Moon is Better than Thousand Stars (With Picture)!
एक सपूत सौ कपूतों से अच्छा |
वन में पशु-गणना दिवस आया । लोमड़ी हाथ में रजिस्टर लेकर घूम रही थी । उसके साथ बंदर और गीदड़ भी थे । लोमड़ी पशुओं से उनके परिवार के बारे में पूछती । उसे रजिस्टर में लिख देती । इस प्रकार गणना का कार्य चल रहा था । गणना अधिकारी लोमड़ी सिंहनी के पास पहुंची । वहां रीछनी, शृकरी, बकरी और हिरनी भी बैठी थीं ।
”आओ बहन लोमड़ी, बड़े दिनों बाद आना हुआ ।” सिंहनी ने कहा- ”अरे, तुम्हारे हाथ में यह रजिस्टर कैसा है?” ”महारानी जी, मैं गणना कर रही हूं । महाराज ने आदेश दिया है । वे चाहते हैं कि जंगल के सभी पशु-पक्षियों का विवरण उनके पास हो । मुझे इसी कार्य पर नियुक्त किया गया है ।
बंदर और गीदड़ मेरे सहायक हैं ।” लोमड़ी ने उत्तर दिया । ”अच्छा! कैसे करती हो तुम यह काम?” सिंहनी आश्चर्य से बोली । ”मैं सभी से उनके परिवार के बारे में पूछ लेती हूं । इसी कारण आपके पास आई हूं । अच्छा हुआ कि ये लोग भी यहीं हैं । मैं सबसे पूछती हूं । बहन रीछनी, तुम बताओ ।” लोमड़ी ने पूछा ।
”मैं एक बार में दो बच्चे पैदा करती हूं । इस समय मेरे चार बच्चे हैं ।” ”और बहन शुकरी, तुम बताओ ।” ”मैं तो आठ-दस बच्चे पैदा करती हूं ।” शूकरी गर्व से बोली- ”मेरे दस बच्चे हैं ।” ”मेरे चार!” हिरनी ने कहा । ”कमाल है!” बंदर बोला- ”सब आठ-आठ, दस-दस बच्चों वाली हैं, लेकिन हमारी महारानी जी तो एक ही बच्चा पैदा करती हैं ।”
”हां!” सिंहनी गंभीरता से बोली- ”मैं केवल एक बच्चा पैदा करती हूं, परंतु वह सिंह होता है । ऐसा पराक्रमी होता है जो दहाड़ दे तो सबके होश गुम हो जाएं । मेरा अकेला सपूत तुम सब पर, तुम्हारे बच्चों पर शासन करता है ।” सभी निरुत्तर हो गए । ”सत्य है । गुणों के सामने संख्या कोई मायने नहीं रखती ।” लोमड़ी ने कहा ।
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सीख:
बच्चो! यह कहानी हमें बताती है कि एक गुण संपन्न व्यक्ति सौ निर्गुणों से अच्छा होता है । गुणवान की सर्वत्र पूजा होती है ।