List of eighteen letters specially written for school going students!
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 1
खोई हुई वस्तु लौटाने के लिए आभार प्रकट करते हुए किसी अपरिचित व्यक्ति को पत्र ।
जी/251 नेहरू नगर
दिल्ली ।
20 सितम्बर, 2015
आदरणीय रतन प्रकाश जी,
सादर अभिनन्दन ।
कल ही मुझे एक सज्जन के माध्यम से आपके द्वारा भेजा गया बैग प्राप्त हुआ । मेरे पास तो जैसे आपका आभार प्रकट करने के लिए शब्द ही नहीं है । जब से मेरा बैग खोया था, तब से मैं बहुत परेशान चल रहा था क्योंकि बैग में मेरे जरूरी कागजात थे तथा कुछ जरूरी चाबियाँ भी थी ।
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यदि शीघ्र ही आपके द्वारा मेरा बैग न मिलता, तो कितने ही आवश्यक कार्यों में विलम्ब हो जाता । आपकी कृपा से ही मैं परेशानियों से बच गया । आपको पुन: कोटि-कोटि धन्यवाद । वैसे बैग खो जाने में मेरी ही गलती थी ।
बात यह हुई कि कल जब बस अड्डे पर मैं बस की प्रतीक्षा कर रहा था तो मैं जिस बैच पर बैठा था, वह बैग वहीं पर छूट गया और मैं जल्दी-जल्दी बस में चढ़ गया । घर जाकर मुझे उस बैग का ध्यान आया, तो मेरे जैसे होश ही उड़ गए ।
फिर मैं उसे सब जगह ढूँढने भी गया, परन्तु वह कहीं भी नहीं मिला । दो दिन मैंने बहुत परेशानी में गुजारे और आज जब मैं इसी उधेडबुन में इधर-उधर टहल रहा था, तभी अचानक आपके द्वारा भेजे सज्जन देवदूत की भाँति प्रकट हुए और जैसे ही उन्होंने मुझे वह बैग थमाया तो मैं खुशी से जैसे पागल सा हो गया ।
वे सज्जन तो रुके भी नहीं और मुझे धन्यवाद देने का भी अवसर नहीं मिला । अब इस पत्र के माध्यम से मैं आपका तथा उन सज्जन का दिल से धन्यवाद करना चाहता हूँ तथा कष्ट के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ।
भवदीय,
राकेश रस्तोगी
श्री रतन प्रकाश जी
92/गाँधी नगर, दिल्ली
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 2
टेलीफोन ठीक करने के लिए टेलीफोन विभाग को एक पत्र ।
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सेवा में,
कार्यकारी इंजीनियर महोदय,
टेलीफोन ऐक्सचेंज
विकासपुरी, दिल्ली ।
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विषय : टेलीफोन नं. 65659827 को ठीक कराने हेतु पत्र ।
मान्यवर,
मैं विकासपुरी के मकान नं. 250/ई का निवासी हूँ तथा मेरे यहाँ 65659827 संख्या का टेलीफोन लगा हुआ है । मैं एक होम्योपैथिक डॉक्टर हूँ तथा मैंने घर पर भी क्लीनिक खोल रखा है । मेरे यहाँ प्रतिदिन कई रोगी निरीक्षण हेतु आते हैं । कितनी ही बार रोगियों को फोन पर भी मुझसे समय लेना पड़ता है । ऐसे में टेलीफोन खराब होने के कारण सभी को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ।
मैं आपका ध्यान उपरोक्त टेलीफोन की ओर केन्द्रित करना चाहता हूँ जो पिछले 20 दिनों से खराब पड़ा है । इसके विषय में मैं कई बार शिकायतें लिखवा चुका हूँ तथा तीन बार पत्र भी लिख चुका हूँ । एक उच्च अधिकारी से भी मेरी बात हुई थी, जिन्होंने दो-तीन दिनों से टेलीफोन ठीक कराने का आश्वासन दिया था परन्तु इस बात को एक सप्ताह हो चुका है, परन्तु अभी तक भी मेरा टेलीफोन खराब ही है ।
ADVERTISEMENTS:
अत: मेरा आपसे अनुरोध है कि आप व्यक्तिगत रूप से ध्यान देकर उसे ठीक कराने की व्यवस्था करें । मैं टेलीफोन खराब होने के कारण बहुत परेशान हूँ । यदि आप मेरा फोन जल्द ठीक कराने की कृपा करेंगे, तोमैं सदा आपका आभारी रहूँगा ।
सधन्यवाद ।
भवदीय,
राम कपूर
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250/ई., विकास पुरी, दिल्ली
दिनांक : 3 मार्च, 2015
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 3
