विजयादशमी (दशहरा) |Essay on Vijaya Dashami (Dussehra) in Hindi!
सार भारत में शायद ही कोई ऐसा स्थान हो जहाँ त्योहार-पर्व न मनाए जाते हों । यद्यपि हिंदू अनेक त्योहार तथा पर्व मनाते हैं, तथापि इन समस्त त्योहारों में ये चार त्योहार प्रमुख हैं- होली, दीपावली, दशहरा और रक्षाबंधन ।
इनका विभाजन वर्णाश्रम-व्यवस्था के अनुसार इस प्रकार से हुआ है- रक्षाबंधन ब्राह्मणों का, विजयादशमी क्षत्रियों का, दीपावली वैश्यों का तथा होली शूद्रों का त्योहार माना गया है । विजयादशमी आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है । वैसे इसका समारोह पूरे दस दिन अर्थात् परीवा से दशमी तक चलता है ।
इसलिए इसे ‘दशहरा’ कहते हैं । बंगाल में इस त्योहार को ‘दुर्गा-पूजा’ कहा जाता है । कहा जाता है कि भगवान् राम ने आश्विन मास की दशमी के दिन ही रावण का वध करके राक्षसों पर विजय पाई थी । इसी कारण इस त्योहार को ‘विजयादशमी’ कहते हैं ।
बंगाली समाज में प्रचलित है कि भगवान् राम ने रावण पर विजय प्राप्ति के पूर्व दुर्गा माता का स्मरण किया था और उनकी कृपा से ही राम को रावण पर विजय मिली थी । इसीलिए वे दशहरा के अवसर पर दुर्गा देवी की पूजा करते हैं ।
इस कारण इस त्योहार को ‘दुर्गा-पूजा’ भी कहा जाता है । वैसे भी हिंदू जन इस अवसर पर अपने घरों में दुर्गादेवी की स्थापना करके नित्य नौ दिन- अर्थात् परीवा से नवमी तक- दुर्गा माता की पूजा करते हैं, तत्पश्चात दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है ।
विजयादशमी के अवसर पर गाँव-गाँव तथा नगर-नगर में ‘रामलीला’ खेली जाती है । रामलीला में राम का विवाह, लक्ष्मण-परशुराम संवाद, राम वन-गमन, सीता-हरण, लंका-दहन, गम-रावण युद्ध, लंका-विजय, भरत-मिलाप तथा राम-राज्याभिषेक इत्यादि राम संबंधी कथाओं की लीला होती है । दशहरा के दिन प्रमुख रूप से रावण पर राम की विजय दिखाई जाती है ।
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दशहरा के दिन प्रत्येक हिंदू अपने घर-द्वार की साफ-सफाई करता है । नाना प्रकार के स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं । क्षत्रिय दशहरा के अवसर पर अपने अस्त्र-शस्त्रों की पूजा करते हैं । जिन घरों में घोड़ा होता है, वहाँ दशहरे के दिन आँगन में घोड़े को लाकर ‘दशहरा’ की परिक्रमा कराई जाती है और घर के पुरुष घोड़े पर सवार होते हैं ।
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दशहरे के अवसर पर शहर के हाट-बाजारों में बड़ी सजावट और चहल-पहल रहती है । इस अवसर पर समारोह के रूप में रामलीला संबंधी जो चौकियाँ निकलती हैं, वे भी दर्शनीय होती हैं । जब किसी देश निवासी अपने जीवन से संतुष्ट होते हैं, तो उसका देश धन-धान्य से पूर्ण होता है, तभी वह अपने देश तथा संस्कृति के विकास की ओर प्रयत्नशील होता है । त्योहार तथा पर्व इस बात की सूचना देते हैं कि अमुक देश अथवा जाति अपने जीवन से पूर्णरूप से संतुष्ट है और अपना जीवन हँसी-खुशी व्यतीत कर रही है ।
दशहरा का केवल सामाजिक ही नहीं वरन् राष्ट्रीय महत्त्व भी है । जनमत के अनुसार, राम सद्वृत्तियों के प्रतीक हैं, इसलिए राम की रावण पर विजय का अर्थ है- कुप्रवृत्तियों पर सद्वृत्तियों की विजय, सत्य की असत्य पर विजय, अँधेरे पर उजाले की विजय ।
यह त्योहार शिक्षा देता है कि इस संसार में सदैव अन्यायी तथा अत्याचारी की हार और न्यायी तथा सदाचारी की विजय होती है । इसलिए मानव को अन्याय, अत्याचार तथा असत् पथ को छोड़कर सदैव न्याय, सदाचार तथा सत्पथ को अपनाना चाहिए ।
वास्तव में, विजयादशमी का त्योहार समाज में चेतनता और सजगता लाता है । यह मनुष्य को पवित्र मन से सुकर्म करने तथा हृदय से कुविचारों को दूर करने की प्रेरणा देता है । अत्याचारी कितना भी शक्तिशाली हो, अंत में उसका सर्वनाश निश्चित है ।