Hindi Story on Think First, then Act (With Picture)!
पहले सोचो, फिर करो |
किसी जंगल के किनारे पानी से भरी एक बड़ी सी झील थी । इसमें कुछ मेंढक खूब मजे का जीवन व्यतीत कर रहे थे । एक बार ऐसा हुआ कि वर्षा ऋतु में पानी की एक बूंद भी नहीं बरसी । भीषण गरमी से झील सूख गई थी ।
वैसे तो मेंढक भूमि तथा पानी दोनों स्थानों पर रह सकते थे, मगर ऐसा होने पर भी वे चाहते थे कि कुछ पानी हो तो अच्छा होगा । उनकी यह दशा देखकर मेड़को का सरदार उन सबके साथ उस सूखी झील से बाहर आ गया और वे सभी एक साथ किसी पानी वाली झील की तलाश में चल पड़े ।
जब वे मेंढक पानी की तलाश में इधर-उधर घूम रहे थे, तभी उन्हें पानी से भरा एक कुआ दिखाई दिया । पानी देखकर सभी मेंढक उतावले हो उठे । वे सभी कुएँ में कूद जाना चाहते थे । यहां तक कि उनका सरदार भी यही चाहता था, मगर इस विषय पर सोच-विचार के बाद वह इस नतीजे पर पहुंचा कि ऐसा करना ठीक नहीं है ।
वह बोला: ”प्यारे दोस्तो! भविष्य के बारे में सोच कर आगे बढ़ना ही अच्छा होता है । माना कि यह कुआ पानी से भरा है । मगर अगर यह भी सूख गया तो हम तो बेमौत मारे जाएंगे । कुएं से बाहर निकलना असभव होगा । नतीजा होगा भूख से तड़प-तड़प कर हमारी मौत ।”
निष्कर्ष: कोई कार्य करने से पहले खूब सोच-समझ लो ।