Hindi Story on Never Underestimate Anyone!
किसी को कमजोर मत समझो |
एक जंगल में एक सर्प रहता था । वह रोज चिड़ियों के अंडों, चूहों, मेढकों एव खरगोश जैसे छोटे-छोटे जानवरों को खाकर पेट भरता था । वह आलसी भी बहुत था । एक ही स्थान पर पड़े रहने के कारण कुछ ही दिनों में वह काफी मोटा हो गया ।
जैसे-जैसे वह ताकतवर होता गया, वैसे-वैसे उसका घमंड भी बढ़ता चला गया । एक दिन सर्प ने सोचा, ‘मैं जंगल में सबसे ज्यादा शक्तिशाली हूं । इसलिए मैं ही जंगल का राजा हू । अब मुझे अपनी प्रतिष्ठा और आकार के अनुकूल किसी बड़े स्थान पर रहना चाहिए ।’
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यह सोचकर उसने अपने रहने के लिए एक विशाल पेड़ का चुनाव किया । पेड़ के पास चींटियों की बस्तियां थीं । वहां ढेर सारे मिट्टी के छोटे-छोटे कण जमा थे । उन्हें देखकर उसने पूणा से मुंह बिचकाया और कहा : ”यह गंदगी मुझे पसंद नहीं । यह बवाल यहा नहीं रहना चाहिए ।”
वह गुस्से से बिल के पास गया और चींटियों से बोला : ”मैं नागराज हूं इस जंगल का राजा ! मैं आदेश देता हू कि जल्द-से-जल्द इस गद को यहा से हटाओ और चलती बनो ।” सर्पराज को देखकर वहा रहने वाले अन्य छोटे-छोटे जानवर थर-थर कांपने लगे ।
पर नन्ही चींटियों पर उसकी धौंस का कोई असर नहीं पड़ा । यह देखकर सर्प का गुस्सा बहुत अधिक बढ़ गया और उसने अपनी पूंछ से बिल पर कोड़े की तरह जोर से प्रहार किया । इससे चींटियों को बहुत क्रोध आया । क्षण भर में हजारों चींटियां बिल से निकलकर बाहर आईं और सर्प के शरीर पर चढ़कर उसे काटने लगीं ।
नागराज को लगा जैसे उसके शरीर में एक साथ हजारों कांटे चुभ रहे हों । वह असह्य वेदना से बिलबिला उठा । असंख्य चींटियां उसे नोच-नोचकर खाने लगीं । वह उनसे छुटकारा पाने के लिए छटपटाने लगा । मगर इससे कोई फायदा नहीं हुआ । कुछ देर तक वह इसी तरह संघर्ष करता रहा, पर बाद में अत्यधिक पीड़ा से उसकी जान निकल गई ।
उसके बाद भी चीटियों ने उसे नहीं छोड़ा और उसका नर्म माँस नोच-नोचकर खा गईं । कुछ ही देर बाद वहाँ सांप का अस्थि-पंजर पड़ा था । इसीलिए कहते हैं कि किसी को छोटा समझकर उस पर बेवजह रोब नहीं जमाना चाहिए । बहुत सारे छोटे मिलकर बड़ी शक्ति बन जाते हैं ।