भारत के वित्त मन्त्री के नाम पत्र लिखकर उनसे महँगाई दूर करने के लिए प्रार्थना कीजिए ।
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली ।
4 जनवरी, 2015
माननीय श्री वित्त मन्त्री महोदय,
भारत सरकार
नई दिल्ली ।
विषय : देश से महँगाई समाप्त करने हेतु प्रार्थना-पत्र ।
मान्यवर,
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान देशव्यापी महँगाई की ओर केन्द्रित करना चाहता हूँ । आज सभी आवश्यक वस्तुओं तथा अन्य उपभोक्ता वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं जो देश की मध्यम तथा निम्न वर्गीय जनता के लिए एक अभिशाप है ।
जिस प्रकार देश की सुरक्षा के लिए उसकी बाह्मा सीमाओं का ध्यान सरकार की ओर से रखा जाता है उसी प्रकार देश की आन्तरिक स्थिति को ठीक रखने के लिए देश की बढ़ती महँगाई रोकने के प्रयास किए जाने चाहिए । यदि सरकार की ओर से शीघ्र ही महंगाई कम करने के प्रयास नहीं किए गए, तो देश में हाहाकार मच जाएगा ।
आज का युग महँगाई का युग कहलाता है । इस महँगाई से उच्च वर्ग को तो किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता, परन्तु निम्न वर्ग के लोग भूखे रहने को विवश हैं । आज दैनिक आवश्यकताएँ भी मुश्किल से पूरी हो पाती हे, फिर ऐशोआराम के बारे में तो सोचा भी नहीं जा सकता है ।
अत: वित्तमन्त्री होने के नाते कृपया आप इस महँगाई को कुछ कम करने के प्रयास अवश्य कीजिए, आपकी अति कृपा होगी ।
सधन्यवाद ।
भवदीय
रणवीर राना
दिल्ली ।
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 4
दहेज-प्रथा के विरुद्ध जनमत तैयार करने के लिए किसी समाचार-पत्र के सम्पादक के नाम पत्र ।
सेवा में,
श्रीमान् सम्पादक महोदय,
राष्ट्रीय सहारा,
अम्बेडकर मार्ग
नई दिल्ली ।
3 मार्च, 2015
विषय : दहेज-प्रथा के विरुद्ध जनमत तैयार करने हेतु पत्र ।
मान्यवर,
यह बात तो सर्वविदित है कि आज हमारे पूरे देश में दहेज प्रथा का दानव हम सभी को डस रहा है । इस प्रथा के कारण हमारी नव-वधुओं तथा उनके माता-पिता का जीवन तलवार की धार पर चलने से भी कष्टमय हो गया है । दहेज की वेदी पर कितनी ही अबलाओं की बलि पहले भी चढ़ चुकी है, और अब भी चढ़ रही है ।
सबसे दुखद बात तो यह है कि दहेज-प्रथा कम होने के स्थान पर निरन्तर बढ़ती ही जा रही है । दहेज के लोभी अमानवीयता तथा पाशविकता को गले लगाने में जरा सा भी संकोच नहीं करते हैं ।
वे नववधुओं को कभी जलाकर, तो कभी जहर देकर मार देते हैं, कितनी ही अबलाएँ तो दहेज-प्रताड़नाओं से दुखी होकर आत्महत्या ही कर लेती हैं, जो देश के नाम पर कलंक है ।
अतएव आपसे सादर प्रार्थना है कि आप अपने लोकप्रिय समाचार-पत्र में इस सम्बन्ध में एक ऐसा प्रभावशाली लेख प्रकाशित करे, जिससे दहेज-लोभी मानव रूपी दानव का मुँह काला हो जाए तथा नव-वधुओं को अपने जीवन से हाथ न धोना पड़े । इसके लिए हम सदैव दिल से आपके आभारी रहेंगे ।
सधन्यवाद ।
भवदीय,
शोभना शर्मा
पीतमपुरा, दिल्ली ।
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 5
अपने शहर में परीक्षा दिनों में ध्वनि विस्तारक यन्त्रों के प्रयोगों पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु जिलाधीश को शिकायती पत्र ।
सेवा में,
मानवीय जिलाधीश महोदय,
दक्षिणी जिला,
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली ।
मान्यवर,
मैं, दिनेश आहूजा, आपका ध्यान अपने पीतमपुरा क्षेत्र में प्रयोग किए जा रहे ध्वनि विस्तारक यन्त्रों की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ । इस समय सभी विद्यार्थियों की परीक्षाएँ नजदीक हैं । सभी जी जान से तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन इस समय हमारे क्षेत्र में हर दिन कीर्तन, भजन संध्या आदि के लिए लाउडस्पीकरों का प्रयो किया जा रहा है, जिससे हम विद्यार्थियों को बहुत परेशानी का सामना करन पड़ता है ।
