Hindi Story on a Rash Finally Repent (With Picture)!
जल्दबाज अंत में पछताता है |
एक गीदड़ जंगल में घूम रहा था । अचानक वह एक पत्थर से ठोकर खा गया । उसने समझा कि किसी ने उस पर हमला किया है, फिर क्या था वह भाग निकला । भागते-भागतेवह वह एक कुएं में गिर पड़ा । कुआं ज्यादा गहरा तो नहीं था, परंतु गीदड़ उसमें से बिना सहारे के स्वयं निकल भी नहीं सकता था, फिर भी उसने बहुत प्रयास किया ।
अंत में थककर वह सोच में पड़ गया । तभी उधर से एक बकरा आ निकला । जब उसने कुएं में छप-छप की आवाज सुनी तो वह वहां पहुंचा । उसने कुएं में झांका। ”अरे, अंदर कौन है भाई?” बकरे ने पूछा । ”मैं हूं भाई गीदड़! तुम कौन हो?” गीदड़ ने कहा ।
”ओह तो तुम हो गीदड़ भैया! नीचे क्या कर रहे हो?” ”तैरने का आनन्द ले रहा हूं । यहां पानी इतना साफ और मीठा है कि मेरा मन ही नहीं करता बाहर आने का । इतना ठंडा पानी तो मैंने कभी नहीं पिया ।” ”अछा! क्या यह पानी बहुत मीठा और ठंडा है?”
”पानी की तो पूछो ही मत । लगता है कि यह अमृत है । तुम इसका पता किसी को न बताना ।” ”नहीं बताऊंगा, परंतु जरा मुझे भी तो पानी पी लेने दो ।” ”नीचे आ जाओ । छलांग मारकर कूद पड़ो, तुम मेरे मित्र हो।” वह बिना सोचे समझे कुएं में कूद पड़ा ।
गीदड़ इसी मौके की प्रतीक्षा में था । वह फुर्ती से उछला । उसने पहली छलांग में बकरे की पीठ पर पैर जमाए और दूसरी छलांग में कुएं से बाहर आ गया । ”अरे गीदड़ भैया, यह क्या? तुम तो बाहर चले गए ।” बकरा घबरा गया ।
”हां बकरे भाई! मैं तुम्हारे जैसे मूर्ख की ही प्रतीक्षा कर रहा था । मैं बुरी तरह से फंसा हुआ था । अब तुम फंसे रहो । तुमने बड़ी शीघ्रता से कार्य किया । मैं तो चला ।” सियार वहां से चला गया । बकरा अपनी मूर्खता पर आंसू बहाता रहा ।
सीख:
बच्चो! हमें हर कार्य खूब सोच-समझ कर करना चाहिए । जल्दबाजी में किया गया कोई भी कार्य हानिकारक होता है ।