Hindi Story on the Selfish Friend (With Picture)!

स्वार्थी दोस्त किस काम के |

एक खरगोश था । उसके कई मित्र थे । घोड़ा, बैल, बकरा, भेड़ आदि । लेकिन उनकी मित्रता कितनी सच्ची है, उसे यह परखने का अवसर आज तक नहीं मिला था । एक दिन उसे यह मौका तब मिला, जब वह स्वयं संकट में पड़ गया । उस दिन कुछ शिकारी कुत्ते उसके पीछे पड़ गए । यह देखकर खरगोश जान बचाने के लिए भागने लगा । भागते-भागते उसका दम फूलने लगा । वह थककर चूर हो गया ।

जब और अधिक नहीं भागा गया तो कुत्तों को चकमा देकर वह एक घनी झाड़ी में घुस गया और वहीं छिपकर बैठ गया । पर उसे यह डर सता रहा था कि कुत्ते किसी भी क्षण वहां आ परहुचेंगे और सूंघते-सूंघते उसे ढूंढ़ निकलेंगे । वह समझ गया कि यदि समय पर उसका कोई मित्र न पहुंच सका, तो उसकी मृत्यु निश्चित है ।

वह अपने मित्रों को याद करने लगा । यदि घोड़ा आ गया तो वह मुझे अपनी पीठ पर बैठाकर ले भागेगा । यदि बैल आ गया तो अपने पैने सीगों से इनके पेट फाड़ देगा । यदि भेड़ आ गई तो वह टक्करें मार-मारकर इनकी अक्ल दुरुस्त कर देगी ।

तभी उसकी नजर अपने मित्र घोड़े पर पड़ी । वह उसी रास्ते पर तेजी से दौड़ता हुआ आ रहा था । खरगोश ने घोड़े को रोका और कहा : ”घोड़े भाई, कुछ शिकारी कुत्ते मेरे पीछे पड़े हुए हैं । तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठाकर कहीं दूर ले चलो वरना ये शिकारी कुत्ते मुझे मार डालेंगे ।”

घोड़े ने कहा, ”प्यारे भाई, मैं तुम्हारी मदद तो जरूर करता, पर इस समय मैं बहुत जल्दी में हू । वह देखो, तुम्हारा मित्र बैल इधर ही आ रहा है । तुम उससे कहो, वह जरूर तुम्हारी मदद करेगा ।”  यह कहकर घोड़ा सरपट दौड़ता हुआ चला गया ।

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खरगोश ने बैल से प्रार्थना की, ”बैल दादा, कुछ शिकारी कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं । कृपया आप मुझे अपनी पीठ पर बिठा लें और कहीं दूर ले चलें, नहीं तो कुत्ते मुझे मार डालेंगे ।” ”भाई खरगोश । मैं तुम्हारी मदद जरूर करता, पर इस समय मेरे कुछ दोस्त बड़ी बेचैनी से मेरा इंतजार कर रहे होंगे, इसलिए मुझे वहां जल्दी पहुंचना है ।

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देखो, तुम्हारा मित्र बकरा इधर ही आ रहा है, उससे कहो, वह जरूर तुम्हारी मदद करेगा ।” यह कहकर बैल भी चला गया । खरगोश ने बकरे से विनती की, ”बकरे चाचा, कुछ शिकारी कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं । तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठाकर कहीं दूर ले चलो, तो मेरे प्राण बच जाएंगे, वरना वे मुझे मार डालेंगे ।”

बकरे ने कहा, ”बेटा, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर दूर तो ले जाऊं, पर मेरी पीठ खुरदरी है । उस पर बैठने से तुम्हारे कोमल शरीर को बहुत तकलीफ होगी । मगर चिंता न करो, देखो, तुम्हारी दोस्त भेड़ इधर ही आ रही है, उससे कहोगे तो वह जरूर तुम्हारी मदद करेगी ।” यह कहकर बकरा भी चलता बना ।

खरगोश ने भेड़ से भी मदद की याचना की, पर उसने भी खरगोश से बहाना करके अपना पिंड छुड़ा लिया । इस तरह खरगोश के सभी मित्र वहां से गुजरे । खरगोश ने सभी से मदद करने की प्रार्थना की, पर किसी ने उसकी मदद नहीं की । सभी कोई न कोई बहाना कर चलते बने ।

खरगोश ने मन-ही-मन कहा, ‘अच्छे दिनों में मेरे अनेक मित्र थे । पर आज संकट के समय कोई मित्र काम नहीं आ रहा । मेरे सभी मित्र केवल अच्छे दिनों के ही साथी हैं ।’ थोड़ी देर में उसे खोजते शिकारी कुत्ते वहां भी आ पहुंचे । उन्होंने बेचारे खरगोश को मार डाला । अफसोस की बात है कि इतने सारे मित्र होते हुए भी खरगोश बेमौत मारा गया ।

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