ईद पर निबंध / A New Essay on Eid in Hindi!

ईद मुसलमान भाइयों का सर्वप्रमुख त्योहार है । इस त्योहार को ईद-उल-फित्र के नाम से भी जाना जाता है । यह त्योहार रमजान के महीने की त्याग, तपस्या और व्रत के उपरांत आता है । यह प्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न करनेवाला पर्व है । इस दिन चारों ओर खुशी और मुस्कान छाई रहती है । हर कोई ईद मनाकर स्वयं को सौभाग्यशाली समझता है ।

रमजान का पूरा महीना व्रत का महीना होता है । हर स्वस्थ मुसलमान रोजे रखता है । दिन में न कुछ खाता है, न पानी पीता है । सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच ही खाया-पीया जाता है । बहुत सब्र की जरूरत होती है, बड़ी तपस्या के दिन होते हैं यह! जब बाहर लू के थपेड़े चल रहे हों, जब प्यास के मारे गला सूख रहा हो, तब लगातार एक महीने तक व्रत रखना सचमुच दिलेरी का काम है । पर बच्चों और बीमार लोगों को व्रत से छूट दे दी गई है । बच्चे बड़े होकर यह व्रत कर सकते हैं, बीमार स्वस्थ होकर इस्लामी मान्यताओं का पालन कर सकते हैं ।

रमजान का पावन महीना जैसे-जैसे बीतता गया, लोगों की उत्कंठा बढ़ती गई । बच्चे अधीर होने लगे… कब ईद आएगी? अब्बाजान तो कहते थे, जल्दी ईद आएगी, पर अभी तक ईद आयी नहीं । पर नए वस्त्र तो सिलवा कर रख सकते हैं, पसंद की टोपी तो खरीद ही सकते हैं । उनका उत्साह थमने का नाम नहीं ले रहा ।

ADVERTISEMENTS:

आखिर आसमान में ईद के चाँद के दर्शन हुए और शाही इमाम ने ईद की घोषणा कर दी । घर-घर में मीठी सेवइयाँ बनाने की तैयारी होने लगी । बच्चे, बुजुर्ग सब जल्दी-जल्दी नहा- धोकर ईदगाह या मस्जिद जाने लगे । आत्मा और परमात्मा का मिलाप हुआ । मानव-मानव एक हुआ । शांति और सौहार्द के नए वातावरण का सृजन हुआ ।

प्रार्थना समाप्त हुई । लोग एक-दूसरे से गले मिले । ईद की बधाइयों का आदान-प्रदान हुआ । बच्चे मेला देखने के लिए मचल गए । बड़े भी उनकी खुशी में शरीक हुए । बच्चों को गुब्बारे, खिलौने, झूले और खाने-पीने की चटपटी चीजें भाई । बुजुर्गों ने भी अपने-अपने ढंग से मनोरंजन किया । महीने भर खुदा की इबादत का यह सुफल मिला है । सब ओर चहल-पहल है । हर कोई अपनी पसंद की चीजें खरीद रहा है, खा-पी रहा है और सामाजिक मेल-मिलाप हो रहा है । बाजारों में विशेष रौनक है, गली-मोहल्ले में चहल-पहल है । घर में मीठी सेवइयाँ पक रही हैं । लोग एक-दूसरे को अपने घर दावत दे रहे हैं ।

आज हर कोई प्रसन्न है । गरीब से गरीब आदमी भी ईद को पूरे उत्साह से मना रहा है । दु:ख और पीड़ा पीछे छूट चुकी है । अमीर और गरीब का अंतर मिट चुका है ।

खुदा के दरबार में सब एक हैं, अल्लाह की रहमत हर एक पर बरसती है । अमीर खुले हाथों दान दे रहे हैं । यह कुरान का निर्देश है कि ईद के दिन कोई दु:खी न रहे । यदि पड़ोसी दु:ख में है तो उसकी मदद करो । यदि कोई असहाय है तो उसकी सहायता करो । यही धर्म है, यही मानवता है ।

ADVERTISEMENTS:

इस तरह दिन हँसी-खुशी में बीत गया । ईद की खुशी में सभी सामाजिक समूहों ने मुसलमानों का साथ दिया । उनके घर जाकर ईद के पकवान खाए । सामाजिक वैमनस्य मिटा । ईद सबके साथ प्रेम करने तथा अपने सुख-दु:ख बाँटने का संदेश दे गया ।

Home››Festivals››Eid-ul-Fitr››