Hindi Story on the Donkey and the Lion!

गधा और सिंह |

एक सिंह और एक गधे में आपस में बहुत गहरी मित्रता थी । यद्यपि उनका स्वभाव भिन्न था, परंतु वे हमेशा साथ-साथ ही घूमते थे । गधा और सिंह जहां भी जाते, वहीं वन्य प्राणियों में भगदड़ मच जाती ।

दरअसल, यह होता तो शेर की वजह से था, मगर गधे को बड़ी भारी गलतफहमी हो गई थी कि सभी जीव-जन्तु उससे भी दहशत खाते हैं और वह भी एक बलशाली जीव है । एक बार जब वे जंगल में साथ-साथ घूम रहे थे तो उन्होंने भेड़ियों का एक झुंड देखा ।

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भेड़ियों को देखते ही गधे की मानसिक वीरता जाग उठी और वह सिंह की नकल करता हुआ मुंह खोल जोर-जोर से ‘ढीचूं-ढिंचू’ करता हुआ उनकी ओर ऐसे झपटा जैसे उन्हें खा जाएगा । भेड़ियों में भगदड़ मच गई । सभी अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे ।

जिसको जिधर मौका लगा उधर भाग निकला । उन्होंने पीछे मुड़ कर भी नहीं देखा । यह सब देखकर गधा बहुत प्रसन्न हुआ । बहुत गर्व से चलता हुआ वह वापस शेर के पास आया । उसको देखकर सिंह ने कहा : ”क्यों मित्र, इतनी जोर-जोर से क्यों रेंक रहे थे? क्या बात थी ?”

”अरे! मित्र, शायद तुमने मेरी वीरता नहीं देखी । भेड़ियों का झुंड मुझे देखते ही इधर-उधर भाग गया । वे समझे मैं उन्हें खा जाऊंगा । कितने डरपोक हैं ।” गर्व से सीना फुलाकर गधे ने कहा । उसकी बात सुनकर सिंह ठहाका मारकर हंसने लगा : ”ओह ! तो यह कारण है जो तुम इतने प्रसन्न हो ।

अरे, तुम मेरे मित्र हो इसमें कोई संदेह नहीं । फिर भी तुम्हें यह बात याद रखनी चाहिए कि तुम एक गधे हो, सिंह नहीं । भेड़िए तुम्हारे डर से नहीं, बल्कि इसलिए भाग गए क्योंकि मैं तुम्हारे साथ था । एक दोस्ताना सलाह देता हूं-कभी अकेले हो तो यह काम मत करना, वरना वही भेड़िए तुम्हें टुकड़े-टुकड़े करके खा जाएंगे ।”

निष्कर्ष: दूसरों के बल पर किसी से शत्रुता नहीं करनी चाहिए ।

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