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आतंकवाद पर निबन्ध | Essay on Terrorism in Hindi!
आतंकवाद का अर्थ किसी विनाशकारी शक्ति द्वारा विभिन्न तरीकों से भय की स्थिति को उत्पन्न करना हैं । किसी भी प्रकार के आतंकवाद से चाहे वे क्षेत्रीय हो, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय हो – सभी के कारण देश में असुरक्षा, भय और संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।
आतंकवाद की सीमा कोई एक राज्य, देश अथवा क्षेत्र नहीं है । आज यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या के रूष में उभर रही हैं । यदि किसी एक देश पर दूसरा देश आक्रमण करता है, तो समस्या का समाधान दोनों देशों की सरकारों की बातचीत, संधि आदि से हो जाता है । लेकिन आतंकवाद का कोई हल नहीं हैं । आतंकवाद का लक्ष्य केवल आतंक फैलाना है ।
सिनेमाघरों, रेलगाड़ियों, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में बम विस्फोट द्वारा आतंक फैलाना एक आम घटना बन गई है । सिनेमाघर में फिल्म देखते हजारों दर्शकों की बम के विस्फोट के कारण मृत्यु हो जाती है । रेल अथवा वायुयान में अपने गंतव्य की ओर बढ़ते यात्रियों की यात्रा बम के धमाके के साथ ही समाप्त हो जाती है ।
आतंकवाद के कारण आज जीवन अनिश्चित बन गया है । कभी भी, कहीं भी कुछ भी हो सकता है । आतंकवाद का उद्देश्य क्या है? आतंकवादियों को इस कुकृत्य से क्या मिलता है? इस का उत्तर बहुत सरल है । आतंकवादियों का उद्देश्य मात्र आतंक फैलाना है । उन्हें इससे कुछ प्राप्त नहीं होता, बल्कि हानि ही होती होगी । इससे उनके संगठन का नाम खराब होता है । नैराश्य की भावना के कारण वे आतंक फैलाते है ।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्र भारत में भी पुलिस तथा अन्य कानून संबंधी संगठन निर्दोष जनता पर अत्याचार करते हैं । बहुत से राजनैतिक शक्तियाँ द्वारा पथभ्रष्ट युवकों को काम समाप्त हो जाने के बाद तथाकथित ‘मुठभेड़ों’ में पुलिस की गोली का शिकार होना पड़ता है । इनमें कई बेकसूर लोगों की जानें चली जाती हैं और अपराधी फरार हो जाता है ।
यह भी देखा गया है कि मारे गए निर्दोष व्यक्तियों के मित्र, भाई बदले की भावना से स्वयं आतंकवादी बन जाते हैं । जिस देश में रक्षक ही भक्षक बन जाए, वहाँ आतंकवाद का विस्तार और अधिक होता जाएगा । भारत का प्रत्येक नागरिक आतंकवाद का विरोधी है । इससे कुछ भी प्राप्त नहीं होता है । लेकिन कुछ देश यह मानते हैं कि यह सरकारी तंत्र के आतंकवाद का जवाब हैं ।
इन देशों में अपराधी, भ्रष्ट राजनीतिज्ञ, तस्कर खुले आम घूमते रहते हैं, उनको पकड़ने के लिए कानून के पास कोई सबूत नहीं हैं । कई बार अपराधी राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर देश में आतंक फैलाते हैं । इस प्रकार के भ्रष्ट शासन तंत्र में अपराधी कभी भी गिरफ्त में नहीं आते है ।
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यह माना जाता है कि कुंठित व्यक्ति पूर्ण निराशा की स्थिति में बंदूक उठाता हैं । यूगांडा में ईदी अमीन का शासन इस बात का उदाहरण है कि बन्दूक की नोंक पर किस तरह सत्ता में परिवर्तन आता है और लोग सत्ता का दुरुपयोग किस सीमा तक कर सकते हैं ।
इस प्रकार की स्थिति में अपराधी को जीवन और मृत्यु में कोई अंतर नहीं दिखाई देता । वह आतंकवाद का दामन इस आशा में थामें रखता है कि उसे सम्मानजनक मौत प्राप्त होगी, लेकिन यह उसकी भूल होती है । आतंकवदियों का जीवन छोटा होता है और मौत बहुत भयानक । कभी-कभी तो वे पकड़े जाने के भय से आत्महत्या भी कर लेते हैं ।
आतंकवाद को रोकने का एकमात्र उपाय यह है कि शासन तंत्र अपने दायित्वों को समझे और यह प्रयास करे कि समाज के प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति को समान अधिकार प्राप्त हो और सभी को समान रूप से कानून का संरक्षण प्राप्त हो ।
जनता ने अपने जिन प्रतिनिधियों को अपने बहुमूल्य समर्थन द्वारा चुना है, उनका कर्तव्य है कि वे जनता को अच्छा जीवन और सुरक्षा प्रदान करें । यदि सभी नागरिकों के साथ समान ढंग से व्यवहार किया जाए, उनके पिछड़ेपन को संवैधानिक तरीकों से सुधारा जाए तो बहुत हद तक यह समस्या सुलझ सकती हैं ।
प्राचीन काल में आतंकवाद के संबंध में कोई जानता भी नहीं था । पिछले कुछ वर्षो से इसने भयंकर रूप धारण कर लिया है । निस्संदेह आतंकवाद शासन-विरोध की एक विकृत रूप है । आतंकवादियों की मांग कितनी भी उचित क्यों न हो, लेकिन आतंक फैलाकर उन्हें मनवाने का तरीका बहुत ही निर्दयता और कायरतापूर्ण है । इससे निर्दोष व्यक्तियों की जान और सार्वजनिक सम्पत्ति नष्ट हो जाती है । इसी कारण आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के निराकरण के प्रयास हो रहे हैं ।