Hindi Story on ‘Peace’ (With Picture)!
शांति का मार्ग |
एक व्यापारी था । उसने व्यापार में खूब कमाई की । बड़े-बड़े मकान बनाए, नौकर-चाकर रखे, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि उसके दिन फिर गए । व्यापार में घाटा आया और वह एक-एक पैसे के लिए मोहताज हो गया ।
जब उसकी परेशानी सहन से बाहर हो गई, तब वह एक साधु के पास गया और रोते हुए बोला : ”महाराज, मुझे कोई रास्ता बताइए, जिससे मुझे शांति मिले ।” साधु ने पूछा : ”तुम्हारा सब कुछ चला गया ?” व्यापारी ने कहा : “जी हां ।”
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साधु बोले : ”तुम्हारा था तो उसे तुम्हारे पास रहना चाहिए था! वह चला कैसे गया ?” व्यापारी चुप हो गया । ”जन्म के समय तुम अपने साथ कितना धन लाए थे ?” ”स्वामीजी, जन्म के समय तो सब खाली हाथ आते हैं ।”
साधु बोले : ”ठीक है अब यह बताओ कि मरते समय अपने साथ कितना ले जाना चाहते हो ?” ”मरते समय साथ कौन ले जाता है, जो मैं ले जाऊंगा ।” साधु बोले : “जब तुम खाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाओगे तो फिर चिंता किस बात की करते हो ?”
व्यापारी ने कहा : ”महाराज, जब तक मौत नहीं आती, तब तक मेरी और मेरे घर वालों की गुजर-बसर कैसे होगी? साधु हंस पड़े : “जों धन के भरोसे रहेगा, उसका यही हाल होगा । तुम्हारे हाथ-पैर तो हैं, उन्हें काम में लाओ ।
पुरुषार्थ सबसे बड़ा धन है । ईश्वर पर भरोसा रखो । शांति का यही एक मात्र रास्ता है । व्यापारी की आखें खुल गईं । उसका मन शांत हो गया । जाने कितने वर्षों के बाद पहली बार रात को उसे चैन की नींद आई और उसके शेष वर्ष बड़े आनंद में बीते ।”