Hindi Story on the Source of Peace (With Picture)!

शांति का स्त्रोत |

किसी नगर में एक सेठ रहता था, उसके पास लाखों की संपत्ति और भरा-पूरा परिवार था, उसे सब तरह की सुख सुविधाएं थी । फिर भी उसका मन अशांत रहता था । जब उसकी परेशानी बहुत बढ़ गई तो वह एक साधु के पास गया और अपना कष्ट उन्हें बताकर प्रार्थना की : “महाराज, जैसे भी हो, मेरी अशांति दूर कीजिए ।”

साधु ने उसकी बात ध्यान से सुनी और कहा : ”अमुक नगर में एक बहुत बड़ा धनिक रहता है, उसके पास जाओ, वह तुम्हें रास्ता दिखा देगा ।” सेठ ने सोचा कि साधु उसे बहका रहे हैं । उसने साधु से कहा : “स्वामीजी, मैं तो आपके पास बड़ी आशा लेकर आया हूं । आप ही मेरा उद्धार कीजिए ।” साधु ने फिर वही बात दोहरा दी ।

लाचार होकर सेठ उस नगर की ओर रवाना हुआ । वहा पहुचकर वह देखता क्या है कि उस धनपति का कारोबार चारों ओर फैला है, लाखों का व्यापार है और उस आदमी का चेहरा फूल की तरह खिला है ।  वह एक ओर बैठ गया । इतने में एक आदमी आ गया ।

उसका मुंह उतरा हुआ था । वह बोला : ”मालिक हमारा जहाज समुद्र में डूब गया । लाखों का नुकसान हो गया ।” उद्योगपति ने मुस्कराकर कहा : ”मुनीमजी, इसमें परेशान होने की क्या बात है ? व्यापार में तो ऐसा होता ही रहता है ।”

इतना कहकर वह अपने साथी से बात करने लगा । थोडी देर में एक दूसरा आदमी आया । बोला : “सरकार, रुई का दाम चढ़ गया है, हमें लाखों का फायदा हो गया ।” धनिक ने कहा : ”मुनीमजी, इसमें खुश होने की क्या बात है ? व्यापार में ऐसा होता ही रहता है ।”  सेठ को अपनी समस्या का समाधान मिल गया । उसने समझ लिया कि शांति का स्रोत वैभव में नहीं मन की समता में है ।

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