आतंकवाद पर निबन्ध | Essay on Terrorism in Hindi!

1. भूमिका:

आतंकवाद (Terrorism) की समस्या आज केवल एक क्षेत्र में य एक देश में नहीं है बल्कि समूचे विश्व में मौजूद है । हाथ में अनाधिकृत (Unauthorised) बन्दूक ले कर निर्दोष व्यक्तियो को भूनडालना, अपहरण, लूट-खसोट, डकैती, बलात्कार (Humanility by force) इत्यादि क्रिया-कलाप (Activities) आतंकवाद ही हैं ।

2.  भारत मे आतंकवाद:

भारत में आतंकवाद कब और आरम्भहुआ, यह कहना कठिन होगा क्योंकि यह तो किसी न किसी रूप में हर युग में रहा है । त्रेता युग में रावण तथा दूसरे राक्षसों का आतंक द्वापर युग में दुर्योधन, कंस, जरासंध आदि का और वर्तमान युग में कुशिक्षित (Negatively Educated) लोगों का आतंकसदा समाज पर कलंक (Bad Spot) रहा है ।

आधुनिक काल के इतिहास में अंग्रेजों का भारत पर आतंक समाप्त होने के बाद नागालैंड को भारत से अलग करने के लिए आतंकवाद आरम्भ हुआ और कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के लिए कश्मीर में कबाइलियों का आतंक आरंभ हुआ ।

इधर मिजोलैंड के लिए तो उधर पश्चिम बंगाल में गोरखालैंड के लिए नवयुवकों ने आतंक शुरू किया । अलग असम की मांग को लेकर अल्फा उग्रवादियों ने हथियार उठाये तो बोडोलैंड की मांग पर अनेक संगठनों ने हत्याओं और तोड़-फोड़ आरम्भ

किया ।

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पंजाब को खालिस्तान बनाने की मांग पर तो प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी तक की हत्या कर दी गयी । कश्मीर की समस्या को लेकर कुछ ही समय पहले संसद (Parliament) भवन पर जो हमले हुए उसे पूरा संसार जानता है ।

3. संसार मे आतंकवाद:

आतंकवाद आज भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के तमाम देशों में फैल चुका है । तिब्बत पर चीनी (Chinese) आतंक के परिणाम स्वरूप (As a result) ही वहाँ के शासक (Ruler) दलाई लामा को भारत में शरण लेनी पड़ी ।

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पूर्वी पाकिस्तान पर पाकिस्तान के आतंक के ही कारण बंग्लादेश बना । जार शासकों के आतंक के कारण ही रूस (Russia) में समाजवाद आया । श्रीलंका में तमिल लोगों के आतंक का विरोध करने के परिणामस्वरूप भारतीय नेता राजीव गाँधी की जान तक चली गई ।

हाल में ही ओसामा बिन लादेन ने जिस प्रकार अमेरिका के दो महत्त्वपूर्ण (Important) भवनों तथा अमरीकी रक्षा विभाग (पेंटागन) की इमारत को नुकसान पहुँचाया, उसकी निंदा समूचे संसार में हुई । इसी के फलस्वरूप अफगानिस्तान पर अमेरिका का हमला हुआ और तालिबान शासकों का अंत हुआ । नेपाल भी आज आतंकवाद से ग्रस्त है ।

4. उपसंहार:

वास्तव में आतंकवाद का कारण है कुशिक्षा शाह मेल-जोल तथा विचारों के आदान-प्रदान में दूरी (Communication Gap), बेरोजगारी (Unemployment), क्षेत्रीयता की भावना, विस्तारवाद (Expansionism), पूर्वाग्रह(Prejudice), अंधविश्वास (Superstition), लोभ और स्वार्थ (Greed and Selfishness) तथा अन्य कई सामाजिक बुराइयाँ । इन बुराइयों को केवल सरकारी तौर-तरीकों (Working Procedure) से ठीक नहीं किया जा सकता । आतंकवाद के प्रेत (Ghost) से बचने के लिए जरूरत है सामाजिक परिवर्तन (Social Change) की ।

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