सबसे अधिक परेशानी तब होती है, जब देर रात तक भी इन ध्वनि-विस्तारक यन्त्रों की तीव्र ध्वनि हमारे कानों में गूँजती है । फलत: मन खिन्न हो उठता हे और नींद भी नहीं आती । इस कारण अगले दिन का भी बहुत सारा समय नष्ट हो जाता है । दिन में भी जूलूसों, रैलियों, टेपरिकार्डरो आदि का शोर हमारी पढ़ाई में बाधा उत्पन्न करता है ।
फलत: सभी विद्यार्थी बहुत दुखी हैं क्योंकि यह समय तो हमारे लिए बहुत उपयोगी है । अतएव मैं अपने सभी साथियों की ओर से आपसे सविनय निवेदन करता हूँ कि आप यथाशीघ्र ध्वनि विस्तारक यन्त्रों के प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगाकर हमारी मेहनत को सफल होने में हमारा साथ दें । आपके इस सहयोग के लिए हम सदा आपके आभारी रहेंगे ।
सधन्यवाद ।
भवदीय
दक्षिणी जिला क्षेत्र के
कक्षा 10 वीं के समस्त विद्यार्थी
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली ।
दिनांक : 28.2.2015
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 6
किसी दैनिक समाचार-यत्र के सम्पादक को पत्र लिखकर अपने क्षेत्र में बिजली संकट से उत्पन्न कठिनाइयों का वर्णन करो ।
सेवा में,
श्रीयुत सम्पादक महोदय,
हिन्दुस्तान टाइम्स,
अम्बेडकर मार्ग,
नई दिल्ली ।
विषय : बिजली संकट से उत्पन्न दयनीय परिस्थितियों ।
महोदय,
यह तो सर्वविदित ही है कि आपका लोकप्रिय समाचार-पत्र जनता की आबाज है । मैं भी पाठकों का एवं सम्बन्धित अधिकारियों का ध्यान बिजली संकट सें उत्पन्न विकट स्थिति की ओर दिलाना चाहता हूँ । ”आज बिजली के बिना तो हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते ।
आए दिन बिजली का गुल हो जाना हमारे लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन रहा है । गर्मियों के दिनों में वियुत-आपूर्ति से सभी का हाल-बेहाल हो जाता है । न पंखे चल पाते हैं, न फ्रिज, लगता है जैसे जिन्दगी थम सी गई है । परीक्षा के समय में बिजली का गुल हो जाना विद्यार्थियों के भविष्य पर असर करता है क्योंकि बिजली की आँख-मिचौलीं से सभी की पढ़ाई में बाधा पड़ती है ।
बिजली तो सभी क्षेत्रों में हमारी सबसे बड़ी सहायक सिद्ध हो रही है । कल-कारखाने, बड़ी-बड़ी मशीने, चिकित्सा प्रणालियाँ, सिंचाई-कार्य सभी में विश्वत का ही उपयोग होता है । बिजली की उपयोगिता जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान रखती है । बिजली संकट से मुक्ति पाने के लिए विश्वत कर्मचारी जनता से कम बिजली इस्तेमाल करने की अपील करते हैं ।
वे गर्मियों में कम वाताअलित चलाने तथा सर्दियों में गीजर आदि का कम प्रयोग करने की बात करते हैं लेकिन केवल जनता के प्रयासों द्वारा ही बिजली संकट से छुटकारा नहीं पाया जा सकता, अपितु यदि अधिकारीगण उन कल-कारखानों में बिजली-वितरण पर कड़ा नियन्त्रण करें, जो बिजली स्वीकृत वितरण से अधिक प्रयोग करते हैं, वो निस्वय ही इस संकट संए मुक्ति पाई जा सकती है ।
अतएव मेरा आपसे अनुरोध है कि आप इस प्रकार के लेखों को प्रकाशित कर जनता तथा अधिकारीगण दोनों को जागरुक करें ।
सधन्यवाद ।
भवदीय
दिनेश जैन
दिनांक : 28.2.2015
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 7
कवि सम्मेलन के लिए काव्य पाठ हेतु निमन्त्रण-पत्र ।
हिन्दी काव्य एवं साहित्य सम्मेलन
नई दिल्ली ।
दिनांक : 10 मार्च, 2015
आदरणीय रवि शर्मा जी,
आपको यह जानकर बहुत हर्ष होगा कि होली के शुभ अवसर पर हिन्दी काव्य एवं साहित्य सम्मेलन की ओर से ‘फिक्की आडिटोरियम’ में 10 मार्च 20xx को सायंकाल 4 से 8 बजे तक बहुत विशाल स्तर पर एक हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है ।
