Hindi Story on the ‘Right Way’ (With Picture)!
सही रास्ता |
किसी नगर में एक साधु रहता था । उसके चेहरे पर हर घड़ी प्रसन्नता छाई रहती थी, उसके जीवन में मस्ती का साम्राज्य था । लोग अपनी-अपनी समस्याए लेकर उसके पास आते थे और संतुष्ट होकर जाते थे ।
एक दिन एक सेठ साधु के पास आया और उन्हें प्रणाम करके बोला : “महाराज मेरे पास किसी चीज की कमी नहीं है, धन-दौलत, बाल-बच्चे सब कुछ हैं । फिर भी मेरा मन बड़ा अशांत रहता हैं । मैं क्या करूँ ?” साधु ने कोई वह चुपचाप बैठा रहा, फिर उठकर चल दिया । सेठ भी उसके पीछे-पीछे चल दिया ।
आश्रम के एक कोने में जाकर साधु ने आग जलाई और एक-एक करके लकड़ी उसमें डालता रहा । आग तेज होती रही । कुछ देर के बाद वह बिना सेठ की ओर देखे उठ खड़ा हुआ । सेठ को बड़ी हैरानी हुई । वह तो अपना दुख लेकर साधु के पास आया था, पर साधु अपने काम में लगा रहा और फिर बिना कुछ कहे वहां से जा रहा था ।
सेठ ने आगे बढ़कर कहा : “स्वामीजी, मैं बड़ी आशा लेकर आपकी सेवा में आया हूं । मुझे कुछ रास्ता तो बताइए ।” साधु बड़े जोर से हंसते हुए बोला : ‘अरे, मूर्ख मैं इतनी देर से कर क्या रहा था ? तुझे रास्ता ही तो बता रहा था । देख, हर आदमी के अँदर एक आग होती है । अगर उसमें प्यार की आहुति दो तो वह आनंद देती है पूणा की अहइत दो तो वह जलती है ।
तू अपनी आग में रात-दिन काम, क्रोध, लोभ, मोह, मर्द-मत्सर की लकड़ियां डाल रहा है । भले आदमी अगर बीज अशांति के बोएगा तो शांति का फल कैसे पाएगा ? अपनी अंतरात्मा को टटोल, सुख और दुख बाहर नहीं, बल्कि भीतर हैं । सेठ की आखें खुल गईं । उसे सही रास्ता मिल गया । जिससे उसका जीवन नई दिशा में मुड़ गया ।