Work Proves Beauty (With Picture) | In Hindi!
सुंदरता कर्म से सिद्ध होती है |
एक बारहसिंगा हिरन था । वह खूब स्वस्थ और सुंदर था । उसे अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था । जब वह झील पर पानी पीने जाता, तब स्वच्छ पानी में अपनी परछाई देखकर इतराता । वह सोचता कि ईश्वर ने उसे बहुत सुंदर रूप दिया है । एक दिन वह झील पर जाकर पानी पीने लगा ।
इतने में वहां एक मेढक आ गया । ”वाह, हिरन भाई! तुम तो बड़े सुंदर हो ।” मेढक बोला । ”वह तो मैं हूं ।” हिरन अहंकार से भर गया- ”देखो, मुझे भगवान ने कितना सुंदर रूप दिया है । मेरा रंग कितना मनोहर है ।” ”रंग तो है ही, तुम्हारा सिर भी बहुत सुंदर है और खूब चौड़ा है ।”
”हां भाई और मेरे सींग तो देखो । कैसे लम्बे-लम्बे, फैले हुए हैं । कितने प्यारे लगते हैं । जिस तरह पृथ्वी का मुकुट हिमालय ।” ”तुम्हारे सींग मजबूत भी तो बहुत हैं ।” मेढक ने उसकी बड़ाई करते हुए कहा । ”ऐसे सींग किसी अन्य पशु के नहीं, तभी तो सब मुझसे जलते हैं ।
मैं तो भगवान का ऋणी हूं, जो ऐसे प्यारे, सुंदर सींग केवल मुझे ही दिए ।” ”परंतु भाई हिरन… ।” ”क्या परंतु? तुम क्या कह रहे हो गंदे मेढक?” हिरन नाराज होकर बोला । ”तुम्हारे पैर तुम्हारी सुंदरता के अनुरूप नहीं हैं ।” मेढक ने कहा । हिरन ने अपने पैर देखे । लम्बे, पतले, सूखे और भद्दे पैर ।
उसका मन दुखी हो उठा। ”इतना सुंदर हिरन और ऐसे कुरूप पैर । यह तो ईश्वर ने अनर्थ किया है तुम्हारे साथ ।” मेढक ने कहा । ”हां भाई! मैंने भगवान का क्या बिगाड़ा था? उसने अन्याय किया है । ऐसे सुंदर रूप पर ऐसे भद्दे पैर ।” हिरन शोकाकुल हो गया । मेढक उसका दुख समझकर पानी में डुबकी लगा गया ।
हिरन बहुत देर तक अपने पैरों की कुरूपता पर दुखी होता रहा । अचानक उसे शिकारी कुत्तों की आवाजों का आभास हुआ- ”भों, भों, भों!” हिरन समझ गया कि वे शिकारी कुत्ते उसी और आ रहे थे । वह प्राण बचाकर भाग खड़ा हुआ । जिन पैरों की कुरूपता से वह दुखी था, वही उसके प्राण बचाने को तीव्रगती से दौड़ रहे थे । कुछ ही देर में वह उन कुत्तों की पकड़ से दूर निकाल आया ।
उसने चैन की सांस ली । तभी उसे फिर शिकारी कुत्तों की आवाज आई । वह फिर भागा, परंतु दुर्भाग्य! उसके लम्बे छितराए सींग एक झाड़ी में फंसकर रह गए । जिन सींगों की सुंदरता पर उसे घमंड था, वे उसकी मृत्यु का कारण बनने जा रहे थे । उसने बहुत प्रयास किया ।
खूब ताकत लगाकर उस झाड़ी से छुटकारा पाना चाहा, परंतु सींग बुरी तरह झाड़ी में उलझ गए थे । वह उस फंदे से नहीं छूट सका । अंतत: शिकारी कुत्ते उसके पास आ गए । वे उस पर टूट पड़े । उन्होंने उसका सुंदर शरीर नोंचना-खसोटना शुरू किया ।
‘आह!’ बारहसिंगा पश्चाताप करके सोचने लगा- ‘मैं अपने पैरों को लम्बे, पतले और भद्दे समझता था, जबकि वही मेरे प्राण बचाना चाहते थे और जिन सींगों को मैं सुंदर और दुर्लभ समझता था, वही मेरी मृत्यु का कारण बने हैं । सत्य है, सुंदरता भ्रमित कर देती है ।’ हिरन की कुछ ही सांसें शेष थीं । मरने से पहले वह इस बात को जान गया कि किसी चीज की सुंदरता उसके कर्म से सिद्ध होती है ।
सीख:
अत: बच्चो! सुंदरता दिखावटी वस्तु है । समय पर जो काम आए वही सुंदर है । इसलिए हमें सुंदरता के भ्रम में नहीं रहना चाहिए । सुंदरता की परख उसके कर्म से होती है ।