भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध | Essay on India ‘s National Festivals in Hindi!

भारत विभिन्नताओं का देश है । यहाँ विभिन्न जातियों, धर्मों , वेश-भूषा व विभिन्न संप्रदाओं के लोग निवास करते हैं । इनके त्योहार भी भिन्न-भिन्न हैं । ये त्योहार इनके जीवन में नई खुशियाँ व नवचेतना का मार्ग प्रशस्त करते हैं । इन त्योहारों के अतिरिक्त स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस व गाँधी जयंती राष्ट्रीय पर्व हैं जिन्हें पूरा राष्ट्र एक साथ मिलकर मनाता है ।

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ये राष्ट्रीय पर्व समस्त भारतीय जन-मानस को एकता के सूत्र में पिरोते हैं । ये उन अमर शहीदों व देशभक्तों का स्मरण कराते हैं जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष किया और राष्ट्रों की स्वतंत्रता, गौरव व इसकी प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए अपने प्राणों को भी सहर्ष न्यौछावर कर दिया ।

स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष अगस्त माह की पंद्रहवीं तिथि को मनाया जाता है । 15 अगस्त की तिथि सभी भारतवासियों के लिए अत्यत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन शताब्दियों लंबे अंग्रेजी दासत्व के बाद हमारा देश स्वतंत्र हुआ था । इस दिन सत्ता की बागडोर हमने स्वयं सँभाली थी और ऐतिहासिक लाल किले पर भारत का तिरंगा झंडा फहराया था ।

यह स्वतंत्रता राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के भागीरथ प्रयासों व अनेक महान नेताओं तथा देशभक्तों के बलिदानों की गाथा है । यह स्वतंत्रता इसलिए और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत को आजादी बंदूकों, तोपों से नहीं अपितु गाँधी जी के महान आदर्शों, सत्य व अहिंसा के पथ पर चलकर प्राप्त हुई ।

15 अगस्त के दिन प्रत्येक वर्ष भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी लाल किले पर राष्ट्रीय झंडा (तिरंगा झंडा) फहराते हैं तथा राष्ट्र के अपने संबोधन में पिछले वर्ष सरकार द्‌वारा किए गए कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं तथा अनेक नवीन योजनाओं की उद्‌घोषणा होती है ।

राजधानी दिल्ली में यह उत्सव विशेष धूमधाम से मनाया जाता है । इस दिन जगह-जगह विशेष प्रकार के आयोजन किए जाते हैं । चारों ओर देशभक्ति के संगीत से पूरा वातावरण झूम उठता है । ध्वजारोहण के उपरांत राष्ट्रगान होता है । रात्रि में दीपों की जगमगाहट, विशेषकर संसद भवन व राष्ट्रपति भवन की सजावट देखते ही बनती है ।

15 अगस्त की भाँति 26 जनवरी अर्थात् ‘गणतंत्र दिवस’ भी हमारा एक राष्ट्रीय पर्व है । 26 जनवरी 1950 ई॰ को हमारे देश का अपना संविधान लागू हुआ था । हमारा संविधान विश्व का सबसे विस्तृत संविधान है । इसी दिन हमारा राष्ट्र पूर्ण स्वायत्त गणतांत्रिक राज्य बना अर्थात भारत को संपूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न गणराज्य घोषित किया गया । गणतंत्र दिवस हमें 26 जनवरी 1930 ई॰ का स्मरण कराती है क्योंकि इसी दिन नेहरू जी की अध्यक्षता में पहली बार पूर्ण स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था।

गणतंत्र दिवस भारत की राजधानी दिल्ली में विशेष रूप से मनाया जाता है । इस दिन प्रात: आठ बजे विजय चौक पर प्रधानमंत्री अपने मंत्रिगण के साथ राष्ट्रपति महोदय की अगवानी करते हैं । इस दिन विजय चौक से प्रारंभ होकर लाल किले तक जाने वाली परेड समारोह का प्रमुख आकर्षण होती है । परेड में सर्वप्रथम जल, थल तथा वायु, तीनों सेनाओं के प्रमुख माननीय राष्ट्रपति को सलामी देते हैं ।

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इसके उपरांत देश के सभी प्रदेशों की आकर्षक झाँकियाँ प्रस्तुत की जाती हैं । परेड राष्ट्र की वैज्ञानिक, कला व संस्कृति के उत्थान को दर्शाती है । देश के अन्य भागों में विद्‌यालयों, कार्यालयों, राज्यों की राजधानियों आदि में अनेक प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं ।

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गाँधी जयंती भी हमारा एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रतिवर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जन्म दिवस की शुभ स्मृति में 2 अक्टूबर को देश भर में मनाया जाता है । महात्मा गाँधी एक युग पुरुष थे जिनके नेतृत्व में देश को सैकड़ों वर्षों की अंग्रेजी दासता से आजादी प्राप्त हुई । ‘सत्य और अहिंसा’ का जो मार्ग उन्होंने हमें दिखलाया वह सभी के लिए अनुकरणीय है ।

गाँधीजी ने समाज के उपेक्षित तथा दलित लोगों को समाज में बराबरी का स्थान दिलाने के लिए आजीवन प्रयत्न किया । छुआछूत की कुप्रथा के वे घोर विरोधी थे । भारत की निर्धनता को दूर करने के लिए उन्होंने सभी देशवासियों को चरखा चलाने की प्रेरणा दी । प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को हम सभी भारतवासी युगपुरुष महात्मा गाँधी को श्रद्‌धासुमन अर्पित करते हैं ।

2 अक्टूबर को प्रात:काल देशभर में प्रभातफेरियाँ निकाली जाती हैं । इस दिन उनकी स्मृति में देशभर में विभिन्न प्रकार की सभाओं, गोष्ठियों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है । गाँधी जी की समाधि राजघाट पर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अन्य विशिष्ट लोग पुष्पांजलि अर्पित करते हैं । महात्मा गाँधी अमर रहें के नारों से संपूर्ण वातावरण गूँज उठता है ।

हमारे राष्ट्रीय पर्व राष्ट्रीय एकता के प्रेरणा का श्रोत हैं । ये पर्व सभी भारतीयों के मन में हर्षोंल्लास व नवीन राष्ट्रीय चेतना का संचार करते हैं तथा यह संकल्प लेने हेतु प्रेरित करते हैं कि हम अमर शहीदों के बलिदानों को व्यर्थ नहीं जाने देंगे तथा अपने देश की रक्षा, गौरव व इसके उत्थान के लिए सदैव समर्पित रहेंगे ।

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा ।

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