इस कवि सम्मेलन में सभी सम्मानित राष्ट्रीय स्तर के हास्य एवं व्यंग्य कवियों को आमन्त्रित किया गया है । देश के अनेक महान तथा उकृष्ट कवियों ने हमें अपने आने का पूर्ण आश्वासन भी दिया है । आप तो हास्य एवं व्यंग्य के क्षेत्र में एक लोकप्रिय नाम है ऐसे में हमने यह तय किया है कि आपको विशेष रूप से आमन्त्रित किया जाए ।
अत: आपसे करबद्ध बिनती है कि आप अपना बहुमूल्य समय निकालकर-इस महान कवि-सम्मेलन की शोभा में चार चाँद लगाएँ । हम आशा करते हैं कि आप अपने प्रेमी श्रोताओं को निराश नहीं करेंगे तथा दर्शन देकर हमें कृतार्थ अवश्य करेंगे ।
सधन्यवाद ।
विनीत
अमर उपाध्याय,
‘मन्त्री’
हिन्दी काव्य एवं साहित्य सम्मेलन नई दिल्ली ।
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 9
अपनी सहेली को पत्र द्वारा सूचित कीजिए कि उसकी विधवा माँ किस प्रकार परिश्रम करके उसकी पढ़ाई का खर्च भेज रही है ।
204/राजा गार्डन,
दिल्ली ।
2 जनवरी, 2015
प्रिय सखी राखी,
मधुर याद ।
मैं यहाँ पर कुशलपूर्वक हूँ तथा तुम्हारी कुशलता के लिए प्रार्थना करती हूँ । कई दिनों से तुम्हारा न ही कोई फोन आया तथा न ही कोई पत्र प्राप्त हुआ है इसलिए तुम्हारी माता जी बहुत चिन्तित हो रही है । उनकी चिन्ता करना स्वभाविक भी है । तुम्हारे अतिरिक्त उनका इस दुनिया में कोई भी नहीं है ।
वे तो गत पन्द्रह-बीस दिनों से काफी बीमार चल रही है । उन्हें तुम्हारे फीस भरने के कारण काफी मेहनत करनी पड़ रही है क्योंकि कोई और तो घरमें है ही नहीं । इतनी बीमारी में भी वे सिलाई-कढ़ाई कर गुजारा कर रही है, परन्तु फिर भी तुम्हें उनकी परवाह नहीं है ।
प्रिय राखी, तुम तो जानती ही हो कि तुम्हारी माँ तुम्हारे लिए ही दिन-रात मेहनत कर रही है इसलिए तुम भी खूब मेहनत से पढ़ो तथा पढ़ लिखकर ऊँचे ओहदे पर नियुक्त हो जाओ, जिससे तुम्हारी माँ को आगे इतनी मेहनत न करनी पड़े । आशा है कि तुम मेरी बातों को एक सहेली की सलाह मानकर उस पर अमल करोगी ।
कल टी जी ने मनीऑर्डर भिजवा दिया है, तुम्हें एक दो दिन में प्राप्त हो जाएगा । हीं, अपनी माँ को पत्र अवश्य लिखना । शेष मिलने पर-
तुम्हारी सखी,
अर्चना ।
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 9
पोस्टमास्टर को एक शिकायती पत्र अनियमित डाक के सम्बन्ध में ।
सेवा में,
मान्यवर पोस्टमास्टर,
जनरल पोस्ट ऑफिस,
दिल्ली ।
विषय: डाक वितरण में अनियमितता ।
महोदय,
मैं अपने इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान अपने क्षेत्र गाँधीनगर में डाक वितरण की अनियमितता की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ । करीब दो ढाई महीनों से हमारे यहाँ डाक बहुत देर से पहुँचती है या फिर कितनी ही बार तो पहुँचती भी नहीं है ।
अत्यन्त अवश्य पत्र भी कई दिनों बाद मिल पाते हैं । डाकियों की लापरवाही कभी-कभी हानिकारक भी सिद्ध हो रही है । समय पर डाक न मिलने के कारण सारा क्षेत्र परेशान है । मेरी ममेरी बहन की शादी का कार्ड उसकी शादी के चार दिन बाद प्राप्त हुआ हालाँकि फोन पर जानकारी मिल जाने के कारण मैं शादी में तो शामिल हो गया था ।
एक पड़ोसी के लड़के के साक्षात्कार का पत्र दो दिन बाद मिला इसके अतिरिक्त भी न जाने ऐसे कितने ही मामले: प्रकाश में आ रहे हैं, जिसके कारण सभी को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है । कई बार तो डाकिया अत्यन्त जरूरी पत्र भी बाहर बरामदे में ही फेंक जाता है जिसे उठाकर बच्चे फाड़ देते हैं ।
इस प्रकार की अनियमितताओं से तंग आकर हमें मजबूरीवश यह पत्र लिखना पड़ रहा है । आशा है कि आप इस क्षेत्र की कठिनाइयों को दूर करने का हर सम्भवप्रयास अवश्य करेंगे ।
