मनुष्य केवल जीवन-निर्वाह के लिए कार्य नहीं करता पर निबन्ध | Essay on Man Does Not Work for Bread Alone in Hindi!
भोजन केवल भूखे व्यक्ति के लिए भगवान है । मनुष्य की मानसिक भूख का स्थान प्राथमिक होता है । भोज्य पदार्थ जीवित रहने का साधन है, साध्य नहीं ।
सभ्यता के विकास से मनुष्य जीवन में उत्तरदायित्वों का जन्म हुआ । अब मानव को व्यक्तिगत इच्छाओं की तुलना में समाज की इच्छाओं को वरीयता देनी पड़ती है और अपने व्यक्तिगत स्वार्थो का त्याग भी करना पड़ता है । आज का आधुनिक व्यक्ति अपने से अधिक अपने परिवार के बारे में सोचता है ।
मनुष्य स्वभाव से महत्वाकांक्षी होता है । सुख सुविधाओं से पूर्ण अच्छे जीवन की इच्छा, जलन, वैर-भावना उसकी महत्वाकांक्षा को पुष्ट करती है । वह अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए कार्य करता है और अपने जीवन-लक्ष्यों को निर्धारित करता हैं इस प्रकार संघर्ष लगातार जारी रहता है ।
आज मनुष्य की जिन्दगी जटिल बन गई है, परिणामस्वरूप आशाएँ, आकांक्षाएं भी उतनी ही बढ़ गई है । आज शिक्षा एवं जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए मनुष्य को रोटी के साथ-साथ मनोरंजन के साधनों की आवश्यकता भी महसूस होती हैं ।
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मृत्यु का भय और मृत्यु के बाद के जीवन के विचार मनुष्य में आध्यात्मिक ज्ञान की प्यास पैदा करतै हैं । आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए साधक भोजन को त्याग कर उपवास, व्रत आदि रखता है, इससे उसे मानसिक सन्तुष्टि प्राप्त होती है । मानव के जीवन का मूल उद्देश्य अध्यात्मिक लक्ष्यों की प्राप्ति है ।
मनुष्य को कार्य करने की मुख्य प्रेरणा शक्ति प्राप्त करने की भावना से मिलती हैं । चिरकाल से मनुष्य धर्म, कूटनीति तथा शारीरिक बल द्वारा दूसरों के अधिकारों को छीनता आया है । सत्ता अथवा शक्ति प्राप्त करने के लिए आज मनुष्य कुछ भी दांव पर लगा सकता है, अपनी नैतिकता और निष्पक्षता को भी ।
आज के युग में शक्ति धन के बल पर हासिल की जाती है । इसके द्वारा मनुष्य की सभी तुच्छ इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है; इसके द्वारा मनुष्य दूसरों को शोषित करने और आतंकित करने में सफल हो जाता है । धनी लोग ऐश्वर्यपूर्ण जीवन जीते है ।
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उनका सामाजिक स्तर ऊँचा होता है । इसी प्रकार निर्धन राष्ट्र धनी राष्ट्रों की कृपा पर निर्भर होते हैं । आज कई निर्धन राष्ट्र धनी राष्ट्रों के गुलाम बन गए हैं । कुछ मनुष्य अपने आदर्शो के लिए जीते और मरते हैं । उनकी प्राप्ति के लिए अथक प्रयास करते हैं ।
जब हम कोई लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं, तो उसके बाद हमारे मन में कोई अन्य विचार नहीं आता हैं । जीवन निर्वाह अथवा भोजन मनुष्य का लक्ष्य नहीं हो सकता । आधुनिक व्यक्ति का उद्देश्य केवल रोटी कमाना नहीं बल्कि अपने उच्च लक्ष्यों, महत्वाकांक्षाओं की प्राप्ति है ।