क्रिसमस पर निबंध |Christmas in Hindi!
क्रिसमस ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है । ईसाई समुदाय के लिए इस त्योहार का वही महत्व है जो हिंदुओं के लिए दशहरा तथा दीपावली का है । यह त्योहार विश्वभर में फैले ईसा मसीह के करोड़ों अनुयायियों के लिए पवित्रता का संदेश लाता है तथा उनके बताए हुए मार्गों व उच्च आदर्शों पर चलने हेतु प्रेरित करता है ।
क्रिसमस का त्योहार प्रतिवर्ष अंग्रेजी महीने के अनुसार दिसंबर की 25 तारीख को मनाया जाता है क्योंकि प्रभु ईसा मसीह का जन्म इसी शुभ तिथि में हुआ था । ईसा मसीह ऊँच-नीच के भेदभाव को नहीं मानते थे । अत: क्रिसमस का पावन पर्व भी किसी एक का नहीं अपितु उन सभी का है जो उनके समर्थक हैं तथा उन पर आस्था रखते हैं ।
इस त्योहार के कई दिनों पूर्व ही लोगों में उत्साह और उल्लास की झलक देखने को मिल जाती है । इस पावन दिन के अवसर पर सभी अपने घरों को नाना प्रकार के पुष्पों झालरों व तस्वीरों से सजाते हैं । बाजार व दुकानों में चहल-पहल देखते ही बनती है ।
इस त्योहार पर ‘क्रिसमस-ट्री’ सजाने का विशेष महत्व है । यूरोपीय देशों में तो इसकी सजावट व भव्यता देखते ही बनती है । भारत में भी इसके महत्व को अब विस्तृत रूप से देखा जा सकता है । परिवार के सभी सदस्य इस दिन ‘क्रिसमस-ट्री’ के चारों और एकत्रित होते हैं । सभी मिलकर प्रभु ईसा मसीह का स्तुतिगान तथा प्रार्थना करते हैं।
इस अवसर पर ईसाई अपने घरों को बहुत ही आकर्षक ढंग से सजाते हैं और विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर पड़ोसियों को भेंट करते हैं तथा खुद भी खाते हैं । बच्चों के लिए शांताक्लाज कोई न कोई उपहार अवश्य लाता है क्योंकि ईसा मसीह स्वयं बच्चों से बहुत स्नेह रखते थे ।
अब तो भारत में क्रिसमस के त्योहार का आनंद सभी समुदायों के लोग उठाने लगे हैं जिससे सामाजिक सद्भाव की अभिवृद्धि होती है । सभी समुदायों के लोग एक-दूसरे को क्रिसमस की शुभकामनाएँ देते हैं ।
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ईसा मसीह को परमेश्वर का दूत माना जाता है । वे संसार के दीन-दुखियों का दु:ख दूर करने तथा ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को दूसरों के समक्ष प्रकट करने हेतु अवतरित हुए थे । प्रारंभ में उन्हें अनेक कठिनाइयाँ आईं परंतु बाद में धीरे-धीरे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी । उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से संसार में व्याप्त अंधविश्वास, अज्ञानता, दुख आदि को दूर करने का प्रयास किया ।
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लोग उन्हें ‘मुक्ति प्रदान करने वाले’ के रूप में जानने लगे । उनकी बढ़ती हुई ख्याति व समर्थन ने तत्कालीन यहूदी शासकों को चिंतित करना प्रारंभ किया । अपनी अज्ञानता के कारण उन्हें लगा कि ईसा मसीह लोगों को गलत उपदेश देकर भड़का रहे हैं ।
फलस्वरूप वे ईसा मसीह के विरोश् गई हो गए । अंतत: उन्हें धर्म की मर्यादा का उल्लंघन तथा जनता को गुमराह करने का आरोप लगाकर कठोर यातना देते हुए शूली पर लटका दिया गया । ईसाइयों का विश्वास है कि प्रभु ईसा मसीह अपने कथनानुसार तीसरे दिन पुन: जीवित हो गए थे । इसमें मानवता के कल्याण की भावना निहित थी।
प्रभु ईसा मसीह ने सादा जीवन व्यतीत करते हुए भी जो उच्च आदर्श इस संसार के सम्मुख रखे हैं वे आज भी अनुकरणीय हैं तथा चिरकाल तक अनुकरणीय रहेंगे । ईसा मसीह ने अपना सर्वस्व परमेश्वर के लिए समर्पित कर दिया था । संसार में व्याप्त दुख, विषमताओं तथा अज्ञानता को दूर करने के लिए वे सदैव प्रयासरत रहे ।
यह त्योहार सभी हृदयों को पवित्रता के भाव से ओत-प्रोत करता है और हमें प्रेरित करता है कि अनेक कठिनाइयों का सामना करने पर भी हमें सन्मार्ग का त्याग नहीं करना चाहिए तथा दूसरों को भी पवित्रता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए यथासंभव सहयोग करना चाहिए ।