धन्यवाद सहित ।
भवदीय
नितिन मुकेश,
गाँधीनगर सुधार समिति,
दिल्ली ।
1 जून, 2015
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 10
मोहल्ले में सार्वजनिक नल लगवाने के लिए नगर-निगम के अधिकारी को आवेदन पत्र ।
सेवा में,
श्रीयुत जल अभियन्ता,
दिल्ली नगर निगम,
दिल्ली ।
विषय: सार्वजनिक नल लगवाने हेतु पत्र ।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि हमारे मुहल्ले में 200 से अधिक परिवार रहते हैं । इस प्रकार कुल 500 के करीब व्यक्ति है । हमारे यहाँ केवल दो ही सार्वजनिक नल है इसलिए पानी भरने के लिए सदा लम्बी कतार लगी रहती है ।
कभी-कभी तो पानी की बात पर लड़ाई-झगड़ा तथा गाली-गलौच व मारपीट तक की नौबत भी आ जाती है । इनमें से कई परिवार ऐसे हैं जिनके अपने घरों के पानी के नल नहीं है तथा वे सार्वजनिक नलो से ही पानी भरते हैं । उनकी दशा तो और भी दयनीय है क्योंकि पानी एक निश्चित अवधि के लिए ही आता है इसलिए वे लोग पर्याप्त पानी नहीं भर पाते हैं ।
अतएव हमारी आपसे करबद्ध प्रार्थना है कि इस मुहल्ले की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए कम से कम तीन-चार नल और लगवाने की कृपा करें जिससे जनता का सार्वजनिक हित हो सके तथा परस्पर लड़ाई झगड़ा भी न हो । आशा है आप हमारी परेशानियों को समझते हुए शीघ्रातिशीघ्र इस ओर ध्यान देंगे ।
सधन्यवाद ।
प्रार्थी
रतन जैन
शकरपुर दिल्ली
19 जून, 2015
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 11
आप समाजसेवी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं इसलिए आप अपने मित्रों के साथ दस दिनों के लिए समाज सेवा के निमित बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में जाना चाहते हें । पत्र द्वारा अपने माता-पिता से अनुमति प्राप्त कीजिए ।
परीक्षा भवन
दिल्ली
2 अगस्त, 2015
आदरणीय माँ-पिताजी,
सादर चरणस्पर्श ।
कल ही आपका पत्र प्राप्त हुआ तथा आपका कुशल-मंगल ज्ञात हुआ । जैसा कि सब जानते ही हैं कि आजकल उत्तर भारत में बाढ़ का विनाशकारी रूप देखने को मिल रहा है तथा इस विनाशलीला में कई गाँव बह चुके हैं । जान-माल की हानि का नंगा नाच हर तरफ देखने को मिला है ।
अनगिनत लोग बेकार, बेघर, लाचार, भूख से बिलख रहे हैं तथा गन्दे पानी में ही कच्चे चावल मिलाकर खाने को विवश हो रहे हैं अर्थात् लोगों के दुखों का कोई अन्त नहीं दिख रहा है । इन बाढ़ पीड़ितों की सहायता हेतु सरकार की ओर से अनेक सराहनीय कार्य किए जा रहे हैं ।
कई स्वयं सेवी संस्थाएँ, शिक्षण संस्थाएँ आदि भी आगे आ रहे हैं । हमारे विद्यालय से भी एक सेवादल दस दिनों के लिए बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में सेवार्थ जाने वाला है । मेरी हार्दिक इच्छा है कि मैं भी इस सेवा दल में सम्मिलित होकर बेबस तथा बेसहारा लोगों की मदद कर सकूँ ।
मैं तो सोच-सोच कर ही घबरा रहा हूँ उन पर क्या बीत रही होगी । ऐसे समय में मानव ही मानव के काम आता है । पिताजी आप तो स्वयं भी अनेक सेवी-संस्थाओं से जुड़े हुए हो । आशा है आप मुझे भी इस सेवा कार्य में भाग लेने की अनुमति अवश्य देरमें । मैं हर क्षण आपके उत्तर की प्रतीक्षा करूँगा ।
आपका सुपुत्र
अजित ।
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 12
दिल्ली परिवहन नगम के मुख्य प्रबन्धक को पत्र लिखकर एक बस कर्मचारी के प्रशंसनीय तथा साहसिक व्यवहार की सूचना देते हुए उसे सम्मानित करने का आग्रह कीजिए ।
सेवा में,
श्रीयुत महाप्रबन्धक महोदय,
दिल्ली परिवहन निगम,
जैन हाउस, नई दिल्ली ।
मान्यवर,
