विश्व दृष्टि में भारत पर निबन्ध | Essay on India as the World Sees Her in Hindi!

प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश पर गर्व होता है । भारतवासी भी भारत की सम्पन्न प्राचीन संस्कृति और इतिहास पर गौरवान्वित महसूस करते हैं । पर किसी देष्ठा की यथार्थ छवि को विदेष्ठी ही प्रस्तुत कर सकता है, क्योंकि उसके विचार गर्व और पूर्वाग्रहों से मुक्त होंगे ।

यदि वह व्यक्ति इतिहासकार होगा, तो निस्संदेह उसके विचार हमारी प्राचीन परम्परा के गौरव से मंडित होंगे । क्योंकि वह भारत की सम्पन्न सभ्यता का जानकार होगा । विभिन्न आक्रमणों को झेलती हुई भारतीय कला की आज भी प्रभावित करने वाली शक्ति के आधार पर वह राष्ट्र के भविष्य का अनुमान लगा लेगा ।

वह भारत की भौतिक कमियों, धन के अभाव की आलोचना तो करेगा लेकिन देश के प्रत्येक कोने से विकसित साहित्यि, कला, संगीत और संस्कृति की श्रेष्ठता से प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगा । गाँव की मिट्‌टी की झोपड़ियों, शहरों के कोनों में गन्दी बस्तियों से गरीबी झाँकती हुई तो उसे नजर आएगी लेकिन भारत के संबंध में उसके विचार सांस्कृतिक सम्पन्नता से प्रेरित होंगे ।

भारतीय संगी, नृत्य, साहित्य और रंगमंच की हजारों वर्ष पुरानी परम्परा समस्त विश्व में लोकप्रिय है । विदेशी संगीत प्रेमी भारतीय संगीत की सरस छटा से प्रभावित होते हैं । भारत के शास्त्रीय नृत्य भी विश्व में प्रख्यात है । हस्तकला के क्षेत्र में भी भारत विदेशियों के आकर्षण का केन्द्र बन गया है ।

इससे इतिहासकार को लगता है कि भारतीय शिल्पकार कितने बुद्धिमान हैं । भारतीय प्राचीन कला के ये उत्कृष्ट नमूने सशक्त पृष्ठभूमि और इतिहास को निर्देशित करते हैं । कई पीढ़ियों से इस प्रकार की कलाओं का प्रचलन भारत में रहा हैं ।

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भारत विश्व का सबसे विशाल प्रजातांत्रिक देश है । यह तथ्य किसी भी निष्पक्ष विदेशी के लिए स्तुत्य हो सकता है । भारत के लोग शांति-प्रिय है । उनके विचार स्वतंत्र और आधुनिक है । जबकि यहाँ के केवल 30 प्रतिशत लोग ही शिक्षित हैं, फिर भी बाकी 70 प्रतिशत जनसंख्या पूर्णत: अशिक्षित नहीं हैं, उनके विचारों में संकीर्णता नहीं है ।

यदि उन्हें पर्याप्त अवसर दिए जाए तो वे सफल नागरिक के रूप में उभर सकते हैं । अधिकांशत: वे हिंसात्मक गतिविधियाँ से दूर रहते हैं । भौतिकतावादी तत्व उन्हें प्रभावित नहीं कर सकते हैं । यह एक सामान्य भारतवासी की चारित्रिक विशेषताएं है ।

विनम्रता भारतवासियों की विशेषता है, लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि वे दब्बू होते हैं । भारतवासियों ने कई अवसरों पर अपने पराक्रम, बुद्धि और क्षमता का नमूना विश्व के सामने प्रस्तुत किया है । भारत एक विकासशील देश है जो आधुनिकता की ओर तेज कदमों से बढ़ रहा हैं ।

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19वीं शताब्दी के संबंध में पश्चिमी देशों में यह मान्यता प्रचलित थी कि भारत सपेरों और तांत्रिकों का देश हैं । लेकिन 15 अगस्त 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त कर और 26 जनवरी 1950 में गणतांत्रिक रूप धारण कर भारत विश्व मंच के आदर्श प्रजातंत्र के रूप में उभरा और इसकी सशक्तता के संबंध में की जा रही आशंकाएं निर्मूल साबित हुई ।

