मेरा जीवन लक्ष्य | Paragraph on my Aim of My Life in Hindi!

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का कोई न कोई लक्ष्य होना आवश्यक है । यदि बालक आरंभ से किसी लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाए तो उसके भावी जीवन के रास्ते सरल हो जाते हैं ।

उसके जीवन में भटकाव की संभावना कम हो जाती है । परंतु किसी लक्ष्य को निर्धारित करने से पूर्व हमें अपनी क्षमताओं का पूरा-पूरा ज्ञान होना चाहिए । आज के प्रतियोगी युग में लोगों को अपना स्वप्न साकार करने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ता है । नेता बनने के लिए राजनीति के दाँव-पेंच सीखने पड़ते हैं ।

धनवान बनने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है तथा व्यापारिक कौशल की भी आवश्यकता होती है । कुछ लोग अपने ईमान को बेचकर धनवान बनते हैं तो कुछ गरीबों का रक्त चूसकर । डॉक्टर इंजीनियर वैज्ञानिक या अधिकारी बनने के लिए अध्ययनरत रहना पड़ता है ।

बहुत से लोग भाग्यवादी होते हैं तथा उनका भाग्य ही उन्हें किसी मंजिल तक पहुँचा देता है । इस तरह विभिन्न व्यक्ति अपने ढंग से अपने लक्ष्य का निर्धारण करता है । मेरा जन्म एक साधारण परिवार में हुआ है । मेरे पिताजी की एक छोटी सी दुकान है ।

इस दुकान की कमाई से ही घर का खर्च चलता है । मैं जहाँ रहता हूँ वहाँ अनेक परिवारों के लोग मुकदमों में फँसे हैं । जमीन मकान और दुकान को लेकर मेरे पड़ोसी आपस में झगड़ते रहते हैं और बिना सोचे-समझे एक-दूसरे पर मुकदमा ठोंक देते हैं । फिर आरंभ होता है तारीखों का सिलसिला और कचहरी का चक्कर ।

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इस अंतहीन सिलसिले के परिणाम में दावेदारों की मेहनत की कमाई लुट जाती है । फैसला वर्षों बाद आता है लेकिन तब तक दोनों पक्ष बरबाद हो चुके होते हैं । इन स्थितियों ने मुझे वकील बनने की प्रेरणा दी है । मैं एक वकील बनकर समाज के दबे-कुचले शोषित और गरीब लोगों की मदद करना चाहता हूँ ।

मैं सच्चे और ईमानदार लोगों का केस लड़कर उन्हें न्याय दिलाना चाहता हूँ । वकील बनकर मैं न्यायिक व्यवस्था की खामियों को यथासंभव दूर करने का प्रयास करूँगा । कहा जाता है कि न्याय मिलने में देरी अन्यायी का साथ देने के बराबर है ।

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इसलिए मैं चाहूँगा कि मुकदमा लंबा न खिंचे और लोगों को शीघ्र न्याय मिले । एक वकील के रूप में मैं अपराधियों बलात्कारियों तथा हत्यारों का कभी साथ नहीं दूँगा तथा पीड़ित व्यक्तियों की ओर से लड़कर उन्हें उचित न्याय दिलवाऊंगा । ग्रामीण गरीब प्राय: एक-दूसरे पर व्यर्थ का मुकदमा करते हैं ।

ऐसे लोगों को मैं आपस में सुलह करने की सलाह दूँगा । बहुत से वकील इन भोले-भाले व्यक्तियों के केस को बहुत लंबा खींचते हैं तथा अपनी जेब भरते रहते हैं । इन व्यर्थ के मुकदमों के कारण ही न्याय मिलने में देरी होती है तथा अदालतों में बहुत से मुकदमे लंबित पड़े रहते हैं ।

एक वकील के पेशे को चुनने के पीछे मेरा उद्देश्य यह भी है कि लोग न्याय को बिकाऊ न समझें । बहुत से अपराधी धन और प्रभाव के बल पर मुकदमा जीत जाते हैं क्योंकि इनके खिलाफ कोई भी गवाही देने से डरता है । मैं ऐसे अपराधियों के षड्‌यंत्र को बेनकाब कर कानून की मदद करना चाहूँगा ।

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