मैं अपने इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान आपके ही विभाग के एक कर्तव्यनिष्ठ तथा साहसी कर्मचारी के सराहनिय कार्य की और आकर्षित करना चाहता हूँ । इस घटना को पढ़कर आप अवश्य ही इस कर्मचारी को उचित पुरस्कार द्वारा सम्मानित करेंगे ।
जब मैं दिनांक 10 मार्च को लक्ष्मी नगर मोड से 999 रुट की बस नं. DLE 7925 में प्रातःकाल करीब 8 बजे चढ़ा था तो उस बस में काफी भीड़ थी । बस जब कड़कड़डूमा मोड पर पहुँची तो पीछे के रास्ते से बस में पाँच छह लड़के चढ़े और जैसे ही मेरा हाथ जेब पर गया तो मैंने पाया कि मेरा पर्स गायब था ।
जैसे ही मैंने शोर मचाया, तो दो लड़के बस से कूदकर भाग निकले । बस कंडक्टर ने बस रुकवाकर बाकी लड़कों को दबोच लिया तथा उन लड़कों से मेरा पर्स ले लिया । उन लडुकों के पास चाकू भी थे परन्तु दिनेश नामक उस बस कंडक्टर ने इसकी परवाह न करते हुए मेरा पर्स प्राप्त कर मुझे वापस कर दिया ।
मेरे पर्स में काफी महत्त्वपूर्ण कागजात भी थे । जब मैंने उसे कुछ इनाम देना चाहा, तो उसने साफ मना कर दिया । आज के मार-काट वाले जीवन में ऐसे कर्त्तव्यनिष्ठ, साहसी तथा ईमानदारी कर्मचारी मुश्किल से ही मिलते हैं जो अपनी जान-जोखिम में डालकर भी दूसरों की सहायता करते हैं ।
अत: मेरा आपसे सविनय अनुरोध है कि आप श्री दिनेश चौहान, जिनका बैच नं. 20345 है, को सम्मानित करके अन्य कर्मचारियों के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत करे तथा लोगों का यह भ्रम भी दूर करें कि आज के युग में मानवता पूर्णरुपेण समाप्त हो चुकी है । आपकी अति कृपा होगी ।
सधन्यवाद ।
भवदीय,
रतन भारद्वाज,
712, लक्ष्मी नगर
दिल्ली
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 13
जिलाधीशके कार्यालय में टाइपिस्ट के रिक्त पद हेतु आवेदन पत्र लिखिए ।
सेवा में,
श्रीयुत जिलाधीश महोदय,
फरीदाबाद (हरियाणा)
मान्यवर,
दिनांक 10 दिसम्बर, 2015 के ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ में आपके कार्यालय के लिए टाइपिस्ट के पदों के लिए आवेदन-पत्र निमन्त्रित किए गए हैं । मैं भी स्वयं को इस पद के योग्य समझते हुए अपनी सेवाएँ प्रस्तुत करना चाहता हूँ । मेरी शैक्षणिक योग्यताएँ तथा अन्य विवरण निम्नलिखित हैं:
(1) मैंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, दिल्ली से सन् 2000 में दसवी कक्षा की परीक्षा 80% अंकों में उत्तीर्ण की है ।
(2) मैंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड दिल्ली से ही बारहवीं कक्षा की परीक्षा सन् 2002 में 75% अंकों में पास की है ।
(3) मैंने एक वर्ष तक हिन्दी टंकण तथा आशुलिपि का अभ्यास भी किया है । आशुलिपि में मेरी गति लगभग 100 शब्द प्रति मिनट तथा टंकण में 50 शब्द प्रति मिनट में लगभग है । एक वर्ष तक मैंने एक प्राइवेट फर्म में भी लिपिक का कार्य किया है ।
इस समय में रॉयन स्कूल में लिपिक के पद पर कार्यरत हूँ । मैं एक ईमानदार, कर्त्तव्यनिष्ठ तथा स्वस्थ युवक हूँ तथा यदि आपने मुझे सेवा का अवसर प्रदान किया तो मैं अपना कार्य पूरी ईमानदारी तथा निष्ठा से करूंगा तथा कभी भी आपको शिकायत का अवसर नहीं दूंगा ।
मैं प्रार्थनापत्र के साथ प्रमाण-पत्र की सत्यापित प्रतियाँ संलग्न कर रहा हूँ ।
सधन्यवाद ।
प्रार्थी,
राम नरेश गुप्त
दिल्ली ।
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 14
अपने क्षेत्र के एक उपेक्षित पार्क के समुचित रख-रखाव की व्यवस्था करने के लिए निगम आयुक्त को एक पत्र ।
सेवा में,
श्रीमान निगम आयुक्त महोदय,
दिल्ली नगर निगम
दिल्ली ।
मान्यवर,