भारत में वैज्ञानिक और तकनीकी विकास के द्वारा कृषि और औद्योगिक व्यवस्था के चरम विकास की ओर अग्रसर है । वर्षो की दासता के लक्षण समाप्त हो गए हैं । भारत ने अहिंसा के माध्यम से वर्षो की दासता को उखाड़ फेंका है । यह बात भी विदेशियों को आकर्षित करती हैं ।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत की छवि में स्वस्थ विकास दृष्टिगत होता हैं । भारतवासियों की विशेष योग्यताओं को देखते हुए अमेरिका तथा सोवियत संघ जैसी महाशक्तियाँ वित्तीय और तकनीकी सुविधाओं में सहयोग प्रदान कर रही हैं ।

अन्तरराष्ट्रीय विजयों में भारत की भूमिका सराहनीय है । स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षो में भारत को महान देशभक्त जवाहर लाल नेहरू का नेतृत्व प्राप्त हुआ । नेहरूजी की अंतरराष्ट्रीय नीतियाँ सह-अस्तित्व की धारणा पर आधारित हैं । उनकी पाँच सिद्धांतों की नीति ‘पंचशील’ द्वारा महाशक्तियों के साथ श्रेष्ठ संबंध स्थापित हुआ ।

गुट निरपेक्ष नीति का समर्थन करके भारत ने विश्व के सम्मुख तीसरी शक्ति को प्रस्तुत किया । यद्यपि भारत स्वयं भौतिक दृष्टि से निर्धन है, लेकिन अफ्रीका और एशिया के देशों की स्थिति को सुधारने में भारत के प्रयास स्तुत्य हैं । भारत की विदेश नीति की विशेषता है कि इसने विभिन्न देशों को उपनिवेशवाद से मुक्ति दिलाने और स्वतंत्रता प्राप्त करने का समर्थन किया हैं ।

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भारत ने आज औद्योगिक रूप से उन्नति कर ली है और देश में हरित और श्वेत क्रांति उत्पन्न करने की ओर उन्मुख हैं । आने वाले दशकों में भारत भौतिक साधनों और श्रम-क्षमता की दृष्टि से एशिया के एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरेगा ।

विदेशियों को प्रभावित करने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण कारक धर्मनिरपेक्षता हैं । भारत विभिन्न धर्मो का देश है । स्वतंत्रता प्राप्ति के समय हिन्दू और मुस्लिम-साम्प्रदायिकता की तीव्र लहर ने समस्त देश को हिला दिया था । लेकिन स्वतंत्रता के बाद विकासावस्था के दौरान विभिन्न धर्म-हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई आदि सभी एक दूसरे के निकट आ गए हैं ।

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पिछड़ी जातियों और इलाकों के विकास के लिए शिक्षा और जीविका के क्षेत्रों में इन्हें प्राथमिकता दी जाती हैं । आर्थिक सहायता और उद्योग आदि के क्षेत्रों में भी सुविधाएं प्रदान की जाती है । अक्सर विदेशियों के मुख से यह सुनने में आता है कि भारत में परम्परा की जड़ें काफी मजबूत हैं ।

यह कहा जा सकता है कि समाज के विकास में बाधक विश्वासों और रीतिरिवाजों को छोड़ दिया गया है या समाज के विकास के लिए उनको नवीनीकृत किया जा रहा हैं । पुरानी कुरीतियां अभी भारतीय समाज से पूर्णत: मिट नहीं पाई हैं, लेकिन समय के साथ-साथ उनके समाप्त होने की संभावनाएं है ।

सुधार के तीव्र प्रवाह के कारण भारतीय समाज के प्राय: सभी वर्गो में परिवर्तन आ रहा है । भविष्य में भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था वैज्ञानिक और तकनीक पर आधारित होगी, जिसकी ओर अग्रसारित होने के लिए सभी वर्गो के लोग प्रयास कर रहे है । आधुनिकता की राह में बाधक तत्वों के समाधान के एकजुट प्रयास किए जा रहे हैं । आप्रमुनिक भारत विश्व के सम्मुख सांस्कृतिक उच्चता और आधुनिकता का आदर्श प्रस्तुत करता है ।

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