिताजी से तो मेरी बातें छुट्टी के दिन ही हो पाती हैं क्योंकि वे बड़े व्यस्त रहते हैं । जिन प्रश्नों के उत्तर मुझे नहीं मिलते, वे मैं उनसे पूछता हूं । सही और संतोषजनक उत्तर पाकर मुझे अपार प्रसन्नता होती है । माताजी से बातचीत का तो अपना ही आनन्द है । उसमें बड़ी घनिष्ठता है, अपनापन है और है स्नेह । वे मुझे लोककथाएं और धार्मिक कहानियां भी सुनाती हैं । मैं उनको अपने मन की सब बातें बताता रहता हूं, कुछ भी नहीं छिपाता ।
मेरी और भी कई छोटी-मोटी पसंद हैं । परन्तु मुख्य ये ही हैं । मैं अपनी इन रुचियों को और ज्यादा निखारना चाहता हूं । लाभदायक बनाना चाहता हूं । इस बारें में मुझे पुस्तकों से बड़ी सहायता और प्रेरणा मिलती है । विद्यालय में अध्यापक भी मेरी इस कार्य में बड़ी सहायता करते हैं । वे पुस्तकों के चयन में विशेष रूप से मेरे मार्गदर्शक रहते हैं ।