मैं अपने इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान अपने क्षेत्र लक्ष्मीनगर के एक उपेक्षित पार्क की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ । लक्ष्मीनगर 92 में एक बहुत बड़ा पार्क है । कुछ समय पहले तक इस पार्क की स्थिति ठीक-ठाक थी । लोग सुबह-शाम इसमें सैर करने आते थे तथा बच्चे भी अपने मनपसन्द खेल खेलते थे ।
पेड़ पौधे भी थे तथा कुछ छायादार पेड़ों के नीचे लोग आराम करके आनन्द का अनुभव करते थे । क्यारियों में सुन्दर फूल भी थे तथा सुबह योग-कक्षा भी चलती थी, जिससे काफी लोग अपना जीवन सुधार पाते थे । परन्तु दुर्भाग्यवश, आज इस पार्क की स्थिति बिगड़ चुकी है, जिसका सबसे बड़ा कारण सरकार की ओर से इस पार्क पर ध्यान न दिया जाना है । अब इस पार्क में हर समय कुत्तों का साम्राज्य रहता है ।
कुछ लोग जुआ तथा शराब आदि पीने के लिए इस स्थान का दुरुपयोग कर रहे हैं । अब यह पार्क असामाजिक, अवांछनीय तथा अमानवीय कुकर्मों का उाड्डा बन चुका है । पार्क में घर तरफ धूल-मिट्टी दिखाई पड़ती है क्योंकि पानी के अभाव में सभी पेड़ सूख चुके हैं । दूसरे शब्दों में आज यह पार्क पूर्णतया उपेक्षित तथा दयनीय पार्क बन चुका है ।
अत: आपसे हाथ जोड़कर विनती है कि आप इस पार्क से अवैध कब्जे हटवाकर इसे सुन्दर तथा हरा-भरा बनवाएं जिससे इस क्षेत्र के वासी इसका लाभ प्राप्त कर सके ।
सधन्यवाद ।
भवदीय,
संचित
लक्ष्मीनगर, दिल्ली ।
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 15
झुग्गी झोपड़यों वाली बस्तियों में जन सुविधाओं की अव्यवस्था का विवरण करते हुए दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक के नाम एक पत्र लिखें ।
सेवा में,
प्रधान सम्पादक जी,
दैनिक जागरण
अम्बेडकर मार्ग,
नई दिल्ली ।
विषय : जन सुविधाओं के सम्बन्ध में शिकायती-पत्र ।
महोदय,
अपने इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान दिल्ली महानगर की झुग्गी-झोपड़ी बस्ती में उत्पन्न हुई जन-असुविधाओं तथा अव्यवस्थाओं की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ । इस सँन्दर्भ में मैं यह कहना चाहता हूँ कि दिल्ली में झुग्गी झोपड़ियों तो बहुत है लेकिन इनमें अपेक्षित और आवश्यक जन-सुविधाएँ नहीं है ।
यहीं के निवासी बहुत ही गन्दगी में दुःखद जीवन बिता रहे हैं । इनके लिए न तो पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध है, न ही खाने के लिए स्वच्छ भोजन । जो पानी ये लोग पीते हैं, वह बहुत गन्दा होता है । साथ में ही शौचालय होने के कारण चारों ओर बदबू आती रहती है ।
इस प्रकार पानी, शौचालयों आदि की उचित व्यवस्था न होने के कारण ये लोग सदा ही किसी-न-किसी बीमारी के शिकार बनते रहते हैं । इसी तरह यातायात तथा संचार व्यवस्था के न होने से झोपड़-बस्तियों का जीवन बड़ा ही संकटमय तथा अंधकारमय होता है । इस सम्बन्ध में नगर निगम के अधिकारियों को हम कई पत्र भी लिख चुके हैं, परन्तु अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है ।
अतएव आपसे सादर अनुरोध है कि आप अपने लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से उपर्युक्त समस्याओं पर आधारित कोई सन्देशात्मक लेख अवश्य प्रकाशित करें ताकि सोए हुई अधिकारी जाग जाएँ तथा गरीब लोगों का जीवन सुधर पाए ।
सधन्यवाद ।
भवदीय,
अध्यक्ष, समाज सुधार समिति
लोनी, दिल्ली ।
10 मई, 2015
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 16
अपने मित्र के पिता जी की मृत्यु पर सवेदना प्रकट करते हुए पत्र लिखिए ।
92/2 शालीमार बाग,
दिल्ली ।
25 मई, 2015
प्रिय मित्र रतन,
सप्रेम नमस्ते ।
आपके पूज्य पिताजी के आकस्मिक निधन का दुखद समाचार पाकर हम सभी शोक-विहल हो गए । हम सबको आपके दुख का अहसास है कि कैसे पिता का साया सिर से उठ जाने पर इन्सान अकेला हो जाता है । परन्तु ऐसी स्थिति में विवश होकर सन्तोष कर लेने के अतिरिक्त मनुष्य कुछ भी नहीं कर सकता है । आप तो बहुत समझदार, धैर्यवान तथा संयमी प्रवृत्ति के मनुष्य हैं इसीलिए आशा करता हूँ कि तुम अपने साथ-साथ अपने परिवार को भी सम्भाल पाओगे ।
ईश्वर की मर्जी के आगे हम सब विवश हैं । आज भी ईश्वर ने जन्म तथा मृत्यु का अधिकार अपने हाथों में रखा हुआ है । होता तो वही है जो होनी को मंजूर होता है । तुम्हें जो अपने पूज्य पिता जी की मृत्यु से क्षति पहुंची है, उसकी भरपाई करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है । फिर भी हर व्यक्ति को यह दुख कभी-न-कभी झेलना ही पड़ता है ।
आपके पिताजी तो सही अर्थों में एक आदर्शवादी तथा महान व्यक्तित्व के धनी थे । वे तो हम सबके प्रति भी अपार स्नेह रखते थे तथा समय-समय पर हमारा उचित मार्गदर्शन करते रहते थे । तुम्हारे पिताजी ने तुम्हारे लिए अनेक सपने संजोए थे, परन्तु वे सभी सपने वह अपनी आँखों के समक्ष पूरा होते नहीं देख सके ।
अब तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम उन सपनों को अवश्य पूरा करोगे । मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह तुम्हें व सभी कार्य करने की शक्ति प्रदान करें जो तुम्हारे पिताजी ने तुम्हारे भरोसे अधूरी छोड़ी है तथा उनकी दिवंगत आत्मा को मोक्ष प्राप्त हो ।
प्रिय मित्र । यदि मेरे लायक कोई सेवा हो या तुम्हें कहीं भी, कभी भी मेरी आवश्यकता महसूस हो तो बेझिझक बता देना, मैं तथा मेरा पूरा परिवार सदैव तुम्हारे साथ हैं । बड़ों को प्रणाम देना तथा छोटो को प्यार ।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
रोहताश जैन ।
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 17
अपने क्षेत्र में खेल-कूद के लिए उपयुक्त सामग्री की व्यवस्था करने के लिए नगरपालिका अध्यक्ष को पत्र लिखिए ।
सेवा में,
श्रीमान् अध्यक्ष महोदय,
नगर महापालिका
लखनऊ, उ.प्र.
मान्यवर,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र में खेल-कूद के लिए उपयुक्त सामान के न होने की स्थिति की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ । इस सन्दभ में मेरा कहना है कि हमारे क्षेत्र में पर्याप्त खेल-कूद सामग्री न होने के कारण खिलाड़ियों को बहुत निराशा होती है ।
वे इस क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं जबकि हम सभी जानते हैं कि आज हमारे जीवन में खेल-कूदों का कितना महत्वपूर्ण स्थान है । यदि खिलाड़ियों को उचित सामग्री उपलब्ध कराई जाए तो उनका भविष्य भी उज्ज्वल हो सकता है तथा वे भी देश का नाम रोशन कर सकते हैं ।
हम सभी जानते हैं कि हमारे यहाँ प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, कमी है तो बस सुअवसरों की । अतएव मेरा आपसे अनुरोध है कि आप यहीं के खेल-परिसर के लिए खेलकूद से सम्बन्धित उपयुक्त सामग्री उपलब्ध कराने की कृपा करें ।
सधन्यवाद ।
भवदीय,
उत्सव
2 जनवरी, 2015
Hindi Letters (Patra Lekhan) # 18
पुस्तकें मँगवाने के लिए पुस्तक विक्रेता को पत्र ।
सेवा में,
श्रीयुत प्रकाशक महोदय, रॉयल बुक डिपो,
नई सड़क, दिल्ली ।
बिषय : पुस्तकें मँगवाने के लिए आवेदन पत्र ।
मान्यवर,
मेरा आपसे सविनय अनुरोध है कि नीचे दिए गए विवरण के अनुसार नवीन संस्करण की पुस्तकें, उचित कमीशन काटकर यथाशीघ्र वी.पी.पी. द्वारा निम्नलिखित पते पर भेजने का कष्ट करें । सभी पुस्तकें साफ-सुथरी तथा पूरे पृष्ठों वाली होनी चाहिए । पार्सल मिलते ही छुड़ा लिया जाएगा । पुस्तकें मँगवाने हेतु चार सौ रुपए अग्रिम राशि में रूप में भेज रहा हूँ ।
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सधन्यवाद ।
भवदीय
दीपक राठी
रामगली, शाहदरा दिल्ली
20 फरवरी, 2015