पोंगल पर निबन्ध | Essay on Pongal (A Social Festival) in Hindi!
भारत त्यौहारों और मेलों की भूमि है । भारत के प्रत्येक राज्य में भिन्न – भिन्न प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं यदि केरला वासी ओणम मस्ती और जोश से मनाते हैं तो तमिलनाडु के लोग भी उसी जोश और मस्ती से मानते हैं । वास्तव में पोंगल तमिलनाडु का सबसे महत्वपूर्ण तियौहर है ।
यह जनवरी के महीने में मनाया जाता है और तीन दिन तक चलता है । इस त्यौहार का किसानों के लिए विशेष महत्त्व है । यह कृषि से जुड़ा हुआ त्यौहार है । तमिलनाडु में भरी सर्दियों में भी वारिश होती है । चावल यहाँ की मुख्य फसल है । चावल की फसल को अधिक वर्षा का पानी चाहिए । इन्द्रदेव वर्षा के देवता हैं इसलिए इन्द्रदेव की पूजा इस त्यौहार की प्रमुख विशेषता है ।
तमिलनाडु के लोग बड़ी बेसब्री से इस त्यौहार की प्रतीक्षा करते हैं, क्योंकि चावल की फसल कटाई के लिए दिसम्बर के अन्त या जनवरी के मध्य तक तैयार हो जाती है । किसान अपनी फसल काटने के बाद छुट्टी मनाने के मूड में होते हैं । बाद में किसान स्वतन्त्र रूप से पूरे जोश व खरोश के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं । यह खुशी का त्यौहार होता है और बहुत धूम धड़ाके से मनाया जाता है । इस त्यौहार का पहला दिन भोगी पोंगल के नाम से जाना जाता है ।
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भोगी पोंगल के दिन चावल का दलिया तमिलनाडु के हर घर में बनाया जाता है । चावल से तैयार यह दलिया बहुत स्वादिष्ट होता है । लोग सगे सम्बन्धियों और मित्रों को भोज पर आमन्त्रित करते हैं । यह भोजन वर्षा के देवता इन्द्रदेव के सम्मान में आयोजित किया जाता है ।
ऐसा विश्वास किया जाता है चावल की फसल इन्द्रदेव के आर्शीवाद से पर्याप्त वर्षा के रूप में हुई है । इस दिन इन्द्रदेव को धन्यवाद दिया जाता है । चावल को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है और उस दिन चावल खाना शुभ माना जाता है । इसलिए लोग भिन्न-भिन्न प्रकार के चावल बनाकर खाते हैं ।
दूसरे दिन सूरज देवता की पूजा होती है । इसे सूर्य पोंगल कहते हैं । इस दिन उबले हुए चावल सूरज देवता को अर्पित किए जाते हैं । यह सूर्य देवता को धन्यवाद कहने वाला दिन होता है । ऐसा विश्वास किया जाता है की धान की फसल उगाने में सूर्य देवता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है । महिलायें सूर्य की आकृति बनाती हैं ।
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तीसरे दिन मत्तू पोंगल कहा जाता है । तमिलनाडू के किसान गाय को पवित्र माता का दर्जा देते हैं और उसकी पूजा करते हैं । इस दिन गाय की पूजा की जाती है क्योंकि गाय कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है । गाय को धुआ जाता है, नहलाया जाता है और उनके सिगों को भिन्न प्रकार के रंगो से रंगा जाता है ।
उनके माथे को सिंदूर से रंगा जाता है, फूलों के हार उनके गलों और सीगों में पहनाये जाते हैं । उन्हें बढ़िया-बढ़िया चीजें खिलाई जाती हैं । रात में लोग बेहतरीन खाना बनाते हैं और दोस्त सम्बन्धियों को भोज पर आमंत्रित करते हैं । पोंगल की अपनी पवित्रता है । यह त्यौहार देवता और पशुओं की सहायता के लिए उनके प्रति कृतज्ञता को दर्शाता है ।