भू-मंडलीय आतंकवाद पर निबन्ध | Essay on Global Terrorism in Hindi!

आतंकवाद को लक्ष्य की बलपूर्वक प्राप्ति के लिए आतंक के विभिन्न मार्गो के व्यवस्थित रूप में प्रयोग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है ।

दूसरे शब्दों में, आतंकवाद शब्द हिंसक अतिवाद का पर्याय है जो चारों तरफ ऐसा भय और आतंक फैला देता है कि कभी-कभी शक्तिशाली लोग भी इसके सामने अपने होश गंवा देते है । यहाँ तक कि पाकिस्तान के जिया-उल-हक जैसे क्रूर एवं गर्म मिजाज तानाशाह को भी कुछ आतंकवादियों की उस मांग को मानना पड़ा था जिसमें एक विमान के अपहरणकर्ताओं की रिहाई की बात कही गई थी ।

हाल के दशकों में भू-मंडलीय आतंकवाद के कारण इस विश्व में जीवन असुरक्षित हो गया है जो प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है । पूरे विश्व की कानून एवं व्यवस्था भू-मंडलीय आतंकवाद रूपी दानव की बढ़ती शक्ति के आगे निस्सहाय हो गयी है ।


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अपने घर की दहलीज के बाहर कदम रखते ही लोग आतंकवादियों का शिकार बनने के खतरे से भयभीत हो जाते है । घर से बाहर आतंकवाद की बात तो समझ में आती है, किन्तु अब तो घर के अन्दर अतिथि-कक्ष या शयन कक्ष में भी आतंकवादी बिना बुलाए मेहमान की तरह आकर पूरे परिवार के सदस्यों की जीवन-लीला समाप्त कर देता है ।

कभी-कभी आतंकवादियों की तुलना सांप से की जाती है जो अनजान जगहों पर छिपे होते हैं । किसी की मौत पाकिस्तान के जिया-उल-हक की तरह विमान-दुर्घटना में हो सकती है तो किसी की मौत भारत के राजीव गांधी की तरह मतदाताओं को संबोधित करने के लिए मंच की ओर जाते समय हो सकती है ।

आतंकवादी विवाह-पार्टी में, होटल में कुर्सियों के नीचे, बस-पड़ावों पर, रेलवे स्टेशन या रेलगाड़ियों में, या किसी अन्य भीड़ वाली जगह में विस्फोटक पदार्थ लगा सकते हैं । यह आतंकवाद की दृष्टि से आतंक फैलाने का सर्वोतम एवं सरल तरीका है । आज भू-मंडलीय आतंकवाद कई देशों में देखा जा सकता है ।

कभी-कभी एकमात्र आतंकवादी कार्यवाही लाखों लोगों के लिए विनाशकारी हो जाती है । 1914 में ऑस्ट्रिया के आर्क ड्‌यूक फर्डिनेंड की हत्या से प्रथम विश्व युद्ध छिड़ गया । इंदिरा गांधी के सुरक्षाकर्मियों द्वारा उनकी हत्या से पूरे देश में शांतिप्रिय सिक्ख समुदाय में आतंक व्याप्त हो गया । यह विडम्बना है कि इस राष्ट्रव्यापी दंगों में उन लोगों का हाथ था जो दिन-रात महात्मा गाँधी द्वारा बताए गए मार्ग सच्चाई और अहिंसा की बातें करते हैं ।

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म्यूनिख ओलंपिक में फिलीस्तीन आतंकवादियों द्वारा संपूर्ण इस्राइली फुटबाल टीम की हत्या भू-मंडलीय आतंकवाद का ही उदाहरण है । द्वितीय विश्व युद्धोत्तर काल के दौरान दो महाशक्तियों के आदर्शवादी एवं रणनीति के हितों के कारणों ने इस आतंकवाद के फलने-फूलने में सहायता की ।

न्यूयार्क में विश्व व्यापार केंद्र विमानों के टकराने से यह स्पष्ट हो गया कि कोई भी अमीर या गरीब देश अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों से अछूता नहीं है । पश्चिम बंगाल के पुरूलिया में वायु मार्ग से हथियारों का गिराया जाना भारत तथा अन्य देशों में सक्रिय भू-मंडलीय आतंकवादी समूहों का एक अन्य उदाहरण है ।

स्वरूप एवं प्रकार से परे आतंकवाद क्रूरतापूर्ण कार्य है तथा संभवत: किसी अन्यायोचित एवं अवैध लक्ष्य को प्राप्त करने का अपराधपूर्ण तरीका है । इस समस्या को हल करने के लिए किसी भी राजनीति के तहत इसके पीछे लक्ष्य को तलाशने की आवश्यकता है ।

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आतंकवाद पनपने का एक कारण राजनीतिक शिकायत या राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं है । कुछ लोगों या लोगों के समूह की राजनीतिक शिकायतें या महत्वाकांक्षाएं होती हैं जो सामान्य संवैधानिक प्रक्रियाओं द्वारा दूर या पूरी नहीं हो सकती हैं तथा सफल होने की सरल एवं लघु विधि आतंकवाद को मानते हैं ।

असम में उल्फा समूह पृथक् एवं स्वतंत्र असम की प्राप्ति के लिए सक्रिय है । बोडो बोडोलैंड के लिए लड़ रहे हैं । आर्थिक परिदृश्य में भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है । प्रत्येक राज्य को समाज के विभिन्न वर्गो के बीच आर्थिक विषमता को समाप्त करने के प्रयास करने चाहिए । हर प्रकार का अवशोषण अब समाप्त करना होगा ।

पेरिस में 1996 में संपन्न आतंकवाद-विरोधी सम्मेलन में आतंकवादी कार्यो, आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञों के प्रशिक्षण, आतंकवाद के विरूद्ध कानून की मजबूत पकड़, हथियार एवं विस्फोटों के उत्पादन एवं बिक्री पर नियंत्रण पर अंतर्राष्ट्रीय सहमति के प्रस्ताव की अनुशंसा की गई । हमारी संपूर्ण शिक्षा-पद्धति को तर्कसंगत होना चाहिए तथा विद्यार्थियों को उचित कारण एवं नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाना चाहिए ।

आतंकवादियों के लक्ष्य, रणनीति एवं हथियार गत वर्षों में बदल गए हैं । अपराधी एवं मादक दवाओं के मालिक खुले आम अपराध स्वीकार करते हैं और वे ऐसे देशों में शरण लेते हैं जिनका संबंध संबंधित अपराधियों के देशों से मैत्रीपूर्ण नहीं हैं या दोनों के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है ।

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मुकदमें के डर से किसी अन्य देश में शरण लेने वालों और दुर्दात अपराधियों द्वारा कानून से भागने वालों के बीच अंतर स्पष्ट करना भी काफी महत्चपूर्ण है । वास्तविकता यह है कि आतंकवाद के विरूद्ध अभियान के प्रति हम तब तक अधिक आशावान नहीं हो सकते जब तक कि सामूहिक स्वीकार्य हल नहीं निकल पाता है ।

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