मणिपुर पर निबन्ध | Essay on Manipur (North Eastern State) in Hindi!
1. भूमिका:
मणिपुर का अर्थ है मणि (Jewel) का प्रदेश । इस प्रदेश में वास्तव में मणियों की खान भले न हो, किन्तु प्राकृतिक रूप से (Naturally) इतना सुन्दर प्रदेश भारत में कश्मीर के बाद यही है जिसे मणियों का प्रदेश कहना गलत नहीं है ।
इतिहास:
मणिपुर आज से ही नहीं, प्राचीन काल से आर्यावर्त के मानचित्र (Maps) पर चमकता रहा है । देश के पूर्वोत्तर (North Eastern) महाभारत काल में भी प्रे देश में ज्ञात (Known) था । अपने वनवास के दौरान पाण्डवों ने मणिपुर का भी भ्रमण किया था ।
एक पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत विजय के पश्चात् हस्तिनापुर का शासक बनने के बाद पाण्डवों ने अश्वमेध यज्ञ किया था । नियम के अनुसार यज्ञ का घोड़ा तथा उसके साथ सैनिक दिगविजय के लिए भेजे गये ।
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घोड़ा रोकने पर युद्ध होता, नहीं तो राज्य के राजा को पाण्डवों की श्रेष्ठता स्वीकार करनी पड़ती । मणिपुर पहुँचने पर एक बालक बध्रुवाहन ने घोड़े को रोक लिया । उसने अर्जुन को युद्ध में परास्त कर दिया । इसके बाद अर्जुन को ज्ञात हुआ कि वह उन्हीं का पुत्र था । वनवास के दौरान उन्होंने मणिपुर की राजकुमारी से विवाह किया था ।
वर्णन:
आज 22,327 वर्ग किमी. क्षेत्रफल (Area) वाले इस सुन्दर प्रदेश को पूरब की ओर से भारत का मुख्य द्वार कहा जाता है । सन् 1972 में यह भारत का बीसवाँ राज्य बना । इसकी राजधानी इम्भाल है । इसके उत्तर में नागालैंड, उत्तर-पश्चिम में असम, दक्षिण में मिजोरम तथा पूरब में म्यांमार स्थित है ।
यहाँ मैती, नगा, कुकी, मिजो आदि जातियों के लोग रहते हैं और याओसांग, लाइ हराओबा, हेकू हितोंबा, चेइराओबा, रथ यात्रा, चुष्फा आदि पर्व त्यौहारों में आपसी मेल-जोल और आनंद प्रकट करते हैं । श्री गोविन्दजी का मन्दिर, शहीद मीनार, दूसरे विश्वयुद्ध के स्थान, फुबाला, बिशनपुर, काइना, चूडाचान्दपुर, तोग्लोग गुफा, उखरूल, लाल पहाड़ी, कांग्ला पार्क, कीबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान आदि दर्शनीय स्थल हैं ।
यहाँ का अत्यधिक आकर्षक स्थल है लोकतक झील । बी जाति के हिरण तथा श्रोणि जाति की तितलियाँ यहीं पायी जाती हैं । यहाँ के खेलों में पोलो सागोल कांजेइ हॉकी मुउना कांजेइ रगबी यूबी लाक्यी आदि प्रमुख हैं ।
4. उपसंहार:
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कभी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यहाँ का भ्रमण किया था और इस राज्य की सुन्दरता से प्रभावित होकर इसे ‘भारत का हीरा’ कहा था । इससे पहले लॉर्ड इरविन यहाँ पधारे, तो उन्हें यह राज्य स्विट्जरलैंड जैसा सुन्दर लगा और उन्होंने इसे ‘पूरब का स्विट्जरलैंड’ की संज्ञा दी । आज भी यदि हम इसे अपनी आँखों से देखें तो उनके कहे ये शब्द सच ही लगेंगे ।