बैसाखी का त्यौहार पर अनुच्छेद | Paragraph on Baishakhi Festival in Hindi

प्रस्तावना:

बैसाखी का त्यौहार फसल का त्यौहार है । इस त्यौहार को समूचे पंजाब और हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निवासी बड़े उत्साह से मनाते हैं ।

इस त्यौहार में हिन्दू, मुसलमान और सिक्ख सभी लोग समान रूप से भाग लेते हैं । यह त्यौहार हर वर्ष 13 अप्रैल को पड़ता है । यह बैसाख माह के पहले दिन होता है । इस दिन लोग नए-नए वस्त्र पहनते हैं । घरो मे हलवा तथा अरर मिठाइयां आदि स्वादिष्ट पदार्थ बनते हैं ।

बैसाखी मेला:

बैसाख का त्यौहार मनाने के लिए हर शहर क२चे या मुहल्ले में एक मेला लगता है । आमतौर से ऐसे स्थान पर बैसाखी मेला लगता है, जिसका कुछ धार्मिक महत्त्व हो । साधारणतौर पर नदी या नहर अथवा तालाब के किनारे या मंदिर के प्रांगण मे यह मेला लगता है । बैसाखी पर्व के एक दिन पूर्व यहां बाजार लगता है । मिठाई, चाट, खिलौनों, फलों आदि की अनेक दुकानें लगाई जाती हैं । लोग बडी संख्या में आकर खरीदारी करते हैं ।

मेले का वर्णन:

मेले में तरह-तरह की दुकाने होती हैं । इसमे अनेक प्रकार के झूले और चर्खियाँ लगाई जाती हैं । लड़के-बच्चे और स्त्रिया विशेष रूप से घूमते झूलों में बैठते हैं और हवा में तेजी से ऊपर-नीचे होते हुए प्रफुल्लित होते हैं । बच्चे इनमें बैठकर विशेष आनन्द मनाते हैं ।

ADVERTISEMENTS:

मेले में अनेक नट और बाजीगर भी आ जाते हैं । वे दर्शकों को तरह-तरह के खेल दिखाकर अच्छी आमदनी कर लेते हैं । मेले में कहीं मदारी बदंरों का नाच दिखाते हैं, तो कहीं भालू का नाच होता है । चाट-पकौडी की दुकानो पर बच्चों और रियो की भीड़ दिखाई देती है । बैसाखी के दिन मेले में बड़ी भीड़ हो जाती है । चारों ओर आदमी-ही-आदमी दिखाई देते है । कहीं तिल रखने को स्थान नहीं होता ।

लोक-नृत्य:

बैसाखी मेले में लोक-जुटा का प्रदर्शन भी किया जाता है । मेले के एक भाग में बहुत-से लोग घेरा बनाकर खडे दिखाई देगे । बीच में ग्रामीण पुरुषों और महिलाओ की एक टोली होगी । ये आमतौर पर आस-पास के गाँवों के किसान होते हैं । वे ढोल-नगाडों की तान पर अपने लोक-नृत्यों का प्रदर्शन करते है ।

हाथों में वे लम्बे-लम्बे डंडे लिये होते हैं । उन्हें हवा में उछाल कर कूदते है और डंडे लपक लेते हैं । हाथ-पैरों को हवा मे उछाल कर वे जोर-जोर से “बैसाखी आई रे, बैसाखी आई रे” लय से चिल्लाते हैं । सभी नर्तक खुशी से झूमते हैं । बहुत-से दर्शक भी अपने आपको नहीं रोक पाते और स्वय नाचने लगते हैं ।

धार्मिक प्रवचन:

मेले में एक ओर आमोद-प्रमोद के अनेक साधन होते हैं और दूसरी ओर अनेक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति अपने धर्म के प्रचार का काम करते है । वे बड़े-बड़े शामियाने लगाते हैं । हिन्दुओं, सिक्स तथा आर्यसमाजियों के अलग शामियाने लगाते हैं । इनमे भजन गाये जाते हैं और धार्मिक प्रवचन होते हैं । यही बैठकर लोग सांसारिक वैभव भूल कर ईश्वर का ध्यान करते हैं ।

उपसंहार:

ADVERTISEMENTS:

बैसाखी फसल का त्यौहार है । इस समय तक खेतों से फसल काट ली जाती है । किसानों को अपनी कड़ी मेहनत का फल पाकर बड़ी प्रसन्नता होती हैं । उनके पास अब कुछ खाली समय होता है और जेब भी भरी होती हैं । अत: वे इस त्यौहार को बड़े उत्साह और हर्षोल्लास ने मनाते हैं ।

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