Hindi Story on the Insidious Never Forgets Stratagem (With Picture)!
कपटी कपट नहीं भूलता |
एक भेड़िया था । वह बहुत कपटी था । उसकी कुदृष्टि भेड़ों के एक झुंड पर थी । जब भी झुंड उसके सामने से गुजरता, वह मन-ही-मन भेड़ों को देखकर जी ललचाता, परंतु प्रत्यक्ष में वह उनसे कोई शत्रुता नहीं दिखाता । चरवाहा फिर भी उसका विश्वास नहीं करता था । एक दिन चरवाहे ने देखा कि भेड़िया भेड़ों के साथ घास चर रहा है । यह देखकर चरवाहा आश्चर्यचकित रह गया ।
”कमाल है । तू घास चर रहा है? ” ”भाई, मैं शुद्ध शाकाहारी हूं ।” भेड़िए ने कहा- ”मुझे एक साधु ने ज्ञान दिया है । उसने बताया कि जीव-हत्या पाप है ।” ”अच्छा! तुम तो बड़े अच्छे हो ।” इस तरह बहुत दिन बीत गए । भेड़िया बराबर भेड़ों के साथ रहता । उन्हें कोई हानि नहीं पहुंचाता । उल्टे कुत्तों को खदेड़कर भेड़ों की रक्षा करता ।
धीरे-धीरे चरवाहा उस पर विश्वास करने लगा । वह उसे अपना मित्र समझने लगा । एक बार चरवाहा अपनी ससुराल गया । वह भेड़िए को भेड़ों की रक्षा हेतु छोड़ गया । ”मित्र, मैं तो अपनी ससुराल जा रहा हूं । एक सप्ताह में वापस आऊंगा । तब तक तुम भेड़ों की रखवाली करना ।” चरवाहे ने कहा ।
”चिंता मत करो मित्र । मेरा विश्वास करो ।” भेड़िए ने कहा । चरवाहा चला गया । अब भेड़िया अपने असली रूप में आ गया । वह रोज दो-तीन भेड़ मारकर खा जाता । उसके मजे आ रहे थे । एक सप्ताह बीत गया । चरवाहा लौटने वाला था । इस बीच मंडिया वहां से भाग गया ।
चरवाहा लौटा तो उसे भेड़ों के शव मिले । उसकी बाकी भेड़ों का पता भी न चला । अपनी भेड़ों का सर्वनाश देखकर वह रोने लगा- ”हाय! यह मैंने क्या किया । एक कपटी पर विश्वास किया । मुझे पहले ही सोचना चाहिए था कि कपटी कभी कपट नहीं छोड़ता । कपटी से मित्रता करना मुसीबत को दावत देना है ।” परंतु अब क्या हो सकता था?
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सीख:
बच्चो! इस कहानी से हमें पता चलता है कि कपटी कभी भी सज्जन नहीं बन सकता । वह ढोंग अवश्य करता है, परंतु कपट नहीं छोड़ता । इसलिए कपटी से सावधान रहना चाहिए ।