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कचरा प्रबंधन का महत्त्व पर निबंध | Essay on The Importance of Waste Management in Hindi!
शहरों में आज दुनिया की करीब आधी आबादी बसती है । भविष्य में भी शहरों की संख्या तथा वहां बसती आबादी में वृद्धि होती जायेगी, ऐसा कहना गलत नहीं होगा । शहरी जिंदगी आज की जरूरत है, मजबूरी है और दिन-प्रतिदिन बढती हुई आबादी की नियति ।
इस दिशा को बदलना संभव नहीं है, तो क्या हम इस अभिशाप को वरदान में या आंशिक वरदान में या कम-से-कम सहने लायक, जीने लायक, परिवेश में बदल सकते हैं । इसका उत्तर यदि हम ‘नहीं’ देते हैं, तो हमें इसका उत्तर ‘हां’ में ही देना होगा और शहरों में अच्छे जीवन के तरीके निकालने होंगे ।
यदि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आम शहरी को स्वच्छ, स्वास्थ्यपूर्ण सुविधायुक्त अच्छे पर्यावरण में जीने का अधिकार है, तो हमें इसके रास्ते भी खोजने होंगे । इसमें विलंब करना घातक होगा और हम अधिकाधिक शहरों को नरक में परिवर्तित करते रहेंगे । शहरों में कचरा बढता जा रहा है, पर इसके निस्तारण की सुविधाएं नहीं बढ रही हैं । स्वायत्तशासी संस्थाएं और उनमें बैठे लोग इसकी ज्वलंत जरूरतों के प्रति आंखें मूंदे बैठे हैं, जिसके भयानक परिणाम हो सकते हैं ।
नागरिक सुविधाओं की प्राप्ति के लिए केवल सरकार या अर्द्धसरकारी संगठनों, प्राधिकरणों, निगमों, नगर परिषदों आदि पर निर्भर रहना गलत है और उनकी अल्प संवेदनशीलता को और कम करना है । इसके लिए नागरिकों को न केवल सतत जागरूक रहना होगा वरन् अपने अधिकारों के लिए एक लंबी लड़ाई के लिए भी संकल्प लेना होगा । यह लड़ाई भी अनेक स्तरों पर होगी ।
तरह-तरह के अनेक संगठनों से निरंतर संपर्क बनाये रखना और उनका सहयोग प्राप्त करना इस लड़ाई का एक मुख्य भाग होगा । हर नागरिक को अपने कर्त्तव्यों के प्रति उतना ही जागरूक और जुझारू बनना पडेगा, जितना सजग और सक्रिय वह अपने अधिकारों के प्रति होता है ।
समस्याओं को सुलझाने की यही कुंजी है । हर नागरिक को नगर में अपनी छवि देखनी होगी, उसके प्रति गहरा लगाव और जुड़ाव पैदा करना होगा तभी हमारे शहर चमकीले और मानवीय बन सकते हैं, रह सकते हैं । हर शहर को अपना चरित्र बनाना चाहिए, उसकी विशेषताएं खोजनी और विकसित करनी चाहिए । हर शहर को अपना परंपरागत चरित्र और परंपरागत गौरव कायम रखना चाहिए और विकास के नाम पर शहर की आत्मा को नष्ट होने से बचाना चाहिए । इन सब पर ध्यान देने की अविलम्ब आवश्यकता है ।
प्राथमिकता से जिन उद्देश्यों को प्राप्त करना अत्यत ही जरूरी है उनमें एक है- ‘कचरा प्रबंधन’ । कचरा प्रबंधन शहरी जीवन के लिए एक बहुत बडी और विकराल चुनौती है । कचरे से उत्पन्न समस्याएं बढ़ती जा रही हैं और शहरों को शीघ्रता से नरक में परिवर्तित कर रही हैं । किंतु अफसोस की बात है कि कचरे को सीमित करने, उसको शीघ्रता से स्थानान्तरित करने, नष्ट करने, या रीसाइक्लिंग करने, उनका उपयोग करने की तरफ समुचित चिंता नहीं दिखाई जा रही है ।
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इस संबंध में दुनिया भर में अभिनव प्रयोग हो रहे हैं क्योंकि यह समस्या एक शहर या एक देश या एक महाद्वीप की नहीं है । इन प्रयोगों और अनुभवों का लाभ उठाने की हमें कोशिश करनी चाहिए ।
इस तरह अनेक प्रश्न कचरा प्रबंधन से जुड़े हुए हैं ।
समस्या की गंभीरता और जटिलता को आम नागरिक तक पहुचाना और उनका सहयोग प्राप्त करना बहुत दुसह काम है पर इसके सिवाय कोई रास्ता भी नहीं है । कर्मचारी और नागरिक सभी सड़क, गली में कचरा फेंकते हैं, या फिर नालियों में डालते हैं । नालियां अवरूद्ध होती हैं तथा इससे केवल पानी ही बाहर नहीं फैलता, स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन जाता है ।
कचरे के ढेर इकट्ठा करके सार्वजनिक स्थानों पर डाल दिये जाते हैं और उनको तत्काल उठाने की कोई व्यवस्था नहीं है । बिना जन सहयोग, जन प्रशिक्षण और सरकारी सक्रियता के कोई कचरा प्रबंधन संभव ही नहीं है । जहां-जहां इस बारे में समन्वय हुआ है वहां स्थितियां बदली हैं, शहरी जिंदगी में सुधार हुआ है । इसी तरह के संकल्पों से सूरत जिले ने अपनी सूरत बदली है । कोलकाता की तस्वीर भी बदल रही है । गंदगी के ढेर कई महानगरों में कम होते जा रहे हैं ।
कचरा प्रबंधन से हम छोटे शहरों की समस्याओं को काफी हद तक हल कर सकते हैं । जरूरत है राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिबद्धता की और समस्याओं को समझने की और निर्णयों को साकार करने की । राजस्थान के छोटे शहरों से इसका प्रारंभ कर हालात पर अभी से काम किया जा सकता है । बड़े शहरों में इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार दोषपूर्ण है और लोगों की मुश्किलें बढ़ाएगा । बिना नई दिशा के बारे में प्रशिक्षण दिये जो काम हो रहा है वह नई समस्याएं खडी करेगा ।