मन जवान होना चाहिए पर निबन्ध | Essay on Youth is the State of Mind in Hindi!

प्राय: यह माना जाता है कि कोई भी व्यक्ति तब तक जवान है, जब तक वह ऐसा सोचता है । यह बहुत बड़ा सत्य है कि आयु कुछ सीमा तक हमारी योग्यता, कार्य को जल्दी समझने और करने की क्षमता पर प्रभाव डालती है, लेकिन हमारे दृष्टिकोण तथा अन्य क्षमताओं पर इसका कोई खास असर नहीं होता है ।

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एक 18 या 20 साल का नवयुवक भी मानसिक रूप से उदासीन और सुस्त हो सकता है, जबकि सातवें और आठवें दशक में पहुँचा हुआ व्यक्ति एक नवयुवक की भांति फुर्तीला हो सकता है । जिन महान कलाकारों साहित्यकार का दृष्टिकोण परिपक्वता को प्राप्त कर लेता है, उन्हीं की कला और साहित्य को विश्व में सराहा जाता है । चौथे अथवा पाँचवे दशक में पहुँचकर ही कलाकार को ख्याति प्राप्त होती है, सामान्य व्यक्ति तो तब तक बूढ़ा हो चुका होता है । बट्रेन्ड रसल तो अस्सी साल तक लेखन कार्य से जुड़े रहे थे ।

उम्र के अंतिम दौर में भी उनके लेखों से उनकी संचेतना और सक्रियता दृष्टिगत होती है । लेखक और साहित्यकार की उम्र चाहे जितनी भी हो, उसमें ओजस्विता और उमंग का संचार होता रहता है । यही नहीं विन्सटन चर्चिल पचास साल की उम्र में इंग्लैंड के प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हुए थे और उन्हीं के नेतृत्व में द्वितीय विश्वयुद्ध में इंग्लैंड ने विजय प्राप्त की थी ।

कुछ साहित्यकारों ने अपने सर्वोत्तम साहित्य का सृजन जीवन के अंतिम वर्षो में ही किया था । इतनी बड़ी उम्र में भी कलाकारों की मानसिक चेतना अक्षुण्ण रहती है, बड़ी उम्र का कोई प्रभाव उनमें नजर नहीं आता है । इसका मुख्य कारण यही है कि उनका हृदय उमंगों, संवेदनाओं से भरा होता है ।

इसलिए उम्र को हृदय की भावनाओं से जोड़ना अनुचित है । मानसिक उच्चता, उदात्तता के कारण ही व्यक्ति अपने सर्वोत्तम कार्य को विश्व के सामने प्रस्तुत करता है । उम्र की सीमा उसे बांध नही सकती । यही कारण है कि आज हम नाती-पोतों वाले व्यक्ति की दूसरी शादी की घटनाओं के संबंध में सुनते अथवा पढ़ते हैं । इससे यही सिद्ध होता है कि वे मानसिक रूप से जवान और सक्रिय हैं, वे अपने बढ़ती उम्र को अक्षमता के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं ।

जीवन पर्यन्त सुखपूर्ण जीवन बीतने का राज यही है कि हमें जीवन में आने वाली प्रत्येक घटना को सहजता से ग्रहण करना चाहिए । यह नही कि बढती उम्र को देखते हुए हम गंभीरता को ऊपर से ओढ़ लें । चिर युवा रहने के लिए यह आवश्यक है कि हम अनावश्यक निषेधों, निराशा तथा अन्य नकारात्मक विचारों को त्याग दें । तभी हमारा हृदय जीवन की उमंगों, भावनाओं का रसास्वादन कर सकेगा ।

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