श्रम शक्ति को बनाएं वरदान पर निबंध | Essay on Labour Creates a Boon to Force in Hindi!

वैश्विक प्रबंध कंसल्टेंसी कम्पनी ‘बेस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप’ (बीसीजी) के अनुसार दुनिया के कई देश योग्य कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे है । ऐसे देंशों के लिए भारत सबसे पसंदीदा युवा श्रम बल वाला देश है । अमेरिका और ज्यादातर पश्चिमी देशों में युवा कर्मियों की संख्या घट रही है ।

ऐसे में वैश्विक कम्पनियों को कुशल कर्मचारियों के लिए भारत का रुख करना पड़ रहा है । भारत के बाद चीन का स्थान दूसरा है । पिछले दिनों इसी तरह अमेरिकी पत्रिका बिजनेस वीक में करियर शुरू करने के लिए श्रेष्ठ अमेरिकी कम्पनियों की एक सूची छपी है, जिसमें 10 में से नौ कम्पनियों के कर्मचारियों में भारतीयों की संख्या ज्यादा है ।

इतना ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय अंकेक्षण और कंसल्टेंसी क्षेत्र की प्रमुख कम्पनी केपीएमजी ने कहा है कि भारतीय कार्यबल अगले 100 सालों तक पूरी दुनिया में ऊंचाई पर रहेगा । भारतीयों की योग्यता अंतर्राष्ट्रीय स्तर की है और पश्चिमी देश सबसे ज्यादा भारतीय कार्यबल को महत्व दे रहे हैं ।

गौरतलब है कि दुनिया के विकसित देशों में बढ़ती जीवन प्रत्याशा, अच्छी चिकित्सा सुविधाओं और घटती जन्मदर के साथ विश्व में अधिक आयु वाले लोगों की आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है । संयुक्त राष्ट्र के आकलन के अनुसार, 2047 में पहली बार ऐसा होगा कि दुनिया में वृद्धों की संख्या बच्चों से ज्यादा हो जायेगी । वृद्धों की इस फौज का बड़ा हिस्सा विकसित और पश्चिमी देशों में होगा ।

यह बात विकसित और पश्चिमी देशों में चिंता का कारण बन गयी है, ऑस्ट्रेलिया के मैरियाजेल में ईसाइयों के 850 साल पुराने धार्मिक समारोह में पोप बेनेडिक्ट 16वें ने यूरोपीय लोगों पर बिफरते हुए कहा कि वे परम स्वार्थी हो गये है और समाज की जरूरत के अनुरूप अधिक बच्चे पैदा करने से पीछे हट रहे है । उन्होंने कहा है कि हम अपने लिए तो सब कुछ चाहते हैं परन्तु भविष्य के लिए कार्य करने के लिए नई आबादी के रूप में बहुत थोड़ा छोड़ रहे हैं ।

दुनिया में कार्यशील नई पीढ़ी की जरूरत के परिदृश्य में देश की तेजी से बढ़ती जनसंख्या के चिन्ताजनक पहलू के साथ उपयोगिता का नया पहलू भी उभरकर दिखाई दे रहा है । भारत में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या की चिन्ताओं के बीच संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के भारत स्थित प्रतिनिधि हैट्रिक वॉडरवाल का कहना है कि ‘भारत को अपनी जनसंख्या बढ़ोतरी पर एकदम ब्रेक-लगाने की जरूरत नहीं है, यह काम धीरे-धीरे ही करना ठीक है ।

ADVERTISEMENTS:

एक दम्पति एक बच्चे की कठोर नीति के कारण चीन नई जनसंख्या में कठिनाई का सामना कर रहा है । जनसंख्या नियंत्रण के कठोर उपायों के कारण 2015 के बाद चीन में युवा जनसंख्या की कमी होगी तथा वृद्धों और पेंशनकर्मियों की भीड़ होगी ।’

ADVERTISEMENTS:

सचमुच दुनिया में आबादी का स्वरूप इस तरह बदल गया है कि भारत की बढ़ी हुई आबादी मानव संसाधन के परिप्रेक्ष्य में हमारे लिए आर्थिक वरदान सिद्ध हो सकती है । एक ताजा अध्ययन के मुताबिक भारत की श्रम शक्ति नई वैश्विक जरूरतों के मुताबिक तैयार हो जाये तो वह भविष्य में एक ऐसी पूंजी साबित होगी, जिसकी मांग दुनिया के हर देश में होगी ।

विकसित देशों और कई विकासशील देशों में वर्ष 2020 तक कामकाजी जनसंख्या की भारी कमी होगी, जबकि भारत में साढ़े चार करोड़ कामकाजी जनसंख्या अतिरिक्त होगी । ऐसे में वर्ष 2020 तक अमेरिका, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन और रूस सहित अनेक देशों में कार्यशील लोगों की कमी के कारण लाखों रोजगार के अवसर भारतीय युवाओं की मुट्‌ठी में होंगे । हमें देश की श्रम शक्ति को वरदान बनाने के लिए कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करना होगा ।

इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारत ‘नालेज सुपर पॉवर’ बनने की राह पर है, लेकिन यह भी इसी देश का सच है कि इस समय तकरीबन साढ़े तीन करोड़ बच्चों के भाग्य में स्कूल नहीं है । इतना ही नहीं जो करोड़ों बच्चे स्कूल जाते हैं, वे भी नए युग के हिसाब से शिक्षित नहीं हो पा रहे हैं । स्कूलों में ही नहीं कॉलेजों में भी रोजगार की जरूरत के अनुरूप पाठ्‌यक्रम नहीं हैं । हमारे द्वारा तैयार 100 स्नातकों में से सिर्फ 25 अच्छा काम करने लायक होते हैं और वह भी प्रशिक्षण के बाद ।

जरूरी होगा कि शहरों के साथ गांवों की नई पीढ़ी को भी नई जरूरतों के अनुरूप तैयार किया जाये । औसत योग्यता के युवाओं को भी प्रशिक्षित करके रोजगार की ओर मोड़ा जाना चाहिए । देश में इस समय लगभग एक करोड़ 28 लाख लोग प्रतिवर्ष श्रमबल से जुड़ रहे है जबकि देश में लोगों को प्रशिक्षित करने की क्षमता मात्र 25 लाख है । अतएव प्रशिक्षण के लिए संस्थान और संसाधन बढ़ाने होंगे । हमारा प्रयास हो कि हम देश की श्रम शक्ति को आर्थिक वरदान बना लें ।